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शब्द ‘सूचना का अधिकार आवेदन पत्र, भ्रष्टाचार के विरूद्ध शिकायत, कोई शपथपत्र’ केवल शिकायत शब्द को ही दोहराता है। और शिकायत पर हाँ दर्ज कराने की नागरिक को अनुमति / परमिशन देना केवल इसलिए है कि यदि दस हजार नागरिकों की शिकायत एक ही है तो सभी दस हजार लोगों को कलेक्टर के कार्यालय में जाने और प्रति पेज/पृष्ठ 20 रूपए का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है — केवल एक व्यक्ति को कलेक्टर के कार्यालय में जाने की जरुरत होगी और शेष व्यक्ति उसी शिकायत को स्थानीय तलाटी अथवा पटवारी के कार्यालय में मात्र 3 रूपए का भुगतान करके जमा कर सकते हैं। इस तरह धारा 3, धारा 1 का मात्र पुन:कथन / दोहराना है। और प्रधानमंत्री की वेवसाइट पर जवाब डालना फिर से खण्ड/धारा 1 का पुनर्कथन / दोहराना है ।
(1.5) ‘जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` के धारा 1 के बारे में कुछ और बातें |
‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के खण्ड 1 में यह लिखा है कि ‘’राष्ट्रपति, कलेक्टर को आदेश दे कि: यदि एक महिला मतदाता या दलित मतदाता या वरिष्ठ नागरिक मतदाता या गरीब मतदाता या किसान मतदाता या कोई भी नागरिक मतदाता अपने जिले में शिकायत—— ’’ —— यहाँ क्यों महिला मतदाता, दलित मतदाता, गरीब मतदाता लिखा है, जबकि केवल कोई भी मतदाता कहना काफी होता ? ऐसा इसलिए क्योंकि यदि कोई खंड/धारा 1 का विरोध करता है तो जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली का कोई समर्थक उसे आसानी से महिला विरोधी, दलित विरोधी, गरीब विरोधी, किसान विरोधी आदि की छवि वाला बता सकता है। और भारत में बहुत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं, नेताओं के पास महिलाओं, दलितों, आदिवासियों, गरीबों आदि का रक्षक बनने में महारत हासिल है।
और यदि ये कार्यकर्ता नेता ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के खण्ड/धारा 1 का विरोध करते हैं तो ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के समथर्क इन्हें आसानी से महिला विरोधी, दलित विरोधी अदि की छविवाला बता देंगें। इससे ‘जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के समर्थक उन्हें शांत कराने में सफल हो सकेंगे।
(1.6) ये तीन लाइन का सरकारी आदेश आम जनता को पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव डालने का अधिकार देगा |
`पारदर्शी` को हम परिभाषित करेंगे कि वो शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव जो कभी भी , कहीं भी और किसी के भी द्वारा दृश्य हो और जाँची जा सके , ताकि कोई भी नेता ,कोई भी बाबू , कोई भी जज ,मीडिया उसे दबा न सके |
आज यदि आप के यहाँ कोई भ्रष्ट मंत्री है और आप और लाखों लोग चाहते हों कि प्रधान मंत्री उसपर कार्यवाई करके उसको निकाल दे , तो आप क्या करेंगे?
एक तरीका तो ये है कि आप या तो आंदोलन/धरना कर सकते हैं | मीडिया जो 80% बिका हुआ है आपका साथ नहीं देगा और पोलिस के डंडे भी खाना पड़ेगा वो अलग से| लाखों आम लोग पहले तो आपनी रोजी-रोटी त्याग कर धरना कर नहीं सकते, कुछ हज़ारो लोग आयेंगे लेकिन कुछ दिनों बाद वे भी लौट जाएँगे और पोलिस की मार लोगों की संख्या जो धरने पर हैं को और कम कर देगी |
दूसरा तरीका ये कि आप प्रधान मंत्री को पत्र लिखें लेकिन चूँकि प्रधानमंत्री, अफसर आदि क्योंकि भ्रष्ट होते हैं , वे `बोलेंगे कि पत्र मिला नहीं `या उसमें जो लिखा हुआ है उसको आसानी से छेड़छाड़ कर सकते हैं| यदि लाखों करोड़ों लोग हस्ताक्षर अभियान भी चलायें, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री हस्ताक्षरों को `जाली` करार कर उसको अविश्वसनीय कह देते हैं (इसका कारण ये है कि हमारे देश में नागरिकों के सही का सरकार के पास कोई रिकार्ड नहीं है ताकि उनकी जांच की जा सके)और उसको दबा देते हैं | पोलिस अक्सरवाले एफ.आई.आर भी नहीं लिखते क्योंकि मंत्री की उनके साथ पहचान आम नागरिक से कहीं ज्यादा होती है |
लेकिन जनता की आवाज़/पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के अनुसार, यदि आपको मंत्री के विरुद्ध शिकायत है तो आपको कलेक्टर के दफ्तर जाना होगा, वहाँ क्लर्क उसको स्कैन कर लेगा| एक-एक शब्द प्रधानमन्त्री के वेबसाइट पर आ जायेगा | अब क्योंकि पूरे विश्व में लाखों-करोड़ों लोग इस वेबसाइट को देख सकते हैं चौबीसों घंटा तो इसके साथ छेड़छाड़ करना असंभव है | और लाखों-करोडों समर्थक पटवारी के दफ्तर जाकर आपकी उस खरी शिकायत का समर्थन कर सकते हैं और जांच के दृष्टि से उनका वोटर आई.डी के विवरण और अँगुलियों की छाप ली जायेगी और ये सब जानकारी प्रधान मंत्री के वेबसाइट पर जाएँगे | इस तरह शिकायत के समर्थकों की संख्या को अविश्वसनीय नहीं कहा जा सकता बल्कि इस प्रकार से पारदर्शी शिकायत करने पर समाचार पत्र और टी. वी चैनल भी इसको नज़रअंदाज नहीं कर सकते, अन्यथा उनकी ही विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लोग करेंगे, इसीलिए उनको ये समाचार देना होगा और ये शिकायत देश के कोने कोने तक पहुँच जायेगा और शिकायत के समर्थक देशभर के सांसद और अन्य जानी-मानी हस्तियों को बार-बार प्रश्न करेंगे कि उस सच्ची शिकायत का क्या हुआ और नाक में दम कर देंगे ?
सांसद भी शिकायत को नजरंदाज नहीं कर सकेंगे क्योंकि इसका प्रमाण रहेगा कि लाखों-करोड़ों व्यक्ति उस शिकायत का समर्थन कर रहे हैं और ये बात कभी भी जाँची जा सकती है, किसी के द्वारा क्योकि वेबसाइट पर समर्थकों के अंगुली के छाप और वोटर आई.डी के विवरण तो रहेंगे | इस प्रकार सांसदों पर दबाव पड़ेगा और सांसदों के द्वारा प्रधान मंत्री पर | ऐसे में प्रधानमन्त्री को कार्यवाई करनी ही होगी और यदि शिकायत सही पायी गयी तो मंत्री को निकालना होगा|
इस प्रकार से डाली गयी शिकायत / प्रस्ताव / सुझाव जो लाखों-करोडों द्वारा समर्थित है को दबाना असंभव है और नेता, अफसर पर जनता का दबाव द्वारा जनता अपना कहा मनवा सकती है | लाखों-करोड़ों समर्थकों के हर व्यक्ति को मालूम रहेगा और देख भी दकेगा कि उसके साथ लाखों-करोड़ों व्यक्ति है और इससे उसको और शिकायत को बल मिलेगा |
इस सिस्टम के आने से हर नागरिक एक रिपोर्टर बन सकता है और कोई समाचार दे सकता है और दूसरे नागरिक इसको पढकर और समर्थन दे कर इसको फैला सकते है जिससे सही ,निष्पक्ष और विश्वनीय समाचार अधिक आयेंगे जबकि आज मीडिया समाचार पक्षीय और झूटे समाचार देती है| आज मीडिया वो ही समाचार देती है जिसके लिए उसको पैसे दिए जाता हैं या उसके समर्थक और उनको पूंजी देने वाले बहु-राष्ट्रिय कंपनी वर्ग के हित के हों | (मीडिया को सुधरने के अन्य सुझाव अध्याय 44.33 और 44.34 में देखें)