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दूसरे शब्दों में, आधुनिक लोकतंत्र सशस्त्र नागरिक समाज,जो हथियार बना सके और रख सके , के कारण ही आया है। वास्तव में, मैं यह दिखा सकता हूँ कि लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें आम लोगों के पास हथियार होते हैं और हथियार बना सकते हैं अथवा सही मायने में लोकतंत्र सशस्त्र नागरिक-समाज का स्वागतयोग्य लक्षण होता है, कुछ और नहीं।
(29.4) हम आम लोगों को हथियार बनाने देना और रखने देना : कल्याणकारी (नागरिकों की भलाई करने वाला ) राज्य की जननी |
वर्ष 1930 में, अनेक अमेरिकियों का रोजगार छिन गया और उनके पास अनाज/भोजन खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे और उन्हें अपने घरों से भी हाथ धोना पड़ा क्योंकि उनके पास किराया देने के लिए भी पैसे नहीं थे। अमेरिकी विशिष्ट लोगों ने तुरंत आयकर की दर को वर्ष 1928 में 25 प्रतिशत से वर्ष 1936 में 70 प्रतिशत चरणों में बड़ा दिया। और `विरासत कर` को 1928 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 1936 में 70 प्रतिशत कर दिया। और जमीन के अनुमानित मूल्य का लगभग 1 प्रतिशत `संपत्ति कर` भी थोप दिया गया। इन पैसों का उपयोग आश्रय-गृहों, सूप किचेन (नि:शुल्क भोजन देने का स्थान ), बेकारी भत्ता, सैन्य औद्योगिक परिसरों (रोजगार के सृजन के लिए) और अन्य औद्योगिक कार्यकलापों (जैसे सड़कें आदि) के लिए किया। घाटे का बजट/वित्त का उपयोग किया गया, लेकिन 1932-2008 तक की अवधि के दौरान कुल मिलाकर, सभी खर्चों में से 20 प्रतिशत से भी कम खर्चे घाटों से पूरे किए गए। शेष 80 प्रतिशत (व्यय) इन आयकर, `संपत्ति कर`, `विरासत कर` और अन्य प्रकार के करों/टैक्सों से पूरे किए गए।
अमेरिका के विशिष्ट/ऊंचे लोग ऐसे करों को चुकाने पर राजी कैसे हो गए? किसी चुनावी प्रक्रिया के कारण नहीं क्योंकि संघीय स्तर पर अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया में ‘प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार)’ कानून नहीं है और इसलिए यह(संघीय स्तर पर अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया) बहुत ही कमजोर है। मजबूर कर देने वाला कारण, कि क्यों अमेरिकी विशिष्ट/ऊंचे लोगों ने कल्याणकारी व्यवस्था के लिए धन देने हेतु अधिक ऊंची दर पर टैक्स व्यवस्था का सृजन किया, वह यह था कि वहां 70 प्रतिशत से ज्यादा नागरिकों के पास बंदूकें थीं। दूसरे शब्दों में, आम लोगों द्वारा हथियारों का बनाना और आम लोगों को शस्त्रों से लैस करना ही कल्याणकारी राज्य की जननी है। भारत में नागरिकों के पास हथियार नहीं है और इसलिए विशिष्ट/ऊंचे लोग सरकारी पैसों को भूख की समस्या का समाधान करने पर (खर्च करने) की बजाए भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आई.आई.एम.), जवाहरलाल नेहरू विश्ववद्यालयों (जे.एन.यू.), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.), राजमार्गों, वायुमार्गों, हवाई अड्डों आदि (बनाने/चलाने) पर बेतहाशा खर्च करते हैं। यह तथाकथित कल्याणकारी राज्य और कुछ नहीं बल्कि सशस्त्र(हत्यारों से लैस) नागरिक-समाज का स्वागतयोग्य लक्षण होता है, कुछ और नहीं। और कल्याणकारी राज्य का न होना नागरिक-समाज में हथियारों का अभाव होने के कारण है।
(29.5) आम लोगों का सशस्त्रीकरण (हथियार बनाना व रखना) : आक्रमण / हमला रोकने का सच्चा साधन |
भारत पाकिस्तान (सऊदियों के समर्थन से), चीन और अमेरिका से शत्रुता झेल रहा है। पाकिस्तान भारत पर हजार कारगिल युद्ध थोपने के लिए आवश्यकता से अधिक उत्सुक है। चीन अरूणाचल प्रदेश के मुद्दे पर आक्रमण करने की धमकी देता है। और अमेरिका सैकड़ों हजारों भारतीयों की हत्या करने के लिए आतंकवादियों को (भारत) भेजने में आई.एस.आई. की लगातार मदद कर रहा है ताकि “पाकिस्तान से सुरक्षा” के लिए भारत को अमेरिका पर निर्भर होना पड़े। इसके अलावा अमेरिका और इंग्लैण्ड भी कश्मीर को आजाद करने/करवाने पर जोर दे रहे हैं ताकि अमेरिका/इंग्लैण्ड वहां अपने अड्डे स्थापित कर सकें। अब यदि अमेरिका, चीन और सऊदियों ने सारे हथियार और धन पाकिस्तान को उपलब्ध करा दिए/दे दिए तो भारत गंभीर खतरे में पड़ सकता है। मात्र 11,00,000 (सैनिकों) की सेना और 10,00,000 सैनिकों वाले अर्ध सैनिक ही पर्याप्त नहीं होंगे।
इसे रोकने का सबसे बेहतर तरीका प्रत्येक नागरिक को हथियार से सज्जित/लैस करना है। जैसा कि जोसेफ स्टॉलिन ने 1941 में कहा था “हर हाथ जो बंदूक उठा सकते हैं, उनमें बंदूकें होनी चाहिए।” हम कहते हैं, “अपने सभी ऐसे (शारिरीक रूप से समर्थ) नौजवानों को जेल में डाल दो, जो बंदूक रखने से मना करते हैं।” पूरे नागरिक समाज को हथियारबन्द करना पाकिस्तान, अमेरिका आदि को रोकने का सबसे निश्चित और सबसे तेज तरीका है।
जब आम लोगों को हथियारों से लैस कर दिया जाता है, तो सबसे शक्तिशाली सेनाएं भी उस देश पर आक्रमण न करने का ही निर्णय करती हैं। उदाहरण – वर्ष 1940 में एकमात्र कारण कि ऐडोल्फ (हिटलर) ने स्विटजरलैण्ड पर आक्रमण नहीं किया, वह यह था कि स्विटजरलैण्ड के सभी नागरिकों को भरपूर हथियार देकर शक्तिशाली बनाया गया था। नहीं तो ऐडोल्फ स्विस बैंकों में पड़े सोने की ओर बहुत आकर्षित था जिसकी उसे अत्यधिक जरूरत थी, ताकि वह युद्ध में पैसे लगा सके। सच्चाई ये थी कि प्रत्येक स्विस नागरिक के पास बंदूक थी, जिसने ऐडोल्फ को रोक दिया। भारतीय बुद्धिजीवी लोग झूठ बोलते हैं कि ऐडोल्फ ने स्विट्जरलैण्ड पर आक्रमण इसलिए नहीं किया क्योंकि वह उनकी स्वायत्ता का सम्मान करता था। यह बिलकुल झूठ है और हथियारबन्द नागरिक-समाज के महत्व के बारे में भारत के छात्रों और कार्यकर्ताओं को अनजान रखने के लिए बनाई गई मनगढ़ंत कहानी है और झूठी बात है |
(29.6) आम लोगों का सशस्त्रीकरण (हथियारों का बनाना और रखना) : स्वतंत्रता का सच्चा साधन |
वर्ष 1938 में भारत में ब्रिटेनवासी/अंग्रेज जिनके पास हथियार थे, उनकी संख्या मात्र 80,000 थी और (फिर भी) उन्होंने 35 करोड़ की आबादी वाले हमारे राष्ट्र पर शासन किया !! और आज 100,000 अमेरिकी सैनिक मात्र 3 करोड़ की आबादी वाले अफगानिस्तान पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। क्यों? क्योंकि 99 प्रतिशत से ज्यादा आम भारतीयों के पास बंदूकें नहीं थीं, जबकि अफगानिस्तान में बंदूक का चलन/बंदूक संस्कृति इतनी ज्यादा है कि लोग किसी व्यक्ति और उसके पूरे परिवार का मजाक उड़ाएंगे यदि उसके पास बंदूक नहीं है। दूसरे शब्दों में, भारत गुलाम इसलिए हुआ, क्योंकि आम आदमी शस्त्रहीन/बिना हथियार के थे। और अफगानिस्तान अभी भी पूरी तरह गुलाम नहीं बन पाया है तो यह वहां के सशस्त्र/`हथियारों से लैस` समाज के कारण ही है।
बंगाल में लगभग 40 लाख लोगों की मौत 1940 के दशक में हुई। इसलिए नहीं कि वहां अनाज की कमी थी, बल्कि इसलिए कि उनके पास बंदूकें नहीं थीं और इसलिए वे अंग्रेजों और विशिष्ट लोगों को अपने अनाज चुराकर ले जाने से नहीं रोक सके। जहां नागरिकों के पास बंदूकें नहीं हैं, वहां आजादी भी नहीं है – बाहरी ताकतों से भी आजादी नहीं और स्थानीय विशिष्ट/ऊंचे लोगों से भी आजादी नहीं। सशस्त्र(हथियारों से लैस) नागरिक-समाज आजादी को कायम रखने का एकमात्र ज्ञात स्रोत है।