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अध्याय 1- तीन लाइन का यह प्रस्‍तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार को केवल चार महीनों में ही कम कर सकता है

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अध्याय  1 – तीन लाइन का यह प्रस्‍तावित कानून गरीबी और पुलिस में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार को केवल चार महीनों

में ही कम कर सकता है

(इस पाठ का एक चार पृष्‍ठों का अंश सस्‍ते में वितरित करने के लिए

http://righttorecall.info/001.h.pdf पर उपलब्‍ध है। पाठ 3 में जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली को अधिक विस्‍तार से बताया गया है।)

 

(1.1) क्या यह मजाक है?

भारत के बुद्धिजीवियों ने यह दावा किया है कि गरीबी की समस्‍या और पुलिस में व्‍याप्‍त भ्रष्टाचार, न्‍यायालयों में व्‍याप्‍त भ्रष्टाचार, शिक्षा में व्‍याप्‍त भ्रष्टाचार आदि समस्‍याऐं इतनी जटिल हैं कि इन्‍हें कम  करने में कई दशक लगेंगे और बहुत ही कठिन परिश्रम  करना होगा।

और यहाँ ‘प्रजा अधीन राजा समूह सामने आता है और यह दावा करता है कि जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) की केवल तीन पंक्‍ति/लाइन की प्रस्‍तावित सरकारी अधिसूचना गरीबी और पुलिस, न्‍यायालय, शिक्षा आदि में व्‍याप्‍त भ्रष्टाचार खत्म कर देगी और वह भी मात्र चार महीने के भीतर।

भारत का राजपत्र (सरकारी अधिसूचना ) (गेजेट नोटिफिकेशन) क्या है?

केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित पुस्तिका , जो लगबग हर महीने प्रकाशित की जाती है और मंत्रियों द्वारा जिला कलेक्टर , विभाग सचिव आदि को आदेश होते हैं |

राजपत्र / सरकारी अधिसूचना (आदेश) का नमूना है –

http://rajswasthya.nic.in/17%20DT.%2006.01.10.pdf

यदि नागरिकों, कार्यकर्ताओं को सरकार में कोई बदलाव चाहिए, तो उनको मंत्रियों को प्रस्तावित बदलावों को अगले भारतीय राजपत्र में डालने की मांग करनी चाहिए | जब प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट / मसौदा भारतीय राजपत्र में आयेंगे ,तभी और केवल तभी सरकार में बदलाव आयेंगे | यदि कोई कार्यकर्त्ता-नेता , कोई बदलाव की मांग कर रहा है ,बिना सरकारी अधिसूचना (आदेश) की जानकारी दिए , जो उसे चाहिए, तो वो नागरिकों का समय बरबाद कर रहा है और वो ये जान-बूझ कर , कर रहा है, ऐसा हो सकता है | इसीलिए, हम सभी कार्यकर्ताओं से विनती करते हैं कि सरकारी अधिसूचना (भारत का राजपत्र) का क़ानून-ड्राफ्ट / मसौदों पर ध्यान केंद्रित करें  , उन बदलाव के लिए जो कार्यकर्ता-नेता मांग करते हैं |

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कुछ अन्य सरकारी अधिसूचना मंत्रिमंडल द्वारा पारित के लिंक –

(1) http://ssa.nic.in/national-mission/government-of-india-notification/notification-f-2-4-2000-ee-3-dated-january-19-2005/

(2) http://www.mit.gov.in/content/government-notifications-enabling-e-services

(3) http://www.maharashtra.gov.in/english/webRing/pdf/gazette569.pdf

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सरकारी अधिसूचना का हर एक क़ानून-ड्राफ्ट एक छोटा सा, निश्चित बदलाव लाता है. उदहारण- राशन कार्ड प्रणाली(सिस्टम) सरकारी अधिसूचनाओं से बनायी गयी थी, जिसने करोड़ों कि जान बचायी हैं | भूमि-सुधार गुजरात में 1940 के दशक के अंतिम और 1950 के दशक के शुरू में , अच्छे से हुए, क्योंकि उस समय के मुख्यमंत्री देभरभाई ने पक्के और आसान क़ानून-ड्राफ्ट बनाये, जबकि भारत के ज्यादातर अन्य राज्यों में भूमि-सुधार असफल हुए क्योंकि वहाँ के मुख्यमंत्रियों ने जान-बूझ कर ढेरों कमियाँ वाले क़ानून-ड्राफ्ट बनाये ( उदहारण- एक कमी थी कि ना रद्द किये जा सकने वाला वकालतनामा/`पॉवर ऑफ अटॉर्नी ` को अनुमति देना जिससे भूमि ट्रस्टों को दी जा सके/हस्तांतरित की जा सके आदि) |

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और, मैं इसके बाद पूरे आत्मविश्वास के साथ कहता हूँ कि प्रस्‍तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का कोई नाकारात्‍मक साइड इफेक्‍ट नहीं है और यह प्रस्‍तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट  शत-प्रतिशत संवैधानिक है और सभी मौजूदा कानूनों के साथ लागू रह सकता है और इसे सांसदों/विधायकों  के विधान कि आवश्यकता नहीं है – सिर्फ एक सरकारी अधिसूचना काफी होगी क्‍योंकि जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  के सभी तीनों खण्‍ड/कलम पहले ही प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री आदि को दिए गए मौजूदा शक्‍तियों के तहत आते हैं। क्‍या कोई ऐसी छोटी सरकारी अधिसूचना मौजूद हो भी सकती है?

भारत के अधिकांश बुद्धिजीवियों ने इस बात को मानने से इन्‍कार कर दिया है कि कानून का ऐसा कोई मामूली और छोटा सा क़ानून-ड्राफ्ट गरीबी और भ्रष्‍टाचार को एक प्रतिशत भी कम कर सकता है । या तो ये सभी बुद्धिजीवी लोग गलती पर हैं या तो मैं 200 प्रतिशत झूठा हूँ और 400 प्रतिशत पागल या जोकर हूँ। आप पाठकगण यह निर्णय कर सकते हैं कि क्‍या ये बुद्धिजीवी लोग गलत हैं या मैं ही एक जोकर हूँ बशर्ते आप इस पाठ को और इसके बाद के अगले तीन पाठ को पढ़ने का निर्णय कर लेते हैं और मेरे द्वारा प्रस्तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  क़ानून-ड्राफ्ट कानून के विरूद्ध बुद्धिजीवियों के खंडन को पढ़ते हैं तो।

और फिर मैं यह भी दावा करूंगा कि मेरे द्वारा प्रस्‍तावित तीन पंक्‍ति/लाइन की जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  – सरकारी अधिसूचना गरीबी को कम करने और पुलिस/ न्‍यायालय/ शिक्षा में भ्रष्‍टाचार में कमी लाने से कहीं ज्‍यादा कारगर होगी। चार से आठ माह के भीतर ही, जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  – सरकारी अधिसूचना , सेना व राशन कार्ड प्रणाली (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) और सरकार के सभी विभागों में सुधार ला देगी। और प्रस्‍तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  का कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है। यदि ये सभी दावे कभी सत्‍य साबित हो गए तो सभी बुद्धिजीवियों के लिए यह एक अत्यन्‍त शर्मनाक घटना होगी ।

आखिरकार, यह तीन पंक्‍ति/लाइन की प्रस्‍तावित जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना क्‍या है और कैसे यह जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना इन कामों को करेगी और वह भी मात्र चार महीने के अंदर ?

और एक अन्‍य प्रश्‍न यह उठता है : मैं कैसे कार्यकर्ताओं और जनता को एकजुट करने का प्रस्‍ताव करूं कि वे प्रधान मंत्री को इस जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दें? इस संबंध में मैं एक ज्‍यादा बड़ा दावा करता हूँ कि यदि भारत में मात्र 200,000 भ्रष्‍टाचार विरोधी और गरीबों के हमदर्द, कार्यकर्तागण प्रत्‍येक स्रप्‍ताह केवल दो घंटे का समय 13वें अध्याय में मेरे द्वारा प्रस्‍तावित 30-40 छोटी-छोटी कार्रवाइयों पर अमल करने पर दें तो एक साल से भी कम समय के अंदर उनकी कार्रवाई एक अहिंसात्मक जन- आन्दोलन का रूप ले लेगी जो प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  कानून या एक ऐसे कानून पर ह्स्‍ताक्षर करने को विवश कर देगी जिसमें जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  सम्मिलित होगा।

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(1.2) राष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रस्‍तावित `जनता की आवाज- पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`-सरकारी अधिसूचना(आदेश) का क़ानून-ड्राफ्ट

प्रस्तावित `जनता की आवाज- पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)  – सरकारी अधिसूचना में नीचे दिए अनुसार केवल तीन खण्‍ड हैं। कृपया ध्‍यान दें कि तीसरा खंड महज एक घोषणा है। इसलिए इस प्रस्‍तावित `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` सरकारी अधिसूचना में लागू करने के लिए केवल दो ही क्रियाशील खण्‍ड हैं।

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