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- (44.4) खाने-पीने की चीज की सप्लाई (आपूर्ति) व खेती (कृषि) में सुधार के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.5) जमीन का दाम और घर का दाम स्थिर/स्थायी करने और घर के बनाने (गृह निर्माण) में सुधार करने, झुग्गी कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
- (44.6) भूमि अधिग्रहण (सरकार द्वारा जमीन लेना) के संबंध में `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव
जबकि , ये सभी लोकतान्त्रिक प्रशाशनिक प्रक्रियाएँ मेक्सिको में नहीं हैं | इसीलिए लोकतंत्र के 1-10 के पैमाने पर अमेरिका 7 है, मेक्सिको और भारत 2 से नीचे है |
(44.4) खाने-पीने की चीज की सप्लाई (आपूर्ति) व खेती (कृषि) में सुधार के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1. प्रजा अधीन – केन्द्रीय/राज्य कृषिमंत्री और प्रजा अधीन – केन्द्रीय/ राज्य सिंचाई मंत्री लागू करने से कृषि और सिंचाई में भ्रष्टाचार मिटेगा । इससे माल-गोदामों में सुधार होगा और ठंडा गोदाम/कोल्ड स्टोरेज की संख्या बढ़ेगी।
2. समर्थन मूल्य(सरकारी दाम) में बढौतरी से किसान नहर के रखरखाव के शुल्क और पानी के शुल्क का भुगतान कर पाएंगे।
3. इ.ए.एस. 01 और इ.ए.एस. 03 के ड्राफ्ट से जलापूर्ति/ पानी की सप्लाई में सुधार होगा।
4. खेती के लिए पानी का मीटर लगाने से पानी की बरबारदी रूकेगी और सप्लाई(आपूर्ति) में सुधार होगा।
5. हानिकारक कीटनाशकों पर रोक लगाना, सभी कीटनाशकों पर आर्थिक सहायता/रियायत समाप्त करना।
6. बासमती (चावल), मांस, अंडा, दूध, रूई आदि सहित खेती के सभी सामानों के दूसरे देश को भेजने (निर्यात) पर रोक/प्रतिबंध लगाना।
7. चिकेन (मुर्गी), अंडा, मांस पर आर्थिक सहायता/रियायत समाप्त करना।
8. रासायनिक खाद पर आर्थिक सहायता/सब्सीडी समाप्त करना, समर्थन मूल्य बढ़ाना।
9. ट्रैक्टर पर आर्थिक सहायता/सब्सीडी समाप्त करना, खाने-पिने की चीजों के समर्थन दाम(मूल्य) बढ़ाना।
10. प्रजा अधीन – जिला राशन(आपूर्ति) अधिकारी द्वारा राशन कार्ड प्रणाली(सिस्टम) में सुधार लाना और नागरिकों को राशन कार्ड मालिक बदलने का विकल्प देना।
11. राशन कार्ड प्रणाली(सिस्टम) में दालों को शामिल करना।
12. राशन कार्ड प्रणाली(सिस्टम) में देशी गाय का दूध शामिल करना।
(44.5) जमीन का दाम और घर का दाम स्थिर/स्थायी करने और घर के बनाने (गृह निर्माण) में सुधार करने, झुग्गी कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
1 सम्पत्ति-कर का ड्राफ्ट/प्रारूप जमीन की कीमतों में अस्थिरता कम/समाप्त कर देगा।
2 विरासत-कर ड्राफ्ट/प्रारूप से जमीन का दाम और भी स्थिर हो जाएगा।
3 ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) ड्राफ्ट से भारत सरकार के प्लॉटों के मूल्य में कमी आएगी।
4 सम्पत्ति-कर ट्रस्टों/न्यासों की सम्पत्ति पर भी यह कानून लागू होगा और इससे जमीन की कीमतों में और कमी आएगी तथा कीमतें स्थिर होंगी।
5 हिंदू एकजुट/अविभाजित परिवार (हिंदू अन-डिवाइडिड फॅमिली=एच.यू.एफ.) के स्वामित्व वाली सम्पत्ति को कर्ता(हिंदू अविभाजित परिवार में सबसे वरिष्ठ और सबसे पुराना व्यक्ति जो परिवार के सामाजिक और आर्थिक (पहलुओं के बारे में) निर्णय लेता है) की सम्पत्ति में जोड़ने से प्लॉट की कीमतें और भी कम होंगी और इससे प्लॉट की कीमतें और भी स्थिर रहेंगी।
6 जैसे जैसे जमीन की कीमतें कम होंगी वैसे वैसे झुग्गियां भी कम होंगी।
झुग्गी-झोपडियां होने का असली कारण
झुग्गी-झोपडियां इसीलिए हैं, क्योंकि झुग्गी-झोपडियों में रहने वाले स्थानीय नेता, बाबू, जजों, पोलिस-वालों आदि, को हफता देते हैं , झुग्गी-झोपडी यदि पब्लिक(सार्वजनिक)-जमीन पर हो, तो भी | वे हफता झुग्गी के गुंडे को देते हैं , जो मुख्यमंत्री या कोई मंत्री द्वारा सीधे रखा होता है | झुग्गी का गुंडा अपना हिस्सा रखता है, लेकिन उसका ज्यादातर राशि/पैसा स्थानीय पोलिस इंस्पेक्टर या स्थानीय तहसीलदार को जाता है, जो कुछ हिस्सा रखता है और बाकी अपने मालिक तो दे देता है | ऐसे ऊपर तक ये पैसा , मुख्यमंत्री या मेयर/महापौर को जाती है , इस बात पर निर्भर करता है कि वो जमीन राज्य सर्कार की है या नगर पालिका की |
जज इस तरह पैसा बनाते हैं : किसी समय , झुग्गी खाली करने का नोटिस आता है , और झुग्गी के गुंडे को एक वकील चाहिए एक रोक-आदेश(स्टे-आर्डर) लेने के लिए | ये गरीबों की मदद करने का सम्मान , हमेशा उस वकील को जाता है , जो जज का रिश्तेदार भी होता है |
तो झुग्गियां वोट-बैंक के कारण नहीं हैं, लेकिन सिर्फ पैसे के कारण हैं
बहुत से बुद्धिजीवी हमेशा मौका देखते हैं हम आम नागरिकों को नीचा दिखाने का, और लोक-तंत्र को नीचा दिखाने का | इसीलिए वे लोकतंत्र को झुग्गियों का गलत कारण बताते हैं | और वे हम आम नागरिक, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को मुफ्तखोर बताते हैं | जबकि असल में, झुग्गी-झोपड़ी के रहने वाले मुफ्तखोर नहीं हैं, क्योंकि वे नेता-बाबू-जजों को हफता देते हैं झुग्गी के गुंडे के द्वारा | लेकिन बुद्धिजीवी इस सच्चाई को छुपाते हैं और इसका उल्टा बोलते हैं |
(44.6) भूमि अधिग्रहण (सरकार द्वारा जमीन लेना) के संबंध में `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
भूमि अधिग्रहण(प्राप्ति) औद्योगिक संपदा(कारखानों) के विकास के लिए महत्वपूर्ण कारण है और औद्योगिक संपदा का विकास आगे चलकर हथियारों के निर्माणों के लिए आवश्यक तकनीकी गुण/प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए अत्यन्त आवश्यक है। साथ ही, निर्माण की काबिलियत(क्षमताओं) के अभाव में भारत दूसरे देशों से माल मंगाने(आयातों) पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गया है और निर्माण की ताकत/क्षमता कम होने के अनेक कारणों में से एक कारण है – उलझाव वाली जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया/तरीका । मेरे द्वारा प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया/तरीका छोटे में (संक्षिप्त सार) निम्नलिखित है :-
- पहला कदम जमीन मालिकी(स्वामित्व) का आंकड़ा कोष(डाटाबेस) तैयार करना है। और प्रत्येक व्यक्ति को एक अलग लेबल– (क) किसी फ्लैट का मालिक नहीं (ख) एक फ्लैट का मालिक (ग) दो फ्लैटों का मालिक (घ) तीन फ्लैटों का मालिक (च) तीन से अधिक फ्लैटों का मालिक (छ) किसी भी प्लॉट का मालिक नहीं (ज) एक प्लॉट का मालिक (झ) दो प्लॉटों का मालिक (ट) तीन प्लॉटों का मालिक (ठ) तीन से ज्यादा प्लॉटों का मालिक (ड) प्रति वर्ष 2 लाख से कम की आय (ढ़) प्रति वर्ष 2 लाख से 5 लाख के बीच की आय (त) पांच लाख और 10 लाख के बीच की वार्षिक आय (थ) प्रति वर्ष 10 लाख अथवा ज्यादा के बीच की आय (द) परिवार के हर सदस्य पर 25 वर्ग मीटर से अधिक की सम्पत्ति का दाम(मूल्य)।
- बिन्दु 1. का उद्देश्य : बहुत सारे लोग अपने आप को असहाय के रूप में दिखलाते हैं और बहुत अधिक मुआवजे की मांग करते हैं। बिन्दु 1. में इकट्ठा किए गए आंकड़ों(डाटा) का उपयोग इस बात के लिए किया जा सकता है कि क्या कोई व्यक्ति केवल बाजार दर पर मुआवजे का पात्र है अथवा उसे बाजार दर से अधिक का भी मुआवजा दिया जाना चाहिए। यदि उस व्यक्ति के पास अतिरिक्त धन के अनेक प्लॉट हैं तब वह बाजार दर से ऊंची दर पर मुआवजे का पात्र नहीं होगा।