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दान / चन्दा के खिलाफ क्यों? |
(20.1) समाचारपत्रों के विज्ञापनों के लिए योगदान / अंशदान, लेकिन सीधे नकद दान / चन्दा नहीं |
मैं दान/चन्दा विरोधी हूँ। जब तक मैं राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह का प्रभारी रहूंगा, मैं राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के लिए दान नहीं लूंगा। अब तक मैंने केवल थोड़े पैसे (1100/-रूपया) का दान एक राजनैतिक दल को इसके कार्य संचालन के लिए दिया है। और मैंने 80 जी की छूट भी नहीं ली। उस नकद दान को छोड़कर मैंने कभी किसी राजनैतिक दल को चन्दा नहीं दिया। इस पाठ में, मैं यह दिखलाना चाहता हूँ कि किसी राजनैतिक दल को पैसा चन्दा में देने का नुकसान ही ज्यादा है और किसी राजनैतिक दल को पैसा चन्दा में देने के फायदे कम हैं।
मैं सभी से प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में जानकारी फैलाने के लिए हर सप्ताह कम से कम एक घंटा का योगदान करने के लिए कहता हूँ। मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) समर्थकों से उनके कार्यालयों में बैठकों के लिए स्थान उपलब्ध कराने का अनुरोध करने, अपनी पसंद का एक समाचारपत्र विज्ञापन देने, जिससे नागरिकों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट आदि के क्लॉज/खण्डों के बारे में जानकारी मिलेगी, पर्चियां/पम्फलेट्स छपवाकर बांटने/बंटवाने और इसी तरह के अन्य कार्य करने का अनुरोध करने तक ही सीमित रहूंगा।
दूसरे शब्दों में, मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) समर्थकों से प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट आदि के बारे में जानकारी फैलाने के लिए आवश्यक सामग्रियों के मूल्यों का कुछ भाग वहन करने के लिए कहूँगा। लेकिन मैं कभी भी प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) समर्थकों से नकद पैसा देने के लिए नहीं कहूँगा।
(20.2) सीधे दान लेने और अप्रत्यक्ष रूप से योगदान / अंशदान करने के बीच तुलना |
- नकद दान नेता को यह अवसर दे देता है कि वह वैसे कार्यकलापों को करने लगे जो औपचारिक एजेंडे/कार्यसूची में शामिल नहीं है जबकि यदि कोई प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) समर्थक समाचारपत्र के कार्यालय को सीधे भुगतान करता है, बैठकों के लिए स्थान उपलब्ध कराता है, पर्चियों/पम्फलेट्स बांटता है तब इसमें यह निश्चित होता है कि पैसा केवल एजेंडे/कार्यसूची पर ही खर्च किया गया है और एजेंडे/कार्यसूची के बाहर के किसी भी चीज पर नहीं।
- किसी नेता को पैसा क्यों चाहिए, स्वयं की सहायता के लिए? देखिए, ज्यादातर नेताओं के पास खुद का बहुत ज्यादा धन होता है और उन्हें अपने सहयोग के लिए और पैसे की जरूरत नहीं होती। साथ ही, वे अंशकालिक/पार्ट टाइम नौकरी प्राप्त करने के लिए भी पात्र/सक्षम होते हैं। यदि कोई नेता अपनी सहायता के लिए पैसे की जरूरत बताता है तो सदस्यगण उसे “एक सौगात/गिफ्ट” के रूप में पैसे अवश्य दे देंगे। लेकिन वह पैसा नेता के लिए होगा पार्टी के लिए नहीं। नेता यह दावा करते हैं कि उन्हें पैसे की जरूरत है तो इसका मुख्य कारण यह है कि वे अपने राजनैतिक कार्यकलापों को बढ़ाना चाहते हैं।
- इसलिए ऐसे मामलों में क्यों न नेता को सीधे नकद पैसा देने के बजाए कार्यकलापों के लिए सीधे-सीधे योगदान/अंशदान किया जाए। नेता उन सभी कार्यों की सूची बना सकते हैं और कोई भी सदस्य अपनी पसंद के किसी भी कार्यकलाप के लिए योगदान/अंशदान दे सकता है।
- एक और कारण कि क्यों नेता दावा करते हैं कि उन्हें पैसा चाहिए, वह है – उन्हें बैठकें आयोजित करनी होती हैं । बैठकों के लिए स्थानीय स्तर पर 1 या 2 व्यक्ति मैदान/स्थल का किराया देने के लिए अथवा किसी हॉल का किराया देने के लिए पैसा दे सकते हैं। बाकी पैसा का खर्च नेता द्वारा खुद उठाने की आशा की जाती है। साथ ही, क्योंकि टेलिविजन अब हर जगह उपलब्ध हो गया है इसलिए व्यापक बैठकों और जमावड़े का महत्व कम हो गया है।
- नेता यह भी दावा करते हैं कि उन्हें रैलियां आयोजित करने के लिए पैसा चाहिए। यह तर्क झूठा है। रैलियों में हर व्यक्ति अपने-अपने खर्चे से आता है। रैलियों के लिए तो एक भी पैसे की जरूरत नहीं होती।
इसलिए कुल मिलाकर मैं वास्तव में ऐसा कोई मजबूर करने वाला कोई कारण नहीं देखता कि जिसके लिए नेता पैसे की मांग करें। उन्हें समर्थकों से केवल समाचारपत्र विज्ञापन देने अथवा पम्फलेट्स/पर्चियां बांटने के लिए ही कहना चाहिए लेकिन वह भी हर समर्थक अपने आप से ही करे।
(20.3) 80 जी का विरोध |
हालांकि दान मान्य है, फिर भी धारा 80 जी, 35 ए सी अथवा किसी भी अन्य धारा के तहत कर से छूट प्राप्त करने से पूरी तरह बचना चाहिए। क्यों? क्योंकि 80 जी और 35 ए सी सरकारी राजस्व को हानि पहुंचाते हैं और इस प्रकार भारत की सेना, पुलिस और न्यायालयों/कोर्ट को भी हानि पहुंचाते हैं। जैसा कि मैंने पहले भी जोर देकर कहा है कि राइट टू रिकॉल ग्रुप/प्रजा अधीन राजा समूह के सदस्य के रूप में मेरे प्रस्तावों में से एक है – धारा 80 जी और धारा 35 ए सी को समाप्त करना, ताकि कर/टैक्स चोरी जो कि दान अथवा समाज सेवा अथवा राजनीतिक सेवा के नाम पर की जा रही है, उसे समाप्त किया जा सके। इसलिए कम से कम मुझे एक राजनैतिक दल/समूह के रूप में धारा 80 जी का उपयोग बिलकुल ही नहीं करना चाहिए।