सूची
(14.5) एकमात्र कार्य – संचार / संपर्क कार्य |
इसलिए वे लोग जो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) के प्रारूपों/ड्राफ्टों का समर्थन करते हैं उनका काम नागरिकों को यह बताना है –
- कि `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट के खण्ड गरीबी, पुलिसवालों में भ्रष्टाचार, न्यायालयों में भ्रष्टाचार आदि को कम कर देंगे।
- और नागरिकों को यह भी बताएं कि वे बुद्धिजीवी झूठे हैं जो यह दावा करते हैं कि नागरिक प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों को बाध्य करने में सक्षम नहीं हैं/ बाध्य नहीं कर सकते और वे ये झूठी बातें केवल कार्यकर्ताओं को रास्ते से भटकाने के लिए कहते हैं ताकि कार्यकर्तागण केवल गैर सरकारी संगठनों अथवा राजनैतिक पार्टियों के लिए ही काम करें और कोई आन्दोलन करने का लक्ष्य नहीं बनाएं।
ये दोनों बातें (लोगों को) बताना आवश्यक/जरूरी है और इतना करना ही काफी होगा।
(14.6) अपनी बात का प्रचार-प्रसार कैसे किया जा सकता है? |
यह बताने में लगभग 20-25 घंटे लगते हैं कि कैसे `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली क़ानून-ड्राफ्ट, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (आमदनी) (एम. आर. सी. एम.) क़ानून-ड्राफ्ट और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) ड्राफ्ट गरीबी और भ्रष्टाचार कम कर सकती है|
नागरिकों के उचित प्रश्नों का उत्तर देने के लिए और उन्हें `जनता की आवाज़` पारदर्शी शिकायत प्रणाली ड्राफ्ट , नागरिक और सेना के लिए खनिज रोयल्टी(आमदनी) (एम.आर.सी.एम) ड्राफ्ट और भ्रष्ट कों निकालने का अधिकार के ड्राफ्ट कों उन्हें समझाने के लिए , पहले स्वयं कों ये प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट कों समजने के लिए 200-2000 घंटों की आवश्यकता होती है | बुद्धिजीवियों के अधिक प्रश्न होंगे बनस्पत के अन्य लोगों के |
इसीलिए जिन्हें ये क़ानून-ड्राफ्ट भारत में लागू करवाने हैं . उनको अपने आसपास के अधिक से अधिक नागरिकों कों ये ड्राफ्ट कों सूचित करना है|
तो ये सूचना कैसे फ़ैल सकती है, इसका अनुमानित मॉडल/नक्शा निम्नलिखित है
पहला (प्रसारण) स्तर
- अपना समय और वित्तीय संसाधन/पैसा खर्च करके मैं `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के खण्ड, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) क़ानून-ड्राफ्ट , नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूपों आदि के बारे में भारत के सबसे उपर के लगभग 2 लाख से 5 लाख नागरिकों में जानकारी फैलाउंगा और भारत के सबसे नीचे के 110 करोड़ लोगों में से लगभग 10000 से 20000 नागरिकों तक भी कोशिश करके पहूंच सकूंगा।
- 10000 से 20000 नागरिक यह देख पाएंगे कि नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) का लागू होने से उन्हें सीधा लाभ है। लेकिन वे इंतजार करेंगे कि सबसे उपर के 5 करोड़ लोगों के समूह के मध्यम स्तर के लोग पहल करें/पहला कदम उठाएं।
- इन 2 से 5 लाख लोगों में से लगभग 2000 से 5000 लोग प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों के लिए आगे प्रचार अभियान चलाने में हर सप्ताह एक घंटे का समय देने के लिए सहमत हो जाएंगे/मान जाएंगे।
- इन कानूनों के लिए प्रचार अभियान चलाने के लिए लगभग 5000 लोग प्रति/हर सप्ताह 1 घंटा समय देने के इच्छुक होंगे, लगभग 500 लोग प्रति/हर सप्ताह 2 घंटा समय देने के इच्छुक होंगे, लगभग 50 लोग हर सप्ताह 4 घंटा समय देने के इच्छुक होंगे और लगभग 5 लोग हर सप्ताह 10 घंटे का समय देने के लिए सहमत हो जाऐंगे।
इसके बाद के स्तर
- 1000 वैसे लोगों, जो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों और `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` क़ानून-ड्राफ्ट को चाहते हैं, उनमें से लगभग 900 लोग इसके बारे में जानकारी किसी को भी नहीं देंगे, लगभग 50 लोग अपनी पूरी जिन्दगी में औसतन 5 लोगों को यह जानकारी देंगे, लगभग 40 लोग में से हरेक व्यक्ति अपनी पूरी जिन्दगी में 20 लोगों को यह जानकारी देंगे, लगभग 9 लोग अपनी पूरी जिन्दगी में 100 लोगों को यह जानकारी देंगे और 1000 लोगों में से 1000 में से एक व्यक्ति अपनी पूरी जिन्दगी में यह जानकारी कुछ हजार से लेकर कई लाख लोगों को देगा।
- अनेक राजनैतिक दलों/पार्टियों में सैकड़ों समर्पित नेता हैं। और उनमें से लगभग 10-20 की पहूंच टेलिविजन चैनलों, समाचारपत्रों आदि के जरिए लाखों और करोड़ों लोगों तक है। जब वे देखेंगे कि सैकड़ों कार्यकर्ता प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का समर्थन कर रहे हैं तो उनमें से थोड़े नेता प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) क़ानून-ड्राफ्ट का समर्थन करने का निर्णय करेंगे और इससे कुछ ही महीनों के भीतर (इसके बारे में) जानने वालों में लाखों और करोड़ों लोग बढ़ जाऐंगे। इस कदम का सबसे ज्यादा प्रभाव होगा। लेकिन यदि कहीं ऐसा हो जाता है तो ऐसा केवल उपर उल्लिखित 1 से 6 कदमों को लगातार अमल में लाने के ही कारण ही हो सकेगा।
अंतिम/सबसे निचला स्तर
- जब `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी)` आदि कानून के खण्डों के बारे में जानकारी लाखों और करोड़ो नागरिकों तक पहूंचेगी तो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों आदि पर दबाव बढ़ेगा ।
`जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रारूपों और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में जानकारी फैलाने के लिए विस्तार से उठाए जा सकने वाले कुछ कदमों की सूची “ हर सप्ताह केवल एक घंटे देकर आप —— लाने में सहायता दे सकते हैं “ नाम के पाठ में दी गई है। वे लोग जो प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के समर्थक हैं वे इन कार्रवाइयों के बारे में पढ़ना और उन्हें अमल में लाना शुरू कर सकते हैं।