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इसी प्रकार लगभग सभी आम लोगों की ही तरह मैं भी इस बात से सहमत हूँ कि जजों, प्रोफेसरों, पुलिसवालों और छात्रों के भारतीय प्रबंधन संस्थान में भर्तियों के दौरान साक्षात्कार/इंटरवू पर रोक होनी चाहिए। लेकिन सभी सांसद, विधायक और बुद्धिजीवी वैसे कानून पर अड़ जाते हैं जो साक्षात्कार को बढ़ावा देते हैं । वे लोग साक्षात्कारों का समर्थन करते हैं क्योंकि यह उन्हें घूस/रिश्वत वसूल करने में मदद करता है, उनके संबंधियों को भर्ती में फायदा पहुंचाता है और मेधावी लेकिन “वैचारिक असुविधाजनक “ वाले लोगों को निकाल बाहर करता है। यही वह समय होता है जब यदि नागरिकों के पास कानूनों पर हां-नहीं दर्ज कराने की प्रक्रिया/तरीके का विकल्प होता है तो वे इसका प्रयोग करने में समर्थ होते हैं ।
(3.3) क्यों प्रमुख बुद्धिजीवी इस `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) – सरकारी अधिसूचना(आदेश) की मांग का विरोध करते हैं? |
जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली सरकारी अधिसूचना(आदेश) की इस मांग के लिए हजारों-करोड़ों रूपए की जरूरत नहीं और न ही इसके लिए हजारो स्टाफॅ को काम पर लगाने या हजारों भवन अथवा सड़क की जरूरत है। और नागरिकों द्वारा बताए हुए हमारे संविधान के अनुसार मुख्य मंत्री को इस परिवर्तन को लाने के लिए विधायकों के अनुमोदन/स्वीकृति की भी जरूरत नहीं पड़ती ।
तो भी सभी दलों के सांसद और सभी प्रमुख बुद्धिजीवी इस प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना(आदेश) के दुश्मन हैं। सभी दलों के नेताओं ने इस प्रस्ताव से घृणा किया और और उनके मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री ने इस सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर करने की हमारी मांग पूरी न करने की कसम खाई हुई है। भारत के सभी प्रमुख बुद्धिजीवियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है और प्रधानमंत्री एवं मुख्य मंत्रियों से इस जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर न करने को कहा है । आखिर क्यों?
परिवर्तन की प्रक्रिया तब मूर्त रूप लेती है जब करोड़ों नागरिक बदलाव चाहते हैं और रोके से नहीं रूकते जब इन सभी करोड़ों नागरिकों को पता होता है कि करोड़ो साथी नागरिक उनके साथ हैं।
मैं अपने इस वाक्य को दोहराता हूँ क्योंकि ये वाक्य उन सभी बड़े बदलाव का आधार— है जिन्हें नागरिकों ने पिछले 3000 वर्षों में लाया है।
“यह बदलाव की प्रक्रिया तब होती है जब करोड़ों नागरिक सहमत हो जाते हैं और उन करोड़ों नागरिकों को यह पता होता है कि साथी करोड़ों नागरिक उनके साथ सहमत हो गए हैं ”
करोड़ों नागरिक का यह जानना कि करोड़ों साथी नागरिक क्या चाहते है, यही राजनीतिक अंकगणित का शून्य है। ये बुद्धिजीवी और पत्रकार हमेशा हरेक आम लोगों को सन्देश देने की कोशिश करते रहते हैं कि वह अकेला है और बाकी करोड़ों आम आदमी जागरूक नहीं हैं और सो रहे है । यहजनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली न केवल लोगों को किसी प्रस्तावित बदलाव के लिए हां/ना दर्ज करने को अधिकार देता है बल्कि यदि करोड़ों लोग बदलाव लाने पर सहमत हो गए हैं, तो उन सबको पता चल जाता है कि करोड़ों अन्य लोग भी बदलाव चाहते हैं।
यह प्रक्रिया मीडिया मालिकों को यह अफवाह फैलाने का मौका नहीं देता कि लोग परवाह नहीं करते। जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली मीडिया मालिकों की करोड़ों नागरिकों की प्राथमिकताओं की छवि को तोड़ मरोड़कर पेश करने की ताकत कम कर देता है।
मैं प्रजा अधीन राजा समूह के सदस्य के रूप में यह शपथ लेता हूँ कि किसी भी पार्टी के लिए 5 वर्षों तक मुफ्त में प्रचार करूँगा और कर अदा की हुई अपनी गाढ़ी कमाई का 10 लाख रुपया खर्च करूँगा उस पार्टी के अभियान के लिए कि प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्रीजनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून पर हस्ताक्षर करे। मैं इस जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली चाहता हूँ। चुनाव जीतना मेरा लक्ष्य नहीं है |
मैं नहीं चाहता लोग मुझे वोट देने की तकलीफ उठाएं – मैं नागरिकों से केवल यही चाहता हूँ कि वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों से इस सरकारी अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर करने की मांग करें। मैं लोगों से प्रजा अधीन राजा समूह के किसी उम्मीदवार को वोट देने को तब कहूंगा यदि और केवल यदि वो सचमुच जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली चाहते हैं और वे इस बात से संतुष्ट हों कि अन्य दलों के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री इसपर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली हमारी प्रजा अधीन राजा समूह के राजनीतिक आन्दोलन का केंद्र है जो भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारना चाहता है और हमारी प्रजा अधीन राजा समूह का दावा है : – नागरिकों द्धारा प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने के बाद सिर्फ 4 महीनों के अन्दर गरीबी कम हो जाएगी और पुलिस, न्यायालय और शिक्षा से भ्रष्टाचार लगभग खत्म हो जायेगा और नागरिकों द्धारा प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने के 10 वर्षों के अन्दर भारत प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और सेना के मामले में पश्चिमी देशों के समकक्ष आ जाएगा।
मैं अपने इस दावे को एक बॉक्स में दोहराता हूँ :
`जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` का मेरा दावा :- नागरिकों द्धारा प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने के बाद सिर्फ 4 महीनों के अन्दर गरीबी कम हो जाएगी और गरीबी से होने वाली मौंतें नगण्य हो जाएंगी और भारत के पुलिस, न्यायालय और शिक्षा में भ्रष्टाचार लगभग समाप्त हो जायेगा: और नागरिकों द्धारा प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने के 10 वर्षों के अन्दर भारत प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और सेना के मामले में पश्चिमी देशों के समकक्ष आ जाएगा।
(3.4) नागरिकों से हमारा अनुरोध |
हम लोग सभी नागरिकों से निम्न प्रार्थना करते है :-