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- (44.19) जी.एम.(जेनेटिक / वंश रूप से बदला हुआ) और बी.टी. (बैक्टीरिया कीटाणू युक्त) भोजन पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.20) श्रम कानून (मजदूर सम्बन्धी क़ानून) पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.21) वनों / जंगलों के सुरक्षा पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.22) वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.23) इंस्पेक्टर राज खत्म करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.24) गो-हत्या समाप्त / कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
7. वार्षिक वाहन-कर/टैक्स में बढ़ोतरी/वृद्धि की जाए। केवल वाहन-कर के पैसे से सड़कें बनाईं जाएँगी और इस्तेमाल/उपयोग की जाएँगी |
(44.19) जी.एम.(जेनेटिक / वंश रूप से बदला हुआ) और बी.टी. (बैक्टीरिया कीटाणू युक्त) भोजन पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके बी.टी.(बैक्टीरिया कीटाणू युक्त) खाने-पीने की चीज पर प्रतिबंध लगाया जाए। एक बार यदि नागरिकों को `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`के जरिए कृषि मंत्री को हटाने, जेल भेजने, फांसी दिलवाने का अधिकार मिल जाए तो वे बी.टी. (बैक्टीरिया कीटाणू युक्त) खाने-पीने की चीज की तरह के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने का साहस नहीं करेंगे।
2. जी.एम.(वंश रूप से बदला हुआ) खाने-पीने की चीज/खाने को बैन/प्रतिबन्ध किया जाना चाहिए |
(44.20) श्रम कानून (मजदूर सम्बन्धी क़ानून) पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) ड्राफ्ट/प्रारूप प्रत्येक मजदूर/श्रमिक को लगातार मासिक आमदनी देगा और इस प्रकार उन्हें अत्याचार से सुरक्षित/प्रतिरक्षित करेगा। इस प्रकार, मजदूर की मोलभाव करने की ताकत बढ़ेगी।
2. मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रणाली (सिस्टम) और `अनिवार्य/जरूरी बचत योजना` लागू की जाए ताकि बेरोजगार रहने के दौरान वे गुजारा (जीवन-निर्वहन) कर सकें।
3. ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके, मजदूरों को आसानी से रखने, हटाने संबंधी (हायर-फायर) कानून लागू किया जाए ताकि मजदूर-अनुशासन-हीनता में कमी आए और कम व्यवसाय के समय मालिक अपनी आर्थिक बोझ कम कर सके।
4. सर्वजन/व्यापक भविष्य निधि(प्रोविडेंट फन्ड(पी.एफ) योजना) लागू की जाए और इसकी देखरेख सीधे वित्त-मंत्री द्वारा की जाए। प्राइवेट/निजी कम्पनियों के कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि योजना(प्रोविडेंट फंड योजना) बन्द कर दी जाए।
5. सर्वजन पेंशन योजना लागू की जाये| प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना बंद की जाये |
मजदूर /श्रम सम्बन्धी क़ानून
बेकार मजदूर/श्रम सम्बन्धी क़ानून भारत में इसीलिए हैं क्योंकि नेता लोगों को विदेशी और देशी विशिष्ट वर्ग/ऊंचे लोगों द्वारा रिश्वत दी जाती है | मजदूर सम्बन्धी क़ानून , छोटे व्यापारियों को ज्यादा नुकसान करते हैं बड़े व्यापारियों के मुकाबले और बड़े व्यापारियों को ज्यादा नुकसान देते हैं विदेशी व्यापारियों के मुकाबले में | यदि मजदूर सम्बन्धी क़ानून नहीं होते , तो छोटे-मोटे उद्योगपति बड़े हो जाते और दर्जनों `एल एंड टी` डाल देते और `एल.एंड.टी` को भारत से भागना पड़ता |
इसीलिए , यदि “ सांसद में भ्रष्टाचार “ समस्या को ठीक कर दिया जाए (प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री और प्रजा अधीन-सांसद द्वारा) तो , `मजदूर सम्बन्धी क़ानून` , कुछ ही हफ़्तों में `आसानी से मजदूरों को निकालने और रखने के क़ानून` हो जाएँगे |
(44.21) वनों / जंगलों के सुरक्षा पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. जमीन पर सम्पत्ति-कर लगाने से यह पक्का/सुनिश्चित होगा कि व्यावसायिक, औद्योगिक और रहने के(रिहायशी) उद्देश्यों/इरादा के लिए कम जमीन की जरूरत पड़ेगी ।
2. राशन कार्ड प्रणाली(सिस्टम) में सुधार किया जाए, समर्थन दाम(मूल्य) बढ़ाया जाए, पूंजी(निवेश) पर सभी प्रकार की आर्थिक सहायता/रियारत हटा दी जाए। इससे मांसाहारी भोजन के लिए दी जाने वाली सभी रियायतें/आर्थिक सहायता समाप्त हो जाएंगी और इससे खाने-पीने की चीज के लिए जमीन की जरूरत कम हो जाएगी और वन/जंगल के लिए अधिक जमीन बचेगी ।
3. लकड़ी पर समान राशन(भत्ता) प्रणाली(सिस्टम) लागू करें। इससे जंगल की लकड़ी की अवैध कटाई पर रोक लगेगी और लकड़ी की खपत भी कम होगी ।
(44.22) वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. प्रदूषक पदार्थ पर समान राशन(भत्ता) लागू करें।
2. प्रजा अधीन – प्रदूषण रोक/नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष लागू होने से प्रदूषण विभाग में फैला हुआ/व्याप्त भ्रष्टाचार कम होगा और प्रवर्तन/अमल में सुधार होगा।
(44.23) इंस्पेक्टर राज खत्म करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. सभी नोडल कमिश्नर (अथवा मुख्य कमिश्नर(आयुक्त), अध्यक्ष) स्तर के अधिकारियों पर प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) लागू करने से यह पक्का/सुनिश्चित होगा कि वे गलती करने वाले इंस्पेक्टरों के खिलाफ सबूत प्राप्त करने के लिए जाल बिछाएं। इस प्रकार, इंस्पेक्टर राज खत्म हो जाएगा। उदाहरण – जब नागरिकों के पास प्रदूषण जांच/नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को हटाने/बर्खास्त करने की प्रक्रिया (कानून) होगा तो अध्यक्ष यह पक्का/सुनिश्चित करेंगे कि इंस्पेक्टर घूस न ले/वसूले।
2 सरकारी कर्मचारियों पर जूरी सुनवाई से यह सुनिश्चित/पक्का होगा कि भ्रष्ट इंस्पेक्टर कैद होने/जेल जाने से न बच सके। इससे घूसखोरी कम हो जाएगी।
3. इसके अलावा, लेबर (मजदूर सम्बंधित ) इंस्पेक्टर , पी.एफ.(प्रोविडेंट फंड) इंस्पेक्टर आदि जैसे कई पद समाप्त कर दिए जाएं।
(44.24) गो-हत्या समाप्त / कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. गौ-हत्या पर सारे भारत में प्रतिबंध/रोक लगायी जाएगी। सांढ़ का बध करना और मांस (बेचना) राज्य सरकार पर निर्भर करेगा कि वह इसकी अनुमति दे या न दे।
2. गाय को गर्भधारण कराने में लिंग चयन/चुनाव की तकनिकी/प्रौद्योगिकी विकसित की जाएगी । इसलिए यदि कोई गाय मालिक गाय या सांढ़/बैल चाहे तो वह ऐसा कर सके।
3. टैक्टर के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता/रियायत समाप्त/रद्द कर दी जाए। इससे सांढ़/बैलों की संख्या बढ़ेगी।
4. गाय का मांस बेचने पर बैन/प्रतिबंध लगेगा। भारत भर में कहीं भी ऐसा करने पर जूरी 5 वर्ष की कैद/जेल की सजा दे सकती है।
5. भारत भर में कहीं भी गाय का कसाईघर चलाने वाले व्यक्ति को जूरी-मंडल ,10 वर्ष की कैद की सजा दे सकती है।
6. गाय के लिए गौशालों का खर्च भारत सरकार वहन करेगी।
7. गाय का निर्यात नहीं होगा। गाय के मांस का निर्यात करने वाले किसी भी व्यक्ति को 5 साल के कैद की सजा दे सकती है।
8. किसी एक राज्य की गाय किसी दूसरे राज्य में नहीं ले जाई जा सकेगी या दूसरे राज्य में नहीं बेची जाएगी।
9. सरकार बुढ़ी गायों को तय/नियत कीमत पर खरीदेगी।
10. गाय या भैंस के लिए कोई रियायत/आर्थिक सहायता नहीं मिलेगी।
11. दूध पर ‘गाय का दूध’ या ‘भैंस का दूध’ का अलग-अलग लेबल चिपकाया जाएगा। इस लेबल में यह भी बताया जाएगा कि दूध “देशी” या “गिर” या “जर्सी” गाय में से किसका है।