मैं ये बताता हूँ कि क्यों कुछ लोग `जनता की आवाज़-पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम)` का विरोध करते हैं| वो इसीलिए कि `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` हम आम नागरिकों को दूसरे नागरिकों के समक्ष अपने विचार रखने देता है , मीडिया और विशिष्टवर्ग के लोगों को दरकिनार/बाई-पास कर के | ये हमारी एकता को साबित करने की क्षमता को मजबूत करेगा , जब हम एक हों, और विशिष्ट वर्ग के लोगों को “ हम आम नागरिकों में बटवारा/विभाजन की गलत धारणा/गलत-फहमी पैदा व हम आम नागरिकों पर शाशन करने ” करने की क्षमता को कम करेगा |
`पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` दलितों, गरीबों, महिलाएं , किसान, मजदूर, आदि को अपनी शिकायत पारदर्शी तरीके (जो हमेशा जाँची और देखी जा सके) से, प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखने देता है | और इसीलिए दलित-विरोधी, गरीब-विरोधी, मैला-विरोधी, किसान-विरोधी, मजदूर-विरोधी, इस प्रस्तावित `पारदर्शी शिकायत प्रणाली (सिस्टम)` सरकारी अधिसूचना के क़ानून-ड्राफ्ट से नफरत करते हैं |
पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए www.righttorecall.info/004.h.pdf पर देखें|
क्या यह इतना ही है?
जी हाँ , ‘जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) इतना ही है। और कुछ नहीं। अब प्रश्न ये उठता है : ये सिर्फ 3 पंक्ति/लाइन का कानून गरीबी और भूखमरी की भयंकर समस्या का समाधान कैसे कर सकता है ? कैसे यह कानून उतना ही भयंकर भ्रष्टाचार की समस्या को पुलिसवालों/न्यायाधीशों के बीच से ख़त्म कर सकता है ? कैसे यह और भी समस्यों को समाप्त कर सकता है जैसा कि मैं दावा करता हूँ ?
(1.7) तो कैसे ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` गरीबी को 3-4 महीने में कम कर देगा? |
जब मैंने कहा कि 3 लाइन का कानून गरीबी और भ्रष्टाचार को 4 महीने में कम कर सकता है, तो आपको अवश्य यह मजाक या झूठ लगा होगा और मैं इसके लिए आपको कसूरवार नहीं ठहराऊंगा। और अब इन तीन पंक्ति/लाइन को पढ़ने के बाद, आप अवश्य अत्यंत परेशान होंगे कि कैसे मासूम सा दिखने वाला यह तीन पंक्ति/लाइन बदलाव लाएगा। आखिरकार ‘जनता की आवाज` में यही उल्लेख है – लोगों को अपनी शिकायत प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखने दें यदि वे ऐसा चाहते हैं। ये आखिरकार क्या बदलाव ला सकता है?
जिस दिन प्रधानमंत्री ‘जनता की आवाज`पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर कर देंगे, मैं करीब 200 शपथपत्र/एफिडेविट उनके सामने रखूँगा। इन सभी शपथपत्रों के प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट मेरी वेबसाइट http://righttorecall.info पर दिए गए हैं और कुछ शपथपत्रों के संक्षिप्त विवरण इस घोषणा पत्र में दिए गए हैं। अपने पहले शपथपत्र/एफिडेविट को मैं कहता हूँ — नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) ये नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) शपथपत्र/एफिडेविट 6 पृष्ठों का प्रस्तावित कानून है जो पांचवे अध्याय में है और जिसका शीर्षक है — “नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM)”। यह प्रस्तावित — नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट एक ऐसी प्रशासनिक व्यस्था बनाती है जिसके द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को सीधे ही खनिजों की रॉयल्टी और भारत सरकार के प्लॉटों से भूमि का किराया मिले। उदाहरण के लिए, मान लें नवम्बर 2010 में खनिजों की रॉयल्टी और सरकारी प्लॉटों का किराया 60,000 करोड़ रूपए था।
तो प्रस्तावित नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) कानून के अनुसार 20,000 करोड़ रूपए सेना को जायेंगे और बचे हुए 40,000 करोड़ रूपए में से प्रत्येक नागरिक को 400 रूपए मिलेंगे जो उसके पोस्ट ऑफिस खाते या भारतीय स्टेट बैंक के खाते में जमा हो जायेंगे। क्या 75 करोड़ मतदाताओं में नकद पैसा वितरित करना इतना कठिन है? नहीं, ऐसा नहीं है। यदि भारत का प्रत्येक वयस्क मतदाता महीने में एक बार अपने बैंक में पैसा निकलने जाये तो हमें केवल एक लाख क्लर्क की आवश्यकता पड़ेगी। क्या एक लाख क्लर्क इतनी बड़ी संख्या है? नहीं। क्योंकि वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक में 300,000 स्टॉफ हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कुल मिलाकर 6000,000 से अधिक स्टॉफ हैं। तो नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) क़ानून-ड्राफ्ट को सहायता देने के लिए जितने स्टॉफ चाहिएं वह बहुत ज्यादा नहीं है। प्रस्तावित नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) सरकारी अधिसूचना में मुख्य अधिकारी को वापस बुलाने का अधिकार शामिल है जो यह सुनिश्चित करता है कि भ्रष्टाचार कम से कम हो। आगे छठे अध्याय में उल्लिखित 7-8 पृष्ठ के प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट में पूरा विवरण दिया गया है।
अब मैं पाठकों से कुछ प्रश्न करूंगा। कृपया इन प्रश्नों के उत्तर देने के बाद ही इस पाठ को आगे पढ़ें। प्रश्नों की पृष्ठभूमि की जानकारी इस प्रकार है:
1 मान लें कि नागरिकों ने प्रधानमंत्री को ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) कानून पर हस्ताक्षर करने पर बाध्य कर दिया है।
2 मान लें कि किसी ने नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी शपथपत्र/एफिडेविट प्रस्तुत किया है जिसमें यह उल्लेख है कि खनिज रॉयल्टी और भूमि का किराया सीधे ही जनता को मिलना चाहिए।
3 अब बाद के एक पाठ में, मैने यह बताया है कि कैसे भारत के 72 करोड़ नागरिकों को प्रस्तावित गरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (MRCM) एफिडेविट के बारे में एक महीने के अन्दर पता चल जायेगा।
4 करोड़ भारत के 72 करोड़ वयस्क नागरिकों में से, इस प्रश्न के प्रयोजन के लिए, कृपया आर्थिक रूप से सबसे पिछडे़ 80 प्रतिशत लोग अर्थात भारत में आर्थिक रूप से सबसे पिछडे़ 55 करोड़ वयस्क भारत के नागरिकों की सोचिए जो बड़ी कठिनाई से 50 रूपए प्रतिदिन कमा पाते हैं।
आप पाठकों से मेरा पहला प्रश्न है : इन 55 करोड़ नागरिक मतदाताओं, जो एक दिन में 50 रुपए बड़ी कठिनाई से कमा पाते हैं, में से कितने लोग कहेंगे —- मुझे प्रति व्यक्ति प्रति महीने ये 400 रूपए या चाहे जितनी भी राशि हो, नहीं चाहिए और ये पैसा भारत सरकार के खाते में जाने दें ?
कृपया उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही आगे पढ़े।
मेरा उत्तर है – 5 प्रतिशत से भी कम लोग ! ये कहेंगे कि मुझे ये 200 रूपए प्रति व्यक्ति प्रति माह नहीं चाहिए। इसलिए 72 करोड़ वयस्क नागरिकों में से सबसे नीचे के 55 करोड़ नागरिकों में से ज्यादातर लोगों की एक ही सोच होगी – मेरा क्या जाएगा? मात्र 3 रूपए। (सूचना का अधिकार प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का खण्ड/कलम 2 देखें) और कुछ नहीं। और अगर भाग्य ने साथ दिया तो मुझे प्रति आदमी प्रति माह 400 रूपए मिलेंगे। आपका इस पहले प्रश्न का क्या उत्तर है? आपकी राय में सबसे नीचे के 55 करोड़ लोगों में से कितने नागरिक कहेंगे कि मुझे यह खनिज रॉयल्टी और भूमि के किराए का पैसा नहीं चाहिए?