सूची
- (43.1) मुख्य समस्या
- (43.2) बाहर से माल मंगवाने (आयात) और विदेशी कर्ज कम करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- (43.3) कच्चे तेल के बहार से मांगने (आयात) और सम्पूर्ण सप्लाई (आपूर्ति) का प्रबंध करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- (43.4) नागरिकों को कच्चे तेल की रॉयल्टी देना [‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून
कच्चे तेल को बाहर से मंगाना (आयात), विदेशी कर्ज कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्ताव |
(43.1) मुख्य समस्या |
भारत का व्यापार घाटा नियंत्रण से बाहर है। हम जितना निर्यात(बाहर माल भेजना) कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा आयात(दूसरे देश से माल मंगाना) कर रहे हैं। इससे भारत सरकार डॉलर्स उधार लेने के लिए बाध्य/लाचार हो गई है और इससे विदेशी कर्ज और अमेरिका पर निर्भरता/आसरा बढ़ी है। हम व्यापार घाटा कैसे कम करेंगे और विदेशी कर्ज कैसे चुकाएंगे? और यह कैसे पक्का/सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कर्ज न बढ़े?
और व्यापार घाटा कम करने पर प्रस्ताव देते समय एक मुख्य बात/समस्या जिसे अवश्य सुलझाना होगा वह है – कच्चा तेल (और इससे जुडे उत्पाद)। भारत अपनी कच्चे तेल की कुल खपत का लगभग 75 प्रतिशत बाहर से मंगाता (आयात करता) है। और इस कार्य में बहुत अधिक विदेशी मुद्रा(विनिमय) चला जाता है। और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों की बदौतरी, भारत सरकार को डॉलर उधार लेने और पेट्रोल के अंतिम/वास्तविक स्थानीय बिक्री दाम बढ़ाने पर मजबूर/बाध्य कर देती है। मेरे पास अंतिम पेट्राल के दाम/मूल्य को “स्थिर” करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन मैं यह अवश्य बताना चाहता हूँ कि जिन कानूनों का प्रस्ताव मैंने किया है, वे कैसे पेट्राल के बाहर से मंगाना(आयात) और पेट्राल के अंतिम बिक्री दाम पर प्रभाव डालेंगे और कैसे पेट्राल के बहार से मंगाने(आयात) से विदेशी कर्ज नहीं बढ़ेगा। मेरे प्रस्ताव के केन्द्र में निम्नलिखित बदलाव/परिवर्तन हैं:-
1. डॉलर खरीदने अथवा बहार से माल मंगाने(आयात) का खर्च को कोई आयकर छूट नहीं मिलेगी यानी आयकर गणितों के संबंध में घटाया जा सकने वाला खर्च नहीं होगा ।
2. निजी कम्पनियों को डॉलरों की बिक्री करके कमाए गए रूपए पर आयकर लगेगा।
3. भारतीय रिजर्व बैंक को डॉलर बेचकर कमाए गए रूपए पर ,तब तक टैक्स से छूट प्राप्त होगी, जब तक भारत का विदेशी कर्ज ना चुकाया गया हो और इसके बाद इस आय पर भी टैक्स लगेगा।
(43.2) बाहर से माल मंगवाने (आयात) और विदेशी कर्ज कम करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट) |
1. अधिकांश समानों पर लगभग 300 प्रतिशत का आयात शुल्क।
2. कुछ वस्तुओं पर `आयात करने वाले` को आयात शुल्क का कुछ भाग डॉलर में चुकाना होगा रूपए में नहीं।
उदाहरण – मेरे एक प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कार या कार के किसी पार्ट-पुर्जे का आयात करता है तो आयात शुल्क 300 प्रतिशत होगा और इसे डॉलर में चुकाना होगा।
- बाहर से माल मंगवाने(आयात) की लागत को आयकर के उद्देश्यों के लिए घटाया जाने वाला खर्च नहीं माना जाएगा।
- सीमा शुल्क के अंशत: या पूर्णत: (परिस्थिति के अनुसार) भुगतान को आयकर के उद्देश्यों के लिए “खर्चे” के रूप में अनुमति दी जाए।
- उदाहरण – मान लीजिए कोई व्यक्ति लगभग 10 लाख रूपए के सामान बाहर से मंगाता है(आयात करता है)। और मान लीजिए उसे 30 लाख रूपए सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ा और वह उस सामान को 70 लाख रूपए में बेचता है। मान लीजिए, उसके द्वारा भुगतान किया गया वेतन और किराया 8 लाख रूपए है, तब उसका लाभ पूरे 70 लाख – वेतन के किराए आदि का 8 लाख रूपया = 62 लाख रूपया होगा। बाहर से मंगाने(आयात) के 10 लाख रूपए को घटाए जा सकने वाले खर्च के रूप में दर्शाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और चुकाए गए सीमाशुल्क 30 लाख रूपए का अंशत: या पूर्णत: भाग (परिस्थिति के अनुसार) को भी घटाए जा सकने वाले खर्चे की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। इसलए बाहर से माल मंगाने वाले व्यक्ति(आयातक) को तदनुसार/इसके अनुसार वस्तु का मूल्य बढ़ाकर रखना होगा।
- निर्यातक(देश से बाहर माल भेजने वाले व्यक्ति) को विदेशी पैसा/विनिमय रखने के लिए अपने निर्यातों से होनेवाले लाभों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बताये बैंक के खाते में डॉलर के रूप में रखना होगा।
- यदि निर्यातक (देश से बाहर माल भेजने वाले व्यक्ति) अपनी आमदनी(राजस्व) को डॉलर में रखना चाहता है तब डॉलर के रूप में भुगतान किया जाने वाला 35 प्रतिशत टैक्स/कर उसके द्वारा प्राप्त की जाने वाली डोल्लर की आमदनी (राजस्व राशि) पर लागू होगा लेकिन यदि निर्यातक डॉलर प्राप्त करने के बाद 3 महीने के अंदर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित दर पर डॉलर भारतीय रिजर्व बैंक को बेचता है तो उस पूरी राजस्व राशि पर टैक्स से छूट प्राप्त होगा यानि टैक्स नहीं लगेगा।
उपर्युक्त कानून से आयात(बाहर के देश से माल मंगाना) में कमी आएगी और व्यापार घाटा भी कम होगा।
(43.3) कच्चे तेल के बहार से मांगने (आयात) और सम्पूर्ण सप्लाई (आपूर्ति) का प्रबंध करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट) |
- ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ : 67 प्रतिशत कच्चे (तेल की) रायल्टी नागरिकों को और शेष/बाकी 33 प्रतिशत सेना को (दी जाए)
- प्रजा अधीन –हिन्दुस्तान पेट्रोलियम अध्यक्ष, प्रजा अधीन –`तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम`(ओ.एन.जी.सी) अध्यक्ष, प्रजा अधीन – पेट्रोलियम मंत्री
- हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, `तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम(ओ.एन.जी.सी), पेट्रोलियम मंत्रालय आदि के कर्मचारियों पर जूरी प्रणाली(सिस्टम)
- तेल खुदाई और तेल साफ करने में स्थानीय तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देना
- अन्य देशों में तेल के कुएं खरीदना
- पेट्रोलियम खपत कम करने के लिए सार्वजनिक बस प्रणाली(सिस्टम) में सुधार हेतु प्रजा अधीन –परिवहन/यातायात अध्यक्ष
- पेट्रोलियम खपत कम करने के लिए सार्वजनिक बस प्रणाली(सिस्टम) में सुधार हेतु प्रजा अधीन – राज्य परिवहन/यातायात अध्यक्ष
- प्रशासन में सुधार करना ताकि यात्रा की जरूरत कम पड़े।
(43.4) नागरिकों को कच्चे तेल की रॉयल्टी देना [‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून |
मेरा प्रमुख प्रस्ताव जनता को इस बात के लिए आश्वस्त करना है कि वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ कानून पर
हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर/बाध्य करें और तब ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ का प्रयोग करके नागरिकों को चाहिए कि वे ‘नागरिक और सेना
के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव डालें। एक बार यदि ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी.
एम.)’ कानून लागू हो जाता है तो नागरिक कच्चे तेलों और प्राकृतिक गैसों से खनिज रॉयल्टी सीधे ही प्राप्त करना शुरू कर देंगे। और एक बार यदि ऐसा हो जाता है तो ऊंचे दामों पर