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302.h.pdf (पी.डी.एफ.), 302.h.doc (डोक.) में विस्तार से बताए जाने वाले विषय |
(44.1) 302.h.pdf (पी.डी.एफ.), 302.h.doc (डोक.) क्या है? |
यह किताब 301.h पी.डी.एफ. (अर्थात 301.h डोक.) है। कुछ दिनों के बाद मैं इस किताब की सामग्री पूरी कर दूंगा। बहुत से महत्वपूर्ण विषय अगली किताब में शामिल किए जाएंगे, जिसका नाम 302.h पी.डी.एफ. है। संक्षेप में, 302.h पी डी एफ इस किताब 301.h पी.डी.एफ. का अगला भाग है।
(44.2) जम्मू-कश्मीर और शेष भारत में इस्लामिक कट्टरपंथी से हिंसा कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
जम्मू-कश्मीर के पाठ,34 में मैंने भारत में इस्लामिक कट्टरपंथी से हिंसा में कमी लाने के लिए (आवश्यक) प्रशासनिक प्रस्तावों का वर्णन किया है। ये प्रस्ताव भारतीय सेना और औद्योगिक परिसरों(इमारतों) को सुदृढ़ बनाएंगे और इन इमारतों/परिसरों का उपयोग सऊदी अरब, अमेरिका, इंग्लैण्ड और चीन और उनके कटपुतली(एजेंट) पाकिस्तान और बांग्लादेश को रोकने में किया जाएगा। शेष भारत में इस्लामिक कट्टरपंथी से हिंसा को रोकना बहुत ही मामूली/आसान बात है। भारत में इस्लामिक कट्टरपंथी से हिंसा का उदाहरण बड़ी संख्या में है और एक मामले का अध्ययन http://www.dailypioneer.com/281865/People-flee-area-after-communal-clashes-in-Bengal.html पर पश्चिम बंगाल के डगांगा के बारे में है।
जिन समाधानों का प्रस्ताव मैं करता हूँ, वे हैं :-
- प्रजा अधीन – जिला पुलिस प्रमुख
- प्रजा अधीन – प्रधानमंत्री
- प्रजा अधीन – मुख्यमंत्री
- प्रजा अधीन – सुप्रीम कोर्ट जज
- प्रजा अधीन – हाई कोर्ट जज
- प्रजा अधीन – जिला जज
- प्रजा अधीन – जिला राज्य और राष्ट्रीय लोक दण्डाधिकारी/प्रोजिक्यूटर/सरकारी वकील
- बहुमत के अनुमोदन द्वारा प्रधान मंत्री (अथवा पूर्व प्रधानमंत्री) को कैद, फांसी
- बहुमत के अनुमोदन द्वारा मुख्यमंत्री (अथवा पूर्व मुख्यमंत्री) को कैद, फांसी
- बहुमत के अनुमोदन द्वारा सुप्रीम कोर्ट जज अथवा (पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज) को फांसी, कैद
- बहुमत के अनुमोदन द्वारा हाई कोर्ट जज अथवा (पूर्व हाई कोर्ट जज) को फांसी, कैद
- बहुमत के अनुमोदन द्वारा जिला पुलिस प्रमुख (अथवा पूर्व जिला पुलिस प्रमुख को फांसी, कैद
उपर बताए गए परिवर्तन भारत में इस्लामिक कट्टरपंथी से हिंसा रोकने/कम करने के लिए पर्याप्त होंगे।
(44.3) बेरोजगारी और गरीबी कम करने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
“इंजिनियरिंग कौशल में सुधार के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव” शीर्षक में दिए गए पाठ में मैंने अपने प्रस्तावित कानून/ड्राफ्टों को विस्तार से बताया है। (कृपया इंजिनियरिंग कौशल पर पाठ 26 देखें)।
- ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) ड्राफ्ट/प्रारूप आम लोगों की आय बढ़ा देगा और इस प्रकार यह सामानों की मांग बढ़ा देगा। इससे निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार बढ़ेगा।
- ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूप/ड्राफ्ट जमीन की कीमत घटा देगा और इस प्रकार किराया कम हो जाएगा। इसके परिणाम से नया धंधा शुरू करना आसान होगा और इस प्रकार रोजगार बढ़ेगा।
- `सम्पत्ति-कर` प्रारूप/ड्राफ्ट जमीन के मूल्य पर 2 प्रतिशत का टैक्स लगाता है और इस प्रकार जमीन की जमाखोरी कम होगी। और इसलिए जमीन की कीमत घटेगी। इस प्रकार व्यक्ति के लिए व्यावसाय शुरू करना आसान होगा और इसलिए बेरोजगारी घटेगी।
- 300 प्रतिशत सीमा(आयात) शुल्क से आयात घटेगा और स्थानीय विनिर्माण बढ़ेगा।
- धंधे/व्यवसाय में आने और छोड़ने की आसान शर्तों से भी रोजगार बढ़ेगा।
- आसानी से काम पर रखने और काम से हटाने यानि हायर-फायर कानून लागू करने से वैसे लोगों की संख्या बढ़ेगी जो व्यवसाय, उद्योग आदि शुरू करना चाहते हैं। इसलिए इससे भी बेरोजगारी घटेगी/दूर होगी।
क्या गरीबी भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है ?
सरकार के निचले स्तर के कर्मचारी भी आम नागरिकों से , पैसों के अनुसार,अच्छी स्थिति में हैं | और यदि गरीबी भ्रष्टाचार का कारण होता, तो क्या नेता-बाबू-जज-पुलिसवाले रिश्वत लेते , जब उन्होंने कुछ लाख रुपये कमा लिए हैं ? लेकिन हम तो देखते हैं कि रिश्वत लेना तो बढ़ता ही जाता है, घटता नहीं है |
ऐसे कई सरकारी विभाग हैं जहाँ प्रक्रियाएँ इतनी अच्छी हैं कि सरकारी कर्मचारी को कोई मौका नहीं मिलता रिश्वत लेने के लिए | उदाहरण , एक बैंक के क्लर्क को लें | उसे 1-2 दिनों में चेक पास करना होता है नहीं तो वापस करना होता है | उसके पास कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं होता है | इसीलिए वो रिश्वत नहीं लेता और कम पैसों के साथ रहता हैं राजस्व (सरकार/राज्य की आमदनी) विभाग के मुकाबले , जो सचमुच सालाना एक लाख से दस लाख रुपये बनाते हैं रिश्वत ले कर | अभी दोनों क्लर्क मिलते-जुलते वातावरण/हालात से आते हैं और फिर भी बैंक के क्लर्क को स्थिति से संतोष करना पड़ता है और साधारण / सामान्य जीवन जीना पड़ता है | जबकी राजस्व(सरकार की आमदानी) विभाग के क्लर्क को मौका मिलता है और सज़ा का कोई डर नहीं है , वो भ्रष्टाचार करता है |
और हाँ , शक्ति ऊच स्तर में इतनी केंद्रित है कि हर कोई कैसे भी चाहता है कि वो और उसके रिश्तेदार न्यायतंत्र,नेता और बाबूओं, आदि की उच्च पदों को पा ले |
गरीबी लोकतंत्र के नहीं होने के वजह से है
लोकतंत्र ,यानी लोगों का शाशन, का मतलब कि लोग निर्णय ले सकें देश के मामलों में, केवल कुछ ही लोग नहीं |
गरीबी लोकतंत्र के नहीं होने के वजह से है | हम आम नागरिक भारत में, क़ानून नहीं बना सकते | हम आम नागरिक फैसले नहीं कर सकते जूरी सिस्टम के द्वारा | हम आम नागरिकों के पास जजों, जिला पोलिस मुखिया , जिला शिक्षा अधिकारी आदि को बदलने/निकालने का अधिकार नहीं है | इसीलिए ये नेता-बाबू-जज-प्रभंधक-पोलिस-बुद्धिजीवी और उच्च वर्ग हम आम नागरिकों को लूट लेते हैं | अम्बेडकर के वजह से हम आम नागरिकों को सांसद और विधायक को चूनने का अधिकार मिला है , जिससे कुछ सुधर हुआ है, लेकिन अकेला वो अधिकार 1% भी भ्रष्टाचार नहीं रोक सकता |
यह अकेले लोकतंत्र के वजह से ही देश के सभी लोग अमीर बन सकते हैं |
अमेरिका पूंजीवाद के वजह से अमीर नहीं है, लेकिन लोकतंत्र के वजह से अमीर है |
और बहुत से दक्षिणी अमेरिकी देशों ने पूंजीवाद अपनाया और फेल/असफल हो गए |ना ही पूंजीवाद, ना ही साम्यवाद काम करेगा गरीब और मेहनती के लिए | केवल लोकतंत्र काम करेगा गरीबों के लिए | मेक्सिको की लोकतंत्र भारत जितनी कमजोर है | यदि भारत से तुलना करो : अमेरिका में लोग जिला पोलिस मुखिया, जन/लोक दंडाधिकारी, जजों जिलों और राज्यों में, जिला शिक्षा अधिकारी और जूरी सिस्टम का प्रयोग/इस्तेमाल करते हैं|