सूची
- (43.1) मुख्य समस्या
- (43.2) बाहर से माल मंगवाने (आयात) और विदेशी कर्ज कम करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- (43.3) कच्चे तेल के बहार से मांगने (आयात) और सम्पूर्ण सप्लाई (आपूर्ति) का प्रबंध करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- (43.4) नागरिकों को कच्चे तेल की रॉयल्टी देना [‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून
- (43.5) दूसरे देशों से तेल मंगाने (आयात) का प्रबंध इस तरह से करना कि तेल आयात करने के लिए जरूरी विदेशी पैसा / विनिमय सरकार
- (43.6) कारखाने के बने माल को दूसरे देश भेजने (औद्योगिक निर्यात) को बढाना
- (43.7) कच्चे तेल की खुदाई करने वाली और तेल शोधक भारतीय कम्पनियों के प्रशासन में सुधार करना
- (43.8) बस (परिवहन) प्रणाली (सिस्टम) में सुधार करके कच्चे तेल की खपत कम करना
- (43.9) कच्चे तेल की खपत कम करने के लिए वाहन कर (वाहन-टैक्स) , पार्किंग शुल्क बढ़ाना
सूची
- (43.1) मुख्य समस्या
- (43.2) बाहर से माल मंगवाने (आयात) और विदेशी कर्ज कम करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- (43.3) कच्चे तेल के बहार से मांगने (आयात) और सम्पूर्ण सप्लाई (आपूर्ति) का प्रबंध करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट)
- (43.4) नागरिकों को कच्चे तेल की रॉयल्टी देना [‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून
- (43.5) दूसरे देशों से तेल मंगाने (आयात) का प्रबंध इस तरह से करना कि तेल आयात करने के लिए जरूरी विदेशी पैसा / विनिमय सरकार
- (43.6) कारखाने के बने माल को दूसरे देश भेजने (औद्योगिक निर्यात) को बढाना
- (43.7) कच्चे तेल की खुदाई करने वाली और तेल शोधक भारतीय कम्पनियों के प्रशासन में सुधार करना
- (43.8) बस (परिवहन) प्रणाली (सिस्टम) में सुधार करके कच्चे तेल की खपत कम करना
- (43.9) कच्चे तेल की खपत कम करने के लिए वाहन कर (वाहन-टैक्स) , पार्किंग शुल्क बढ़ाना
कच्चे तेल को बाहर से मंगाना (आयात), विदेशी कर्ज कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्ताव |
(43.1) मुख्य समस्या |
भारत का व्यापार घाटा नियंत्रण से बाहर है। हम जितना निर्यात(बाहर माल भेजना) कर रहे हैं उससे कहीं ज्यादा आयात(दूसरे देश से माल मंगाना) कर रहे हैं। इससे भारत सरकार डॉलर्स उधार लेने के लिए बाध्य/लाचार हो गई है और इससे विदेशी कर्ज और अमेरिका पर निर्भरता/आसरा बढ़ी है। हम व्यापार घाटा कैसे कम करेंगे और विदेशी कर्ज कैसे चुकाएंगे? और यह कैसे पक्का/सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में कर्ज न बढ़े?
और व्यापार घाटा कम करने पर प्रस्ताव देते समय एक मुख्य बात/समस्या जिसे अवश्य सुलझाना होगा वह है – कच्चा तेल (और इससे जुडे उत्पाद)। भारत अपनी कच्चे तेल की कुल खपत का लगभग 75 प्रतिशत बाहर से मंगाता (आयात करता) है। और इस कार्य में बहुत अधिक विदेशी मुद्रा(विनिमय) चला जाता है। और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों की बदौतरी, भारत सरकार को डॉलर उधार लेने और पेट्रोल के अंतिम/वास्तविक स्थानीय बिक्री दाम बढ़ाने पर मजबूर/बाध्य कर देती है। मेरे पास अंतिम पेट्राल के दाम/मूल्य को “स्थिर” करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन मैं यह अवश्य बताना चाहता हूँ कि जिन कानूनों का प्रस्ताव मैंने किया है, वे कैसे पेट्राल के बाहर से मंगाना(आयात) और पेट्राल के अंतिम बिक्री दाम पर प्रभाव डालेंगे और कैसे पेट्राल के बहार से मंगाने(आयात) से विदेशी कर्ज नहीं बढ़ेगा। मेरे प्रस्ताव के केन्द्र में निम्नलिखित बदलाव/परिवर्तन हैं:-
1. डॉलर खरीदने अथवा बहार से माल मंगाने(आयात) का खर्च को कोई आयकर छूट नहीं मिलेगी यानी आयकर गणितों के संबंध में घटाया जा सकने वाला खर्च नहीं होगा ।
2. निजी कम्पनियों को डॉलरों की बिक्री करके कमाए गए रूपए पर आयकर लगेगा।
3. भारतीय रिजर्व बैंक को डॉलर बेचकर कमाए गए रूपए पर ,तब तक टैक्स से छूट प्राप्त होगी, जब तक भारत का विदेशी कर्ज ना चुकाया गया हो और इसके बाद इस आय पर भी टैक्स लगेगा।
(43.2) बाहर से माल मंगवाने (आयात) और विदेशी कर्ज कम करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट) |
1. अधिकांश समानों पर लगभग 300 प्रतिशत का आयात शुल्क।
2. कुछ वस्तुओं पर `आयात करने वाले` को आयात शुल्क का कुछ भाग डॉलर में चुकाना होगा रूपए में नहीं।
उदाहरण – मेरे एक प्रस्ताव के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कार या कार के किसी पार्ट-पुर्जे का आयात करता है तो आयात शुल्क 300 प्रतिशत होगा और इसे डॉलर में चुकाना होगा।
- बाहर से माल मंगवाने(आयात) की लागत को आयकर के उद्देश्यों के लिए घटाया जाने वाला खर्च नहीं माना जाएगा।
- सीमा शुल्क के अंशत: या पूर्णत: (परिस्थिति के अनुसार) भुगतान को आयकर के उद्देश्यों के लिए “खर्चे” के रूप में अनुमति दी जाए।
- उदाहरण – मान लीजिए कोई व्यक्ति लगभग 10 लाख रूपए के सामान बाहर से मंगाता है(आयात करता है)। और मान लीजिए उसे 30 लाख रूपए सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ा और वह उस सामान को 70 लाख रूपए में बेचता है। मान लीजिए, उसके द्वारा भुगतान किया गया वेतन और किराया 8 लाख रूपए है, तब उसका लाभ पूरे 70 लाख – वेतन के किराए आदि का 8 लाख रूपया = 62 लाख रूपया होगा। बाहर से मंगाने(आयात) के 10 लाख रूपए को घटाए जा सकने वाले खर्च के रूप में दर्शाने की अनुमति नहीं दी जाएगी और चुकाए गए सीमाशुल्क 30 लाख रूपए का अंशत: या पूर्णत: भाग (परिस्थिति के अनुसार) को भी घटाए जा सकने वाले खर्चे की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। इसलए बाहर से माल मंगाने वाले व्यक्ति(आयातक) को तदनुसार/इसके अनुसार वस्तु का मूल्य बढ़ाकर रखना होगा।
- निर्यातक(देश से बाहर माल भेजने वाले व्यक्ति) को विदेशी पैसा/विनिमय रखने के लिए अपने निर्यातों से होनेवाले लाभों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बताये बैंक के खाते में डॉलर के रूप में रखना होगा।
- यदि निर्यातक (देश से बाहर माल भेजने वाले व्यक्ति) अपनी आमदनी(राजस्व) को डॉलर में रखना चाहता है तब डॉलर के रूप में भुगतान किया जाने वाला 35 प्रतिशत टैक्स/कर उसके द्वारा प्राप्त की जाने वाली डोल्लर की आमदनी (राजस्व राशि) पर लागू होगा लेकिन यदि निर्यातक डॉलर प्राप्त करने के बाद 3 महीने के अंदर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित दर पर डॉलर भारतीय रिजर्व बैंक को बेचता है तो उस पूरी राजस्व राशि पर टैक्स से छूट प्राप्त होगा यानि टैक्स नहीं लगेगा।
उपर्युक्त कानून से आयात(बाहर के देश से माल मंगाना) में कमी आएगी और व्यापार घाटा भी कम होगा।
(43.3) कच्चे तेल के बहार से मांगने (आयात) और सम्पूर्ण सप्लाई (आपूर्ति) का प्रबंध करने के लिए प्रस्तावों की सूची (लिस्ट) |
- ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ : 67 प्रतिशत कच्चे (तेल की) रायल्टी नागरिकों को और शेष/बाकी 33 प्रतिशत सेना को (दी जाए)
- प्रजा अधीन –हिन्दुस्तान पेट्रोलियम अध्यक्ष, प्रजा अधीन –`तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम`(ओ.एन.जी.सी) अध्यक्ष, प्रजा अधीन – पेट्रोलियम मंत्री
- हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, `तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम(ओ.एन.जी.सी), पेट्रोलियम मंत्रालय आदि के कर्मचारियों पर जूरी प्रणाली(सिस्टम)
- तेल खुदाई और तेल साफ करने में स्थानीय तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देना
- अन्य देशों में तेल के कुएं खरीदना
- पेट्रोलियम खपत कम करने के लिए सार्वजनिक बस प्रणाली(सिस्टम) में सुधार हेतु प्रजा अधीन –परिवहन/यातायात अध्यक्ष
- पेट्रोलियम खपत कम करने के लिए सार्वजनिक बस प्रणाली(सिस्टम) में सुधार हेतु प्रजा अधीन – राज्य परिवहन/यातायात अध्यक्ष
- प्रशासन में सुधार करना ताकि यात्रा की जरूरत कम पड़े।
(43.4) नागरिकों को कच्चे तेल की रॉयल्टी देना [‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून |
मेरा प्रमुख प्रस्ताव जनता को इस बात के लिए आश्वस्त करना है कि वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ कानून पर
हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर/बाध्य करें और तब ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ का प्रयोग करके नागरिकों को चाहिए कि वे ‘नागरिक और सेना
के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव डालें। एक बार यदि ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी.
एम.)’ कानून लागू हो जाता है तो नागरिक कच्चे तेलों और प्राकृतिक गैसों से खनिज रॉयल्टी सीधे ही प्राप्त करना शुरू कर देंगे। और एक बार यदि ऐसा हो जाता है तो ऊंचे दामों पर
कच्चा तेल खरीदने की नागरिकों की ताकत/क्षमता बढ़ जाएगी और वे कुछ हद तक मूल्य वृद्धि को सह सकेंगे। आईए, मैं इसे विस्तार से बताता हूँ।
पेट्रोल का अंतिम/निर्णायक मूल्य इनका जोड़/योग होता है – रॉयल्टी, टैक्स/कर (तेल), खोज/अन्वेषण की लागत, खुदाई, (तेल) साफ करने की लागत, यातायात/परिवहन की
लागत, खुदरा लागत, खोज(अन्वेषण) में कम्पनियों के लाभ, खुदाई, शोधन/साफ करना और खुदरा बिक्री। खुदाई में यदि साफ करने का कार्य स्थानीय तौर पर किया जाता है तो
प्रजा अधीन – हिन्दुस्तान पेट्रोलियम अध्यक्ष, प्रजा अधीन – तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम अध्यक्ष, प्रजा अधीन – पेट्रोलियम मंत्री का प्रयोग करने से यह पक्का हो सकता है कि ये
कम्पनियां बहुत ज्यादा लाभ नहीं कमा सकें और न ही वे पैसा(आमदनी) चुरा रहीं हैं । खुदाई और साफ करने की लागतों के दो मुख्य घटक हैं – वेतन और सामग्री/माल। ये लागत
छोटे समय/दौर के लिए तय होते हैं – ये क्रमरहित तरीके से बदलते नहीं/भिन्न नहीं होते हैं। मैं कच्चे तेल और गैस के अंदरूनी/घरेलू उत्पादन पर टैक्स न लगाने का प्रस्ताव करता हूँ
और टैक्स के स्थान पर नागरिकों को केवल रॉयल्टी दिलवाना चाहता हूँ।
इसलिए रॉयल्टी निर्धारित/तय करने के लिए मैं किस प्रक्रिया का प्रस्ताव करता हूँ? खुदाई करने वाली कम्पनियां जैसे `तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम(ओ.एन.जी.सी) अंतरराष्ट्रीय
दामों/मूल्यों (और सीमा शुल्क/कस्टम ड्यूटी जोड़कर) पर हिन्दुस्तान पेट्रोलियम जैसी कच्चा तेल साफ करने वाली कम्पनी को बेचेगी और खुदाई की लागत और जिस दाम पर `तेल
शोधक कम्पनी` को कच्चा तेल बेचा जायेगा,इन दोनों का फर्क/अंतर, सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी होगी जिसमें से 67 प्रतिशत भाग नागरिकों को जाएगा। अब कच्चा तेल
खुदाई कम्पनियों आदि को तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओ. एन. जी. सी.) से पैसा चुसकर अपने कर्मचारियों को ज्यादा वेतन देकर अथवा ठेकेदारों को ज्यादा भुगतान करने से
कौन रोकेगा? प्रजा अधीन – ओ एन जी सी अध्यक्ष और ओ एन जी सी के कर्मचारियों पर जूरी प्रणाली(सिस्टम) लागू करने से यह सुनिश्चित होगा कि ऐसी घटनाएं/बातें न हों।
इसलिए, अब मान लीजिए, (खोज(अन्वेषण) की लागत + खुदाई की लागत + (तेल) साफ करने की लागत + परिवहन की लागत + खुदरा लागत आदि के बाद) प्रति लीटर पेट्रोल
10 रूपए है। अब मान लीजिए, घरेलू उत्पादन प्रति नागरिक प्रति महीने 20 लीटर है। और यदि बाहर से माल मंगाना (आयात) शून्य हो तो इस सप्लाई (आपूर्ति) स्तर पर बिक्री दाम
60 रूपए प्रति लीटर होगा। तो इसमें से 50 रूपए रॉयल्टी का होगा जो सेना और नागरिकों को 33 प्रतिशत और 67 प्रतिशत के अनुपात/सम्बन्ध में मिलेगा/जाएगा। रॉयल्टी से आय
चाहे जितनी भी हो यह प्रत्यक्ष(सीधे) रूप से या परोक्ष(टेढ़ा) रूप से एक सीमा तक की राशि का पेट्रोल नागरिकों के लिए “नि:शुल्क” खरीदने की ताकत/क्षमता के बराबर है।
(43.5) दूसरे देशों से तेल मंगाने (आयात) का प्रबंध इस तरह से करना कि तेल आयात करने के लिए जरूरी विदेशी पैसा / विनिमय सरकार |
की जवाबदेही न बन जाए
दूसरे देश से मंगाया माल(आयात) के साथ समस्या यह है कि : विदेशी पैसा/मुद्रा का भार कौन सहेगा? कच्चे तेल के दूसरे देश से मंगाने (आयात) के लिए आवश्यक/जरूरी विदेशी मुद्रा/पैसा का प्रबंधन करने के लिए मेरा प्रस्ताव निम्नलिखित प्रकार से है:-
1. कोई कम्पनी जो तेल खुदाई अथवा शोधन/सफाई के धंधे/व्यवसाय में है, उसे एक `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` कम्पनी होना चाहिए।
2. भारत में तेल खुदाई अथवा तेल शोधन/सफाई का व्यावसाय कर रही कोई कम्पनी डॉलर के रूप में कोई कर्ज नहीं ले सकती।
3. कोई धंधा करने वाली(व्यापारी) कम्पनी कच्चा तेल या पेट्रोल का आयात(बहार से मंगाना) कर सकती है और इसे (तेल) शोधन कारखानों अथवा पेट्रोल थोक विक्रेता अथवा खुदरा विक्रेता को बेच सकती है। यह व्यापारी कम्पनी डॉलर के रूप में कर्ज ले भी सकती है या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है।
4. व्यापारिक कम्पनी प्रचलित/वर्तमान बाजार दाम/मूल्य पर किसी भी कम्पनी जिसे वह ठीक समझे, से डॉलर खरीद सकती है।
5. धंधा करने वाली(व्यापारी) कम्पनी कच्चे माल पर खर्च किए गए धन/पैसे को घटाए जा सकने वाले खर्च के रूप में नहीं दिखा सकती है। और शोधक कम्पनियों को इसके द्वारा की जानेवाली सम्पूर्ण/सभी बिक्री को आय के रूप में माना जाएगा।
6. सरकार चाहे तो कच्चे तेल अथवा शोधित/तैयार पेट्रोल पर `आयात-शुल्क` लगा सकती है।
इस प्रकार तेल का बाहर से मंगाने(आयात करने) वाली कम्पनी को स्वयं डॉलर प्राप्त करना होगा, न की भारत सरकार से। बाहर से तेल मंगाने वाली(आयातक) कम्पनी को आखिरकार उन कम्पनियों से डॉलर प्राप्त करना होगा जो भारत से सामान दूसरे देश भेजती(निर्यात) करती है। यदि दूसरे देश माल भेजने(निर्यात) में गिरावट आती है तो स्वयं ही/खुद ही दूसरे देशों से तेल मंगाने वाली(आयातक) कम्पनियों को कम डॉलर मिलेंगे और इस तरह आयात में कमी आएगी, लेकिन भारत सरकार को तेल आयात (के कार्य) को सहायता करने के लिए कोई कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
(43.6) कारखाने के बने माल को दूसरे देश भेजने (औद्योगिक निर्यात) को बढाना |
1. कामगार/मजदूर विरोधी, गरीब विरोधी बुद्धिजीवियों की पोल खोलना: अधिकांश बुद्धिजीवी विशिष्ट/ऊंचे लोगों के एजेंट होते हैं और इसलिए वे गरीबों को भारत सरकार के प्लॉटों से खनिज रॉयल्टी और जमीन का किराया दिए जाने का विरोध करते हैं। और दुखद बात यह है कि कार्यकर्ता समझते हैं कि ये बुद्धिजीवी लोग गरीब समर्थक, मजदूर-समर्थक (श्रमिक-हितैषी) हैं। मैं `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के सदस्य के रूप में यह प्रस्ताव करता हूँ कि हमें कार्यकर्ताओं को यह बताना चाहिए कि ये बुद्धिजीवी लोग गरीब विरोधी, अमीर-समर्थक हैं और उसका प्रमाण यह है : वे भारत सरकार के प्लॉटों से मिलने वाला किराया गरीबों को दिए जाने का विरोध करते हैं।
2. मजदूरों/श्रमिकों की सुरक्षा: ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)’ कानून सभी कामगारों को एक कम से कम (न्यूनतम) आमदनी देगा और इस तरह यह उन्हें शोषण(परोक्ष उपायों से किसी की कमाई या धन धीरे धीरे अपने हाथ में करना ) से बचाएगा।
3. आसानी से नौकरी पर रखने-हटाने संबंधी (हायर-फायर) कानून : ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ का प्रयोग करके भारत में आसानी से नौकरी पर रखने-हटाने (हायर-फायर) कानून लागू करवाया जाए।
4. सर्वजन भविष्य निधि(प्रोविडेंट फंड) और पेंशन प्रणाली(सिस्टम) : सभी नागरिकों के लिए भविष्य निधि(प्रोविडेंट फंड) और पेंशन प्रणाली(सिस्टम) लागू की जाए। सभी निजी/प्राइवेट भविष्य निधि और निजी/प्राईवेट योजनाओं को समाप्त/रद्द किया जाए। यह (व्यवसाय) शुरू करने वालों/स्टार्टअप्स का बोझ कम करेगा।
5. पर्यावरण संबंधी कानून को अमेरिका में इस कानून की उस वर्ष की स्थिति के समान बनाया जाए जिस वर्ष अमेरिका की `सकल(कुल) घरेलू उत्पाद(देश के सभी सामान और सेवाओं का बाजार का दाम) ` भारत की `सकल(कुल) घरेलू उत्पाद(देश के सभी सामान और सेवाओं का बाजार का दाम) ` के बराबर थी।
6. कृषि उपज के देश से बाहर भेजना(निर्यात) पर तब तक रोक/प्रतिबंध लगाया जाए जब तक सभी भारतीयों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन न हो।
7. भारतीय रिजर्व बैंक को डॉलर बेचने से प्राप्त आय पर आयकर से तबतक छूट दी जाएगी जब तक विदेशी कर्जा चुका नहीं दिया जाता। उसके बाद, किसी भी देश से माल बहार भेजने वाले (निर्यातक) को किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी जाएगी।
(43.7) कच्चे तेल की खुदाई करने वाली और तेल शोधक भारतीय कम्पनियों के प्रशासन में सुधार करना |
भारत की तेल कम्पनियां अपने कर्मचारियों को बहुत अधिक वेतन देती है और इसका मानक/आधार भ्रष्टाचार है। इसलिए इस समस्या के किस प्रकार का समाधान का मैं प्रस्ताव करता हूँ? प्रस्तावित हल निम्नलिखित हैं :-
1. प्रजा अधीन – पेट्रोलियम मंत्री
2. प्रजा अधीन – `तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम`(ओ.एन.जी.सी) अध्यक्ष
3. प्रजा अधीन – हिंदुस्तान पेट्रोलियम अध्यक्ष
4. पेट्रोलियम मंत्रालय, `तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम“(ओ.एन.जी.सी), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और सभी तेल कम्पनियों के कर्मचारियों पर जूरी प्रणाली(सिस्टम) लागू करना। ये उपाय बहुत काफी (अत्यन्त पर्याप्त) हैं।
(43.8) बस (परिवहन) प्रणाली (सिस्टम) में सुधार करके कच्चे तेल की खपत कम करना |
फूटपाथ/पटरी (की दशा) में सुधार करके, नगर बसों की सेवाओं में सुधार करके, राज्य बस प्रणाली(सिस्टम) में सुधार करके, साझा टैक्सी सेवा व आटो रिक्शा सेवा प्रारंभ करके
तथा ऐसी बस सेवा प्रारंभ करके, जिसमें लोग अपनी साईकल ले जा सकें और ऐसी ही (अन्य) सेवाएं प्रदान करके कच्चे तेल के उपभोग/खपत को घटाया जा सकता है।
एक बार यदि नागरिक प्रजा अधीन – नगर बस प्रणाली(सिस्टम) अध्यक्ष और प्रजा अधीन – राज्य बस प्रणाली(सिस्टम) अध्यक्ष लागू करवा सकें तो बस प्रणाली(सिस्टम) में
सुधार हो जाएगा, निजी यातायात/परिवहन कम होगी और कच्चे तेल के दूसरे देश से मंगाने(आयात) में भी कमी आएगी।
(43.9) कच्चे तेल की खपत कम करने के लिए वाहन कर (वाहन-टैक्स) , पार्किंग शुल्क बढ़ाना |
वार्षिक वाहन टैक्स की गिनती/गणना जमीन की कीमत और (वाहन द्वारा घेरी जाने वाली जमीन की माप और व्यस्त घंटों के दौरान प्रति व्यक्ति उपलब्ध स्थान का अंतर) के
आधार पर गिनती/गणना करनी चाहिए और पार्किंग की कीमत में भी तदनुसार/इसके अनुसार बदौतरी/वृद्धि की जानी चाहिए क्योंकि जब तक कोई व्यक्ति व्यस्त समय के दौरान
प्रति व्यक्ति स्थान से कम अथवा उसके बराबर स्थान ले रहा हो तब तक कोई भीड़-भाड़ नहीं होगी लेकिन जिस पल कुछ लोग उपलब्ध प्रति व्यक्ति स्थान से अधिक स्थान लेना शुरू
कर देंगे उसी पल भीड़-भाड़ बढ़ जाएगी। संक्षेप में(छोटे में), जब किसी चीज पर आर्थिक सहायता(रियायत) मिलती है तो उसका बेतहाशा दुरूपयोग होता है और उस चीज की कमी हो
जाती है । वाहन टैक्स और पार्किंग शुल्क को कुछ बदलाव (समायोजन) के साथ जमीन के बाजार मूल्य के साथ जोड़ दिया जाना चाहिए। साथ ही, पार्किंग शुल्क और वाहन टैक्स का
उपयोग केवल सड़कें और पटरी/फूटपाथ बनाने के लिए किया जाना चाहिए और किसी ऐसे उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए जिसका इससे संबंध न हो। इसके अलावा, वाहन
टैक्स का उपयोग सार्वजनिक बस प्रणाली(सिस्टम) में आर्थिक सहायता(रियायत) देने के लिए किया जाना चाहिए क्योंकि सार्वजनिक बस प्रणाली(सिस्टम) , कार का उपयोग करने
वालों के लिए लाभदायक है। ये सभी फैसले/निर्णय नगर/राज्य स्तर के ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ द्वारा लिया जाना चाहिए।
इसके बाद मैं यात्रा से जुड़े सभी खर्चों को आयकर में घटाए न जा सकने वाले खर्च बनाने का प्रस्ताव करता हूँ । इसमें पेट्रोल खरीदना , वाहन खरीदना और वाहन के मूल्यों में समय बीतने के साथ आई कमी शामिल होगा ।
मैं इन सभी कानूनों को केवल ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ’ का उपयोग करके लागू करने का प्रस्ताव करता हूँ। ये सभी प्रस्ताव आने वाले कल के लिए हैं।
जैसे ही कच्चे तेल के उत्पादन में बदौतरी(वृद्धि) होगी, जैसे ही भारत, भारत से बाहर और अधिक तेल के कूएं खरीदेगा और जैसे ही दूसरे देश माल भेजना(निर्यात) में बदौतरी होगी वैसे ही उपर प्रस्तावित प्रस्तावों में से कई प्रस्ताव हटा लिए जाएंगे अथवा उनमें छूट दी जाएगी। लेकिन अभी के लिए दूसरे देश माल भेजना(निर्यात) बढ़ाना और दूसरे देशों से माल लाना(आयात) कम करना, खासकर कच्चे तेल का दूसरे देश से लाना(आयात) कम करना और इसी तरह के अन्य/दूसरे कार्य की तत्काल जरूरत है।