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बहुमत द्वारा जज, मंत्रियों आदि को जेल भेजने, फांसी (की सजा) देने की प्रक्रियाएं / तरीके |
(27.1) इन सरकारी अधिसूचनाओं / आदेशों (कानूनों) की क्या आवश्यकता है ? |
ऐसे अमीर बदमाश मंत्री,जज आदि , जिनके पास डॉक्टरों को खरीदने के लिए पैसे हैं,सुप्रीम कोर्ट को खरीदने के पैसे हैं और लोकपाल को खरीदने के लिए पैसे हैं, उनको बस/नियंत्रण में करने का क्या उपाय है ?
ईसा से 600 वर्ष पूर्व, यूनानियों के पास ऐसा तरीका/प्रक्रिया था जिसके द्वारा यदि राजा का छोटा अफसर यदि कोई जुर्म या भ्रष्टाचार में दोषी बोला जाता था, तो 50 नागरिक क्रमरहित तरीके से चुने जाते थे (जिनको जूरी बोला जाता था) और उनको सज़ा का फैसला देने के लिए बोला जाता था | जज को सज़ा का फैसला इसीलिए नहीं बोला जाता था क्योंकि नागरिकों का ये मानना था और बिलकुल सही मानना था कि जज का राजाओं के अफसर या राजा के साथ सांठ-गाँठ/मिली-भगत हो सकती है और इसीलिए वे अफसर को बचा सकते हैं/रक्षा कर सकते हैं यदि अफसर भ्रष्ट या मुजरिम भी हो तो भी | लेकिन यदि अफसर पैसे-वाला और ताकतवर हो तो ? वो 50 जूरी-सदस्य को भी खरीद सकते थे/दबा सकते थे | इसीलिए यादे बड़ा अफसर हो , जूरी-सदस्यों कि संख्या 100, उससे भी ज्यादा बड़ा अफसर हो तो 200,300, 400 और सबसे बड़ी जूरी में 500 आम-नागरिक होते थे |
लेकिन यदि राजा ही भ्रष्ट या मुजरिम हुआ तो ? और यूनानी मानते थे कि राजा इतना ताकतवर हो सकता है कि 500 नागरिकों पर भी बल प्रयोग कर सकता है | इसीलिए राजा के लिए ये प्रक्रिया/तरीका था कि —- नगर की पूरी आबादी इकठ्ठा होती थी और फैसला करे कि राजा को निकालना चाहिए कि नहीं, नगर से निकाला जाये कि नहीं ,यहाँ तक फांसी दी जाये के नहीं | क्योंकि ऐसी प्रक्रिया / तरीका था , इसीलिए कोई भी रजा ने कभी भी ये हिम्मत नहीं की कि कोई ऐसा काम करे जो नागरिकों को इस हद तक भडकाए | लेकिन ये राजा को निकालने या सज़ा देने की प्रक्रिया / तरीका तो था |
इसीलिए मैं प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, जिला पुलिस प्रमुखों, जजों आदि जैसे वरिष्ठ/बड़े पदाधिकारियों/पदधारकों के लिए ये निम्न-लिखित प्रक्रियाएं/तरीके प्रस्ताव करता हूँ-
1. बहुमत नागरिकों के अनुमोदन/स्वकृति द्वारा भ्रष्ट को निकालना/बदलना
2. सार्वजनिक(पब्लिक में) नार्को जांच बहुमत के अनुमोदन/स्वीकृति द्वारा
3. बहुमत के अनुमोदन/स्वीकृति द्वारा कैद/सज़ा
4. बहुमत के अनुमोदन/ स्वीकृति द्वारा फांसी
किसी बड़े व्यक्ति, जिस पर भ्रष्टाचार का दोष लगा है , बहुमत की स्वीकृति द्वारा पब्लिक में (सार्वजनिक) नारको जांच का प्रयोग करके सबूत इकठ्ठा किये जा सकते हैं | और उन सबूतों के आधार पर नागरिकों का बहुमत स्वकृति देगा कि उस व्यक्ति को सज़ा,कैद या फांसी होनी चाहिए या नहीं ? भ्रष्ट जजों या लोकपाल के लिए ये फैसला करने के लिए छोड़ देना समय को व्यर्थ करना होगा |
(27.2) उदाहरण: वह कानून जिसके द्वारा बहुमत प्रधानमंत्री को फांसी की सजा दे सकें |
निम्नलिखित सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) का प्रस्ताव मैंने किया है जिनपर जब कैबिनेट मंत्रीगण हस्ताक्षर कर देंगे तो ये (अधिसूचना(आदेश)एं) नागरिकों को यह अनुमति/अधिकार देंगी कि वे बहुमत के अनुमोदन/स्वीकृति का प्रयोग करके किसी प्रधानमंत्री को फांसी की सजा दिलवा सकें। और इन प्रस्तावित अधिसूचनाओं(आदेश) में से प्रत्येक क्लॉज/खण्ड शत-प्रतिशत संवैधानिक है।
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निम्नलिखित के लिए प्रक्रियाएं |
प्रक्रियाएं/अनुदेश |
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2. | जिला कलेक्टर (अथवा उसका क्लर्क) | सरकार जिला कलेक्टर को यह आदेश देगी : यदि कोई महिला नागरिक या दलित नागरिक या किसान नागरिक या मजदूर नागरिक या वरिष्ठ नागरिक या कोई भी नागरिक यह समझता है कि वर्तमान प्रधानमंत्री या कोई भी पूर्व प्रधानमंत्री को `क` वर्षों के लिए जेल भेजना चाहिए अथवा भ्रष्टाचार या अन्य बड़े अपराधों के लिए फांसी पर चढ़ाया जाना चाहिए और वह जिला कलेक्टर को (या जिला कलेक्टर द्वारा नामित क्लर्क को) कोई शपथपत्र/एफिडेविट/हलफनामा देता है तो वह जिला कलक्टर अथवा उसका क्लर्क उसके ऐफिडेविट को 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पेज का शुल्क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर डाल देगा। जिला कलक्टर अथवा उसका क्लर्क एक सीरियल नंबर भी जारी करेगा। |
3. | पटवारी, तलाटी (अथवा उसका क्लर्क) | सरकार पटवारी (तलाटी) को आदेश देगी: यदि कोई भी नागरिक स्वयं तलाटी के कार्यालय में आता है, 2 रूपए का शुल्क अदा करता है और क्लॉज/खण्ड 1 में प्रस्तुत किए गए शपथपत्र/एफिडेविट/हलफनामा पर हाँ दर्ज कराना चाहता है तो तलाटी उसके `हां` को कम्प्यूटर में दर्ज कर लेगा तथा उसे एक रसीद देगा जिसमें उसका मतदाता पहचान पत्र (संख्या), दिनांक/समय और उन व्यक्तियों (का नाम लिखा) होगा जिसे उसने अनुमोदित किया है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले/बी पी एल कार्डधारकों के लिए शुल्क 1 रूपए होगा। |
4. | पटवारी, तलाटी | पटवारी नागरिकों के सभी `हां` को उन नागरिकों की मतदाता पहचानपत्र संख्या, और उनकी पसंद (के व्यक्तियों के नाम) प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा। |
5. | पटवारी, तलाटी | यदि कोई नागरिक अपनी `हां` को रद्द करवाने के लिए आता है तो पटवारी बिना कोई शुल्क/फीस लिए उसे रद्द कर देगा। |
6. | महा-दण्डाधिकारी(प्रोसिक्यूटर जनरल) |
यदि 38 करोड़ से ज्यादा नागरिक कैद/जेल की सजा का अनुमोदन/स्वीकृति कर देते हैं अथवा यदि 50 करोड़ से ज्यादा नागरिक फांसी देने का अनुमोदन/स्वीकृति कर देते हैं तो महा-दण्डाधिकारी उच्चतम न्यायालय(सुप्रीम-कोर्ट) के जजों से कहेगा कि वे एफिडेविट में उल्लिखित/कहे गए प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री को जेल भेजने या अथवा फांसी देने की सजा जारी करें या महा-दण्डाधिकारी को ऐसा कहने की जरूरत नहीं। महा-दण्डाधिकारी का निर्णय ही इस मामले पर अंतिम होगा और `हां` की गिनती उसके उपर बाध्यकारी नहीं होगा। महा-दण्डाधिकारी उच्चतम न्यायालय(सुप्रीम-कौर्ट) के सभी जजों वाली एक बेंच से अनुरोध करेगा।
श्रेणी: प्रजा अधीन |