यदि विशिष्ट / ऊंचे लोग या राजनेता तानाशाही चलाते हैं, तो महात्मा उधम सिंह योजना |
यदि विशिष्ट/ ऊंचे लोग भारत में तानाशाही चलाना चाहते हैं तो, यदि सिर्फ 500 महात्मा उधम (सिंह) कार्यकर्ता उधम सिंह योजना लागू करने का फैसला/निर्णय करें, तो ऐसी तानाशाही का तख्ता पलटा जा सकता है। कैसे?
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सबसे महत्वपूर्ण भाग यह है कि उधम को अकेले ही काम को अंजाम देना होगा और उसे कभी भी कोई संगठन नहीं बनाना होगा। यदि कोई व्यक्ति इतिहास पढ़े तो उसे पता चलेगा कि भगत सिंह (अपनी जान) हारे क्योंकि उनके समूह में विभिषण था। और कोई भी व्यक्ति ऐसी लंका नहीं बना सकता जिसमें विभिषण न हों। यदि हिंदुस्तान सामाजिक क्रांति दल(हिंदुस्तान सोसलिस्ट रिवोल्यूशन पार्टी) के सभी अच्छे लोग अकेले-अकेले काम कर रहे होते तो वे ज्यादा अंग्रेजों को मार सकते थे, अनेक अन्य लोगों को प्रेरणा दे सकते थे, और अंग्रेजों के लिए और अंदरूनी व गंभीर खतरा पैदा कार सकते थे। लेकिन चूंकि उन्होंने एक समूह बनाया और किसी भी समूह में एक विभिषण होता ही है, इसलिए वे सभी पकड़े गए और मारे गए और वे केवल एक ही अंग्रेज को मार सके। इसलिए किसी भी उधम सिंह को कोई समूह कभी बनाना/तैयार करने की गलती कदापि नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसे समूहों में 10 में से कोई 1 विभिषण होगा, और वह शेष/बाकी 9 लोगों को गिरफ्तार करवा देगा या मरवा देगा।
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प्रत्येक उधम को अकेले ही काम करना चाहिए और किसी तानाशाही शासन, जिसमें एक तानाशाह और उसके अनेक अधिकारी होते हैं, उनमें से क्रमरहित तरीके से किसी एक को चुन लेना चाहिए जो किसी डॉयर की ही तरह का हो।
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और उधम को इन डॉयरों से छोटे समूह या बड़े समूह में निपटना चाहिए। समूह के सदस्य जितने अधिक हों, उतना ही अच्छा होगा। और जितने ही ऊंचे पद पर बैठा अधिकारी हो, उतना ही अच्छा होगा। लेकिन बहुत ही ऊंचे पदों पर बैठे लोगों/डॉयरों को निशाना नहीं बनाएं क्योंकि इन लक्ष्यों/निशानों की सुरक्षा बहुत ही कड़ी होती है और इन तक पहुंचने में खतरा बहुत ही ज्यादा रहता है।
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सैकड़ों डॉयरों की मौत से डॉयर का उत्साह/मनोबल टूट जाएगा और तानाशाह अपने को अकेला महसूस करेगा।
चाहे कोई उधम अकेला काम करे या समूह में काम करे, किसी भी स्थिति में उसे मरना ही है। लेकिन यदि वह समूहों में काम करता है, मान लीजिए, 10 अथवा 50 उधम एक साथ काम करते हैं और उनमें से एक भी सदस्य विभिषण निकला तो सारे उधम एक भी डॉयर को मौत के घाट उतारे बिना खुद शहीद हो जाएंगे। जबकि यदि ये 10 या 50 उधम अकेले-अकेले काम करते हैं तो यह पक्का/गारंटी है कि हर एक उधम शहीद होने से पहले कम से कम 1 या 10 डॉयरों से निपटेगा। इस तरह यदि उधम समूह में काम करने की बजाए अकेले-अकेले काम करते हैं तो जिन डॉयरों से वे निपटेंगे उनकी संख्या कहीं ज्यादा होगी।
यदि पहले वर्ष में, यदि 10 उधम तैयार होते हैं तो अनेक लोगों को प्रेरणा मिलेगी और वे उनके (10 के) कदमों/पदचिन्हों पर चलेंगे।
उधमों का खतरा सभी डॉयरों का साहस/मनोबल तोड़ कर रख देगा और तानाशाह तो मर ही जाएगा।
मैं और थोड़ा भी विस्तार से बताना नहीं चाहता। और मुझे ऐसा करने/विस्तार से बताने की जरूरत भी नहीं है – कोई भी बुद्धिमान पाठक समझ जाएगा कि मैंने क्या लिखा है।
(46.1) सबसे अहिंसक तरीका |