सूची
- (13.1) क्या यह एक और मजाक है?
- (13.2) पैसा, समाचारपत्र के विज्ञापनों के लिए छोड़कर , लगाना बेकार है- मुझे केवल आपका समय और आपके समाचारपत्र विज्ञापन चाहिए।
- (13.3) प्रस्तावित काम करने का तरीका `प्रजा-अधीन राजा / राईट टू रिकाल` कार्यकर्ताओं के लिए : वायरस एक के दल में काम करता है
- (13.4) `प्रजा अधीन-राजा` क़ानून-ड्राफ्ट के प्रचार के तरीकों के कोई अन्य सेट क्यों नहीं?
- (13.5) कार्यकलाप की सूची, कारण, और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट-1- मतदाताओं के लिए
- (13.6) पोस्ट-कार्ड, इनलैंड ( अंतर्देशीय ) जैसी छोटी चीज भेजनी क्यों जरूरी है?
- (13.7) ये कदम कैसे मदद करते हैं – इन्टरनेट के द्वारा प्रचार
- (13.8) ये कदम कैसे मदद करते हैं – बिना इन्टरनेट के प्रचार
- (13.9) दान और सदस्यता-शुल्क जमा करने के बिना प्रचार के खर्चे कैसे पूरे होंगे और बिना संगठन के, प्रचार कैसे होगा
- (13.10) कार्यकलापों की सूची / लिस्ट, कारण और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट – 2 (कार्यकर्ताओं के लिए )
- (13.11) सभी कार्यकर्ताओं के लिए योजना का सारंश (छोटे रूप में )
- (13.12) कार्यकलापों की सूची, कारण और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट – 3 (`प्रजा अधीन – राजा के मंच पर चुनाव लड़ने वालों के लिए )
- (13.13) प्रस्तावित चुनाव-प्रचार के तारीके
- (13.14) क्या कार्यकर्तओं को खुद पर्चे छापने / बांटने चाहिए या नेता को उसकी देख-रेख करनी चाहिए ?
- (13.15) `प्रजा अधीन-राजा`/`राईट टू रिकाल`(भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार) के विरोधी , नकली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक के लक्षण / चिन्ह और चालें
- (13.16) सारांश (छोटे में बात)
सूची
- (13.1) क्या यह एक और मजाक है?
- (13.2) पैसा, समाचारपत्र के विज्ञापनों के लिए छोड़कर , लगाना बेकार है- मुझे केवल आपका समय और आपके समाचारपत्र विज्ञापन चाहिए।
- (13.3) प्रस्तावित काम करने का तरीका `प्रजा-अधीन राजा / राईट टू रिकाल` कार्यकर्ताओं के लिए : वायरस एक के दल में काम करता है
- (13.4) `प्रजा अधीन-राजा` क़ानून-ड्राफ्ट के प्रचार के तरीकों के कोई अन्य सेट क्यों नहीं?
- (13.5) कार्यकलाप की सूची, कारण, और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट-1- मतदाताओं के लिए
- (13.6) पोस्ट-कार्ड, इनलैंड ( अंतर्देशीय ) जैसी छोटी चीज भेजनी क्यों जरूरी है?
- (13.7) ये कदम कैसे मदद करते हैं – इन्टरनेट के द्वारा प्रचार
- (13.8) ये कदम कैसे मदद करते हैं – बिना इन्टरनेट के प्रचार
- (13.9) दान और सदस्यता-शुल्क जमा करने के बिना प्रचार के खर्चे कैसे पूरे होंगे और बिना संगठन के, प्रचार कैसे होगा
- (13.10) कार्यकलापों की सूची / लिस्ट, कारण और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट – 2 (कार्यकर्ताओं के लिए )
- (13.11) सभी कार्यकर्ताओं के लिए योजना का सारंश (छोटे रूप में )
- (13.12) कार्यकलापों की सूची, कारण और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट – 3 (`प्रजा अधीन – राजा के मंच पर चुनाव लड़ने वालों के लिए )
- (13.13) प्रस्तावित चुनाव-प्रचार के तारीके
- (13.14) क्या कार्यकर्तओं को खुद पर्चे छापने / बांटने चाहिए या नेता को उसकी देख-रेख करनी चाहिए ?
- (13.15) `प्रजा अधीन-राजा`/`राईट टू रिकाल`(भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार) के विरोधी , नकली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक के लक्षण / चिन्ह और चालें
- (13.16) सारांश (छोटे में बात)
हर हफते केवल दो-चार घंटे का समय देकर आप भारत में “प्रजा अधीन राजा” क़ानून-ड्राफ्ट को लाने में सहायता कर सकते हैं |
(13.1) क्या यह एक और मजाक है? |
मेरी प्रारंभिक /शुरू की लाइन थी, “तीन लाइन का जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली) कानून गरीबी से होने वाली मौतों और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को केवल चार महीनों में ही कम कर सकता है” और यदि वह असंभव अथवा मजाक लगा हो तो यहां एक और मजाक है “यदि भारत में आर्थिक रूप से सबसे संपन्न शीर्ष 5 करोड लोगों में से मात्र/सिर्फ 2,00,000 लोग मेरे द्वारा बताए गए कदमों/उपायों पर मात्रदो घंटा हर/प्रति सप्ताह का समय दें तो 1 वर्ष के भीतर उन कार्रवाईयों /कामों से एक व्यापक आंदोलन पैदाहोगा जो प्रधानमंत्री को `जनता की आवाज – पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानून पर हस्ताक्षर करने को बाध्य कर देगा। ” क्यों इतनी कम संख्या में लोगों की जरूरत है? क्योंकिमैं `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` प्रारूपों/ड्राफ्टों का प्रचार क्लोन-पॉजिटिव तरीके /विधिसे करने का प्रस्ताव कर रहा हूँ। यह क्लोन-पॉजिटीव आखिरकार क्या बला है? मैं अगले पाठ में इसे विस्तार से बताउंगा। यह सक्रिय रूप से काम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण संकल्पना/विचार है और दुखकी बातहैकिभारतमेंज्यादातर /अधिकांशकार्यकर्ताओंनेआजतकइसेनकाराहै ।
(13.2) पैसा, समाचारपत्र के विज्ञापनों के लिए छोड़कर , लगाना बेकार है- मुझे केवल आपका समय और आपके समाचारपत्र विज्ञापन चाहिए। |
मेरा विश्वास या अन्धविश्वास है कि ये दो शब्द “प्रजा-अधीन राजा“ हरेक वैसे व्यक्ति का हृदय छू लेगा जो गरीबी और भ्रष्टाचार कम करना चाहता है। और यह दो वाक्य “राजा को प्रजा अधीन होना चाहिए नहीं तो वह जनता को लूट लेगा और राष्ट्र का विनाश कर देगा” हरेक उस व्यक्ति के मन में बस जाएगा जो इन्हें एक बार सुन लेगा। वे लोग जो प्रजा-अधीन राजा की संकल्पना को पसंद करते हैं, उन्हें केवल एक बार यह सुनिश्चित/ पक्का करना है कि लोग एक बार इसके बारे में सुन लें। हमें किसी बाजारू चालबाजी की जरूरत नहीं है। हमें लोगों को प्रभावित करने के लिए किसी तमाशे अथवा ताकत दिखाने की जरूरत नहीं है। ये शब्द ही लोगों को 1000 बाजारू चालबाजी और खेल तमाशों से कहीं ज्यादा प्रभावित करेंगे।
अब मेरा उद्देश्य `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) कानूनों के ड्राफ्टों को पास / पारित करवाना है। और पहली बार में एक मात्र उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि करोड़ों नागरिक दो शब्द “प्रजा-अधीन राजा”और इससे जुड़े दोनों वाक्य सुन सकें और अगले दौर में मैं `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` कानून पास/पारित करवाना चाहता हूँ। और मेरा यह विश्वास है कि यदि `जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम))` कानून पास हो जाता है तो लोग जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) कानून का उपयोग करके अधिकांश अन्य कानून कुछ ही महीने में पारित करवा लेंगे।
सभी मौजूदा पार्टियों से अलग, चुनाव जीतना हमारे ऐजेंडे का सबसे बड़ा या सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा तक नहीं है। चुनाव लड़ना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी प्रस्तावित कानून के प्रस्तावित प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में नागरिकों को बताने के लिए चुनाव सबसे तेज माध्यम है। यदि मैं और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह के सभी लोग चुनाव हार भी जाते हैं तब भी हम भारत में सुधार ला सकते हैं यदि हम नागरिकों को इस बात पर राजी कर सकें कि वे `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव बनाने में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल कार्यकर्ताओं के “साथ मिलकर ” काम करें। अब “साथ मिलकर ” काम करने का क्या अर्थ है ? क्या इसका अर्थ दान/चन्दा इकट्ठा करना है? नहीं। मैं दान/चन्दा के बिलकुल खिलाफ हूँ। मैं लोगों से प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह के कानूनों के प्रचार के लिए समाचारपत्रों में विज्ञापन देने के लिए अवश्य कहता हूँ लेकिन इसमें पैसा सीधे अखबार / समाचारपत्र को जाता है। लोग मुझे या किसी प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल स्वयंसेवी को पैसा नहीं देंगे। और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह के सदस्यों के लिए समाचारपत्र में विज्ञापन देना उनकी मर्जी / विकल्प है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज, (समाचार पत्र के विज्ञापनों के अलावा) जिसकी मुझे जरूरत / आवश्यकता है – वह है आप का समय। अब मुझे आखिर आपका कितना समय चाहिए? और आपके दिए समय के दौरान मैं आपसे क्या करवाना चाहता हूँ? इस पुस्तिका में इसी बात को विस्तार से बताया गया है। कृपया इस पाठ का एक प्रिन्टआउट ले लें।
(13.3) प्रस्तावित काम करने का तरीका `प्रजा-अधीन राजा / राईट टू रिकाल` कार्यकर्ताओं के लिए : वायरस एक के दल में काम करता है |
कई लोग कहते हैं कि सबसे ताकतवर प्राणी शेर है, कोई कहता है हाथी और कोई व्हेल | लेकिन मैं सोचता हूँ कि उन सबसे अधिक ताकतवर वायरस है | तो वायरस को क्या इतना ताकतवर बनात है ? मैं सभी कारण तो नहीं गिना सकता |
लेकिन कुछ कारण मेरे अनुसार ये हैं | हरेक वायरस अपने आप में पूरा है | हरेक वायरस के पास सारी सूचना/जानकारी है जो उसे चाहिए | वायरस कभी भी दूसरे वायरस के साथ मुकाबला नहीं करता और कभी भी दूसरे वायरस को बचने की कोशिश नहीं करता |
वायरस केवल दो चीजें करता है —- संपर्क/मेल करने पर अपनी नकलें बनाता है और मेल करने पर बदल जाता है | यदि 1000 वायरस हैं, तब 1000 वायरसों का एक दल नहीं है, लेकिन 1000 दल हैं, जिसमें हरेक में एक-एक वायरस है |
ज्यादातर संस्थाएं, जिनको मैं मिलता हूँ , सारी जानकारी लेने से रोकते हैं जबकि मैं अपने साथियों को सारी जानकारी लेने के लिए बढ़ावा देता हूँ | ज्यादातर संस्थाएं इस पर जोर देती हैं कि छोटे/जूनियर कार्यकर्ताओं को आँख बंद करके बड़े/सिनेर कार्यकर्ताओं के आदेश मानने चाहियें , लेकिन मैं ये खुले आम इस बात पर जोर देता हूँ कि कोई भी छोटे कार्यकर्ताओं को अपने बड़े कार्यकर्ताओं के शब्दों को आदेश नहीं मानना चाहिए बल्कि उसे एक साथी की विनती के जैसे मानना चाहिए |और सबसे ज्यादा जरूरी, हम `प्रजा अधीन-राजा समूह` पर, मैं हरेक को एक-एक के डाल में काम करने के लिए कहता हूँ |
ज्यादातर संस्थाएं बदलाव/परिवर्तन को मना करती हैं और यहाँ तक कि उसके लिए सज़ा भी देती हैं , लेकिन मैं खुले आम सभी बदलाव/परिवर्तन का समर्थन करता हूँ | और बदलाव, यानी कि हर कोई अपने हिसाब से प्रधानमन्त्री को मजबूर करे कि `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) , `भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार` (प्रजा अधीन राजा) के क़ानून-ड्राफ्ट को भारतीय राजपत्र में डालें |
मैं ये सुझाव देता हूँ कि `प्रजा अधीन-राजा समूह` का कार्यकर्ता, अपने आसपास के सभी पार्टियों/समूहों के सभी कार्यकर्ताओं को जानकारी देनी चाहिए `प्रजा अधीन-राजा`के सभी क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में | और मेरे विचार से, `प्रजा अधीन-राजा समूह` के कार्यकर्ताओं को एक संस्था , दफ्तरों और पद-अधिकारीयों के साथ, बनाने की जरूरत नहीं है , `प्रजा-अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट के जानकारी फैलाने के लिए |
ये कार्यकर्ताओं को दूसरे बिना किसी स्वार्थ के , दूसरे कार्यकर्ताओं को बे इन लोक-तांत्रिक कानूनों का समर्थक बनने के लिए राजी करना चाहिए | ऐसा वे किस तरह कर सकते हैं ? कार्यकर्ता दूसरे स्वार्थ के बिना कार्यकर्ताओं को राजी करने की कोशिश कर सकते हैं कि उनके दफ्तर और ढांचा का इस्तेमाल करके `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट का प्रचार करना ,एक नेक/ बड़ा काम है , जो भारत को विदेशी देशों और कंपनियों के आक्रमण और विदेशी देशों और कंपनियों के गुलामी से बचाने के लिए |
हर बार जब कोई `प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ता दूसरे कार्यकर्त्ता के संपर्क से आता है, तो वो संपर्क प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट में बदलाव और प्रचार के तरीकों में भी बदलाव लाएगा | जो बदलाव बेकार हैं, वो आगे नहीं बढेंगे और जो काम के बदलाव हैं, वे ही आगे बढेंगे | और अच्छे बदलाव , प्रस्तावित क़ानून-ड्राफ्ट और प्रचार के तरीकों को और अच्छा बनाने और जानकारी अच्छे से फैलाने में मदद करेंगे | असल में, वर्त्तमान/अभी के क़ानून-ड्राफ्ट और प्रचार के तरीके भी कई बदलाव के नतीजे हैं |
(13.4) `प्रजा अधीन-राजा` क़ानून-ड्राफ्ट के प्रचार के तरीकों के कोई अन्य सेट क्यों नहीं? |
मैं विविधता को बढ़ावा देता हूँ मैं एकरूपता से कार्य करने पर जोर नहीं देता, सिवाय नाम/लैबल, शर्तों और परिभाषा के अनुरूप होने के । यदि कोई व्यक्ति वैकल्पिक तरीके पर चलना चाहता है तो मैं उससे विनती करूंगा कि वह अपने तरीके पर चलने के साथ-साथ इस दस्तावेज में बताए गए तरीके पर भी चले। मैं विभिन्नता को बढ़ावा देता हूँ क्योंकि कोई व्यक्ति जो किसी अन्य तरीके से सोचता है मेरे तरीके से अच्छा हो सकता है। और यदि वो तरीका अच्छा हुआ तो अधिक लोग उन्हें अपनाएंगे और जल्दी ही उन तरीकों को लोग इतनी अच्छी तरह से जान जाएंगे कि मुझे उन्हें अपनी सूची में जोड़ना पड़ेगा। साथ ही, मैं स्वयंसेवकों से अनुरोध करता हूँ कि वे कम से कम हर सप्ताह 60 मिनट का समय उन कार्यकलापों पर दें जिनका प्रस्ताव मैंने किया है, क्योंकि इस बात की संभावना है कि कार्यकलापों की मेरी सूची उसके कार्यकलापों की सूची से ज्यादा अच्छा/बेहतर है।
सेट-1 में दिए गए कार्यकलापों के लिए प्रति सप्ताह केवल एक से चार घंटे समय देने की जरूरत है और ये मतदाताओं के लिए हैं। प्रत्येक लाइन/कतार में पहले कार्य-कलाप में उतना समय लगेगा जितना बताया गया है। लेकिन अथवा भाग में उल्लिखित/ बताए गए वैकल्पिक कार्य-कलाप में इससे ज्यादा समय लगेगा जो आपकी इच्छा पर/वैकल्पिक होगा।
सेट-2 कार्यकर्ताओं के लिए हैं ।
सेट-3 ,केवल उनके लिए पड़ेगी जो नगर-निगम, पंचायत, विधानसभा या संसद के चुनाव लड़ना चाहते हैं ।
(13.5) कार्यकलाप की सूची, कारण, और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट-1- मतदाताओं के लिए |
केवल एक से चार घंटे प्रति सप्ताह समय की जरूरत है। प्रत्येक लाइन/कतार में, पहले कार्यकलाप में केवल बताया गया समय ही लगेगा। लेकिन वैकल्पिक (कार्यकलापों) में ज्यादा समय लग सकता है। वैकल्पिक (कार्य कलापों) जिनका उल्लेख “अथवा” भाग में किया गया है, उनमें ज्यादा समय लगेगा लेकिन वे वैकल्पिक होंगे यानि आपकी इच्छा पर निर्भर करेंगे।
सेट –1 का कार्यकलाप (एक से चार घंटे प्रति/हरेक सप्ताह)(मतदाताओं के लिए) |
अनुमानित लगने वाला समय |
कदम उठाए? हां/ नहीं |
कदम उठाए? कब/ तिथि |
|
1.1 | 1) चार पृष्ठ के दस्तावेज डाउनलोड करें या कार्यकर्त्ता से कॉपी लें ,कृपयाhttp://righttorecall.info/001.pdf अथवा
हिन्दी रूपान्तर- http://righttorecall.info/001.h.pdf अथवा गुजराती रूपान्तर- http://righttorecall.info/001.g.pdf अथवा बंगला रूपान्तर- www.righttorecall.info/001.b.pdf 2.) कृपया ऊपर के दस्तावेज में दिए गए पहले प्रस्तावित `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` कानून के प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट को जोर से बोलकर पढ़ें। अथवा/और कृपया ऐसे किसी भी कानून के प्रारूप /क़ानून-ड्राफ्ट का पता करें, डाउनलोड करें और पढ़ें जो, आप समझते हैं कि, कुछ ही महीने में गरीबी से होनेवाली मौतों और पुलिस में भ्रष्टाचार को कम कर सकता है। अथवा/और उन कानूनों के क़ानून-ड्राफ्ट लिखिए और इंटरनेट पर पोस्ट कीजिए जो आप समझते हैं कि गरीबी से होने वाली मौतों और पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार कुछ ही महीने या कुछ वर्षों में कम कर देगा। |
30 मिनट (एक बार) | ||
1.2 |
प्रजा अधीन राजा (RTR) और `जनता की आवाज़` कानून पर प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न – यहाँ से डाउनलोड करें – www.righttorecall.info/004.h.pdfऔर छाप कर पढ़ें और पढ़ने के लिए बांटें |
———– यदि आपके पास प्रस्तावित नए कानून `जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` पर कोई प्रश्न है तो कृपया अपनी चिन्ता/प्रश्न http://forum.righttorecall.info पर डालें या किसी `प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ता से पूछें |
30-60 मिनट (एक बार) |
||
1.3 |
सबसे जरूरी-
हर हफते 25-30 पोस्ट कार्ड/बुक पोस्ट/इनलैंड (अंतर-देशीय) नागरिक-वोटरों को भेजें जो वोटर लिस्ट/सूची में हैं (वोटर सूची इंटरनेट से प्राप्त की जा सकती है या आपके स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता से प्राप्त की जा सकती है या आप फोन डॉयरेक्टरी से भी वोटरों की सूची प्राप्त कर सकते हैं), उनसे विनती करें कि वे प्रधानमन्त्री/मुख्यमंत्री को एक तीन लाइन के क़ानून, जो कुछ ही महीनों में भ्रष्टाचार समाप्त कर सकता है, पर हस्ताक्षर करने के लिए चिट्टी लिखें | `पोस्ट कार्ड नागरिक अभियान`` का नमूना (एक पन्ना) – http://www.righttorecall.info/901.pdf `बुक पोस्ट नागरिक अभियान“ का नमूना –(आठ पन्ने)- http://www.righttorecall.info/902.pdf `इनलैंड (अंतर्देशीय) नागरिक अभियान` का नमूना –(दो पन्ने) |
60 मिनट हर हफते |
||
1.4 ***** |
हस्ताक्षर अभियान– कृपया `जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` कानून प्रार्थना-पत्र के लिए अपने क्षेत्र में हस्ताक्षर अभियान चलायें | इन्टरनेट पर http://www.petitiononline.com/rti2en/ पर हस्ताक्षर करें। कैसे यह `प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार)`, `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी` (एम. आर. सी. एम.) कानूनों को लाने में हमारी मदद करेगा?: इस याचिका का कोई राजनैतिक, कानूनी महत्व/मूल्य नहीं है। यह केवल एक विज्ञापन/प्रचार है । इस पर हस्ताक्षर करनेवाले की संख्या जितनी अधिक होगी, इसकी परवाह करने वाले अन्य नागरिकों का ध्यान अपनी इसकी ओर खीचना हमारे लिए उतना ही आसान होगा। प्रधानमंत्री अवश्य ही इसे महत्व नहीं देंगे और इसलिए वह ऐसा अवश्य सोंचेगे कि इंटरनेट पर दिए गए हस्ताक्षर जाली हो सकते हैं लेकिन यह संख्या निश्चित रूप से अधिक से अधिक जागरूक नागरिकों के सामने विज्ञापन करने/ इसके बारे में बताने में उपयोगी होगी। याचिका पर आपके हस्ताक्षर करने से इसका महत्व बढ़ाएगा जिससे अधिक से अधिक लोग इन हस्ताक्षरों पर ध्यान देंगे और सबसे अच्छी बात कि इसमें आपका 2 मिनट से ज्यादा समय नहीं लगेगा।अथवा/और
1.ऐसी किसी भी याचिका, जो जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून की मांग करती हो अथवा किसी भी ऐसे अन्य कानून के पारूप/क़ानून-ड्राफ्ट का प्रचार करें जिससे, आप समझते हैं कि गरीबी से होने वाली मौतें और पुलिस में भ्रष्टाचार कुछ ही महीनों में कम हो जाएगा। 2. किसी ऐसी पार्टी के समुदाय में शामिल हो जाएं जो उस कानून के ड्राफ्ट का समर्थन करती हो, जो आप समझते हैं, कि गरीबी से होने वाली मौतें और पुलिस में भ्रष्टाचार कुछ ही समय में कम कर सकती है। अथवा/और आप, जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून की मांग करने वाली अपनी याचिका लिखिए | |
10 मिनट(एक बार) |
||
सेट – 1 का कार्यकलाप (एक से चार घंटे प्रति/हरेक सप्ताह) (मतदाताओं के लिए) |
अनुमानित लगने वाला समय |
कदम उठाए? हां/ नहीं |
कदम उठाए? कब/ तिथि |
|
यदि आप नहीं जानते कि कैसे इंटरनेट का उपयोग किया जाता है तो, कृपया अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार से कहिए कि -1. आपके लिए एक ई-मेल आई डी बना दें |
2. www.forum.righttorecall.info पर आपका अकाउंट बना दें | 3. आपके लिए एक ट्विटर एकाउन्ट बना दें | 4. उपर्युक्त जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली याचिका पर हस्ताक्षर करें | |
30 मिनिट (एक बार) |
|||
1.5 | दूसरा सबसे जरूरी-1000 पर्चे भेजना मतदाताओं को मतदाता सूची से , हर महीने या हर साल-
मैं, कार्यकर्ता से विनती करता हूँ कि ऐसे व्यक्ति से बात कर के सेटिंग कर ले , जिसके पास छोटी पत्रिका है और अपनी `प्रजा अधीन-राजा`पत्रिका शुरू करे| 32 पन्नों के पत्रिका के हज़ार कॉपियां की कीमत लगबग रु. 3 होगी अखबारी कागज़ पर और रु.6 अच्छे कागज पर | और मतदाताओं को बांटने का खर्चा 25 पैसा आएगा , क्योंकि यदि पत्रिका पंजीकृत है , तो डाक विबघ 25 पैसे में पहुंचा देता है | ये चरण महँगा है और सभी के लिए नहीं है, केवल उन्ही के लिए है जो रु. 1000 हर महीने खर्च कर सकते हैं| यदि पत्रिका पंजीकृत/रजिस्ट्रीकृत नहीं है, तो कार्यकर्ताओं को हाथ से बांटना होगा अपने आस-पास | |
10 घंटे |
||
1.6 ***** |
फोरम,फेसबुक,ऑर्कूट और गूगल समूहों में एक “उपयुक्त” प्रोफाइलबनाएं जिसके साथ `Prajaa Adhin Rajaa` या `Right to recall` जुड़ा हो । ये अंग्रेजी में होना चाहिए, भारतीय भाषाओँ में नहीं ,क्योंकि इन्टरनेट पर ढूँढना (सर्च) भारतीय भाषाओँ में अभी संभव नहीं है |1)
प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) फोरम (www.forum.rigttorecall.info) और फेसबुक कम्युनिटी(www.facebook.com/rightorecall) में शामिल हो जाएं 2) http://www.righttorecall.info के लिए सूची “फॉलो द ब्लॉग” में अपने/स्वयं को शामिल करें। 3) http://www.orkut.co.in/Main#Community?cmm=21780619 पर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) आर्कूट समुदाय में शामिल हो जाएं। 4) http://groups.google.com/group/RightToRecall पर गूगल समूह में शामिल हो जाएं। यह मुझे प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) कानून लाने में/लागू करवाने में कैसे मदद करेगा?: आप (इंटरनेट पर) पोस्ट किए गए लेख का ई-मेल आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। और हां जैसे-जैसे इस समुदाय में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी, मेरे लिए जागरूक/चिंता करने वाले नागरिकों की विशाल संख्या को आकर्षित करना आसान होता जाएगा। अथवा/और किसी फोरम,ब्लॉग,गुगल,ऑरकुट समूह में शामिल हो जाएं , जो प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) को समर्थन देते हैं । किसी फेसबुक समुदाय/कम्युनिटी में शामिल हो जाएं। किसी ऐसे व्यक्ति के ब्लॉग का अनुसरण करें जो प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों के लिए प्रचार अभियान चला रहा हो और जिसने प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) को बढ़ावा देने के लिए कम से कम एक विज्ञापन किसी बड़े अखबार में दिया हो अथवा जिसने कम से कम 50,000 प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) की पर्चियां/पैम्फलेट बांटी हो अथवा/और एक अपना ऐसा फोरम,ब्लॉग,ऑर्कूट या गूगल या फेसबुक समुदाय बनाएं जो प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), और पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (अथवा कोई ऐसा क़ानून-ड्राफ्ट जो गरीबी से होने वाली मौतें और पुलिस में भ्रष्टाचार को तेजी से कम कर सके) का समर्थन करता हो और कम से कम 1000 लोगों को उस समुदाय में शामिल होने को कहें। —– (क) (अपने राज्य के प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (राज्य) समूह में शामिल हो जाएं। उदाहरण के लिए, यदि आप उत्तर प्रदेश के निवासी हैं तो प्रजा अधीन राजा (उत्त्र प्रदेश) समुदाय में शामिल हो जाएं। http://www.orkut.com.in/main#community?cmm=90266403 यदि आपके राज्य के लिए कोई प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (उत्त्र प्रदेश) समुदाय नहीं है तो आप खुद/स्वयं ही एक ऐसा समुदाय प्रारंभ करें। (ख)
कृपया अपने जिले/शहर के ऑर्कूट, फेसबुक आदि पर `प्रजा अधीन-राजा समूह` में शामिल हो जाएं। यदि ऐसा समुदाय आपके जिले/शहर में नहीं है तो कृपया एक समुदाय प्रारंभ करें/बनाएं और ऑर्कूट पर इसका प्रचार करें। कृपया यह पक्का करें कि जिला समुदाय का हर सदस्य राज्य व राष्ट्रीय समुदाय का भी सदस्य हो। |
30 मिनिट हर हफता |
||
1.7 | बगीचा/बाग बैठक –हर महीने एक बैठक करें |
कृपया अपने तहसील/वार्ड के प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह में शामिल हो जाएं। यदि ऐसा समुदाय आपके तहसील/वार्ड में नहीं है तो कृपया एक समुदाय प्रारंभ करें/बनाएं और ऑर्कूट पर इसका प्रचार करें। कृपया यह सुनिश्चित/पक्का करें कि जिला समुदाय का हर सदस्य राज्य व राष्ट्रीय समुदाय का भी सदस्य हो। |
1 घंटे हर महीने | ||
सेट – 1 का कार्यकलाप (एक से चार घंटे प्रति/हरेक सप्ताह)(मतदाताओं के लिए) |
अनुमानित लगने वाला समय |
कदम उठाए? हां/ नहीं |
कदम उठाए? कब/ तिथि |
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1.8 | राष्ट्रीय स्तर पर तालमेल/समन्वय बनाने के लिए ट्विटर/फेसबुक/ऑर्कूट का अनुसरण/फॉलो करेंकृपया। और जिला/शहर के प्रमुखों के ट्विटर एकाउन्ट का अनुसरण करें। और अपने वार्ड/तहसील व शहर के कम से कम दो सहयोगियों और पड़ोस के वार्ड/तहसील व जिला/शहर के दो सहयोगियों का अनुसरण करें। कुल मिलाकर, एक व्यक्ति को एक संचार नेटवर्क कायम करने के लिए लगभग 10 एकाउन्ट को फॉलो/अनुसरण करना चाहिए।
अथवा/और किसी राष्ट्रीय/राज्य स्तर के ऐसे व्यक्ति के एकाउन्ट का अनुसरण करें जिसने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को बढ़ावा देने के लिए खुद/स्वयं को समर्पित कर दिया हो। अथवा/और यदि आप यह समझते हैं कि इनमें से कोई भी फॉलो/ अनुसरण करने लायक नहीं है तो कृपया आप स्वयं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों के प्रचारक की भूमिका निभाएं और 1000 लोगों को आप अपने ट्विटर का अनुसरण करने के लिए कहें। |
20 मिनट |
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1.9 | इन्टरनेट द्वारा राजनैतिक पार्टियों या गैर सरकारी संगठनों के कम से कम 5 समुदायों से जुड़ें। ये समूह ऑर्कूट अथवा फेसबुक अथवा किसी सामुदायिक साईट पर हो सकते हैं। आपको किस समूह से जुड़ना चाहिए? किसी भी ऐसे समूह से जुड़िए जिसमें आप समझते हैं कि, ऐसे सदस्य हैं जो राजनीति में रूचि रखते हैं। |
20 मिनट |
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1.10 |
.`प्रजा अधीन-राजा के विडियो देखें –
सी.डी /यू-ट्यूब देखें `प्रजा अधीन-राजा` के सम्बंधित और दूसरों को भी देखाएं | हर हफते एक विडियो देखें , एक विषय पर जो `प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्ताव किया /सुझाया गया है | ऐसे सभी कार्यकर्ताओं जिन्होंने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के विडियो अपलोड किए हैं/कम्प्युटर द्वारा इंटरनेट पर डाले हैं, उनके यू-ट्यूब चैनलों का अनुसरण करें ताकि प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) समूह से संबंधित विडियो आपको मिल जाएं। अथवा/और किसी ऐसे व्यक्ति के यू-ट्यूब एकाउन्ट का अनुसरण करें जो, आप समझते हैं कि, भारत में प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों के ड्राफ्टों को लाने के लिए समर्पित हो। कृपया (अनुसरण करने) का निर्णय उस व्यक्ति द्वारा प्रस्तावित कानूनों के प्रारूपों को पढ़ने के बाद ही करें। |
30 मिनट हर हफते |
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1.11 |
चुनार प्रचार में पर्चे बांटना -यदि चुनाव चल रहे हैं, तो कृपया पता लगाएं आप के इलाके/क्षेत्र में या पास के इलाके में , कौन सा उम्मीदवार खड़ा है , जिसने `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट अपने घोषणा-पत्र में डाला है और उस का प्रचार भी किया है | इन्टरनेट के जरिये या किसी कार्यकर्ता से उसके पर्च लेकर 10-20-1000 पर्चे बांटें, आपकी इच्छा अनुसार |
अथवा यदि उम्मीदवार आप के घर से बहुत दूर है, को कृपया इन्टरनेट से मतदाता-सूची डाउनलोड करें और 10-20 या अधिक , आपकी इच्छा अनुसार उसके चुनाव-क्षेत्र के मतदाताओं को भेजें | |
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1.12 |
`एस.एम एस से `प्रजा अधीन-राजा ` के प्रचार भेजना-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), राईट टू रिकाल/जूरी सिस्टम(नागरिकों द्वारा भ्रष्ट को बदलने/सज़ा देने के अधिकार) नागरिक और सेना के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी) (एम.आर सी एम.) आदि के बारें में एस.एम.एस भेजें | |
एक घंटा हर महीना |
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सेट – 1 का कार्यकलाप (एक से चार घंटे प्रति/हरेक सप्ताह)(मतदाताओं के लिए) |
अनुमानित लगने वाला समय
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कदम उठाए? हां/ नहीं |
कदम उठाए? कब/ तिथि |
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1.13 से 1.20 |
अभी जोड़ना बाकी है | | |||
1.21 |
प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को एक पत्रलिखें जिसमें आप उन्हें `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए कहें। इस पत्र में केवल एक लाइन/पंक्ति ही लिखें जो काफी होगा : “ यदि आप संतुष्ट हैं या जब भी आप संतुष्ट हों कि भारत की 37 करोड़ नागरिक मतदाता http://petitiononline.c.com/rti2en/ अथवा http://righttorecall.info/002.pdf पर दी गई सरकारी अधिसूचना(आदेश) का समर्थन करते हैं तो आप कृपया उस अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर कर दें।” यदि संभव हो तो अपने पत्र के साथ अपने मतदाता पहचान पत्र की फोटोकॉपी प्रति संलग्न कर दें।ऐसा करने का उद्देश्य/मकसद : प्रधानमंत्री और उनके स्टॉफ एक पत्र पर ध्यान नहीं देंगे लेकिन एक ही विषय पर लिखे गए सैकड़ों पत्र पर अवश्य ध्यान देंगे।
अथवा/और किसी ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करें जिसमें, आप समझते हैं कि, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) तथा `जनता की आवाज` कानूनों की मांग की जा रही हो और प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजें जिसमें उनसे कहें कि वे प्रस्तावित कानून को पारित/पास कर दें/करवा दें। अथवा/और आप अपनी याचिका स्वयं लिखिए और उसमें `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली अथवा प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों की मांग करें अथवा वैसे कानूनों की मांग करें जिसे, आप समझते हैं कि वह `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के ही समान है अथवा या उससे भी बेहतर/अच्छा है और कम से कम 1000 लोगों को उन याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने के लिए कहें और फिर पत्र प्रधानमंत्री को भेज दें।
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एक घंटा(एक बार) |
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1.22 |
स्थानीय सांसद, विधायक,पार्षद,महापौर(मेयर),पंचायत के सदस्य को एक पत्र भेजें –जिसमें आप उन्हें प्रधानमंत्री को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून पर हस्ताक्षर करवाने के लिए कहें। इस पत्र में केवल एक लाइन/पंक्ति ही लिखें और कुछ नहीं : “ जब आप संतुष्ट हो जाएं कि आपके क्षेत्र के नागरिक मतदातों के स्पष्ट बहुमत http://petitiononline.c.com/rti2en/ अथवा http://righttorecall.info/002.pdf पर प्रस्तावित सरकारी अधिसूचना(आदेश) को चाहते हैं तो आप कृपया उस अधिसूचना(आदेश) पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री से कहें।”
अथवा/और किसी ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करें जिसमें, आप समझते हैं कि प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) तथा `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) कानूनों की मांग की जा रही हो और सांसद को एक पत्र भेजें जिसमें उनसे कहें कि वे प्रस्तावित कानून को पारित/पास कर दें/करवा दें। अथवा/और आप अपनी याचिका स्वयं लिखिए और उसमें `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) अथवा प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों की मांग करें अथवा वैसे कानूनों की मांग करें जिसे, आप समझते हैं कि वह ` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`, प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के ही समान है अथवा या उससे भी अच्छा है और कम से कम 1000 लोगों को उन याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने के लिए कहें और फिर वह पत्र सांसद को भेज दें। सांसद,विधायक आदि को पूछें कि वो `प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री/राईट टू रिकाल-प्रधानमंत्री`,`प्रजा अधीन-सांसद`,`प्रजा अधीन-विधायक` आदि को अभी , तुरंत लाने के लिए क्या कर रहे हैं ? उनसे पूछें ,कि “वे ये क़ानून क्यों नहीं लाते ,क्योंकि वो रिश्वत नहीं ले पायेंगे ?” सांसदों, विधायकों आदि जो, अभी सत्ता में को बेईजात और डराने वाले तरीके में कहना और लिखना चाहिए क्योंकि जो पद पर बैठा व्यक्ति `नागरिकों द्वारा भ्रष्ट को बदलने का अधिकार` का विरोध कर रहा है, उसे नागरिकों को बेइज्जत करने का अधिकार है | |
दो घंटे (एक बार) |
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1.23 |
स्थानीय सत्तारूढ़ दल और प्रमुख दलों के सदस्योंको `जनता की आवाज` और अन्य `प्रजा अधीन-राजा`समूह द्वारा प्रस्तावित जन-हित के क़ानून कानून का प्रिंटआउट/कम्प्युटर से प्रिंट लेकरदें और उनसे कहें कि वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से `जनता की आवाज` कानून पर हस्ताक्षर करने के लिए कहें और उनके विधायक ,सांसद को ये क़ानून तुरंत लाने के लिए कहें । सभी जमीनी कार्यर्ताओं से अच्छे से बोलें | |
दो घंटे हर महीने |
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1.24 |
प्रत्येक उस समाचार पत्र, पत्रिका,टी.वी के चैनल को पत्र लिखें, ई-मेल भेजें और फोन करें, जिन्हें आप देखते हैं, उनसे कहें कि वे `जनता की आवाज` कानून, `प्रजा अधीन राजा` (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों और `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी` कानूनों और जूरी प्रणाली अथवा कोई ऐसा क़ानून-ड्राफ्ट जिसे आप समझते हैं कि वह पुलिसवालों, जजों में भ्रष्टाचार कम कर सकता है, इनके विषय में छापें। उन्हें हमारी वेबसाइट से लेख लेकर छापने को कहें या हमारा अथवा किसी प्रजा अधीन राजा समूह का साक्षात्कार/इंटरवियू लेने के लिए कहें। |
एक घंटा हर महीने |
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1.25 |
गैर सरकारी संगठनों की बैठकों में भाग ,जितना संभव हो सके उतनी अधिक से अधिक लें और उनसे पूछे कि क्यों वे `जनता की आवाज` का समर्थन नहीं करते। प्रत्येक बुद्धिजीवी से पूछें कि वे `जनता की आवाज` तुरंत लाने का समर्थन करते हैं या विरोध? |
दो घंटे हर महीने |
सेट 1 की उपर्युक्त सूची में दिए गए कार्य को करने में ज्यादा से ज्यादा आपके हर हफ्ते चार घंटे लगेंगे। और यदि आप चाहें तो आप इस समय को अलग अलग दिनों में बांटकर भी कर सकते हैं।
(13.6) पोस्ट-कार्ड, इनलैंड ( अंतर्देशीय ) जैसी छोटी चीज भेजनी क्यों जरूरी है? |
पोस्ट-कार्ड जैसी छोटी चीज भेजना क्यों जरूरी है ? `प्रजा अधीन-राजा/राईट-टू-रिकाल` को कभी भी मीडिया(अखबार, टी.वी चैनल) का समर्थन नहीं मिलेगा और इसीलिए `प्रजा अधीन-राजा` के कार्यकर्ताओं को अपना `बड़े पैमाने पर मीडिया`(मास-मीडिया) जो नागरिकों को जानकारी देता है `प्रजा अधीन-राजा` क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में और ऐसा मीडिया का `ऊपर किसी का शाशन/नियंत्रण`(केन्द्रिकित नियंत्रण) नहीं होना चाहिए |
इसके अलावा, “मतदाताओं को पोस्टकार्ड/इनलैंड (अंतर्देशीय )” अभियान, हज़ारों बिना सम्बन्ध के कार्यकर्ताओं के द्वारा चलाया जा सकता है बिना कोई ऊपरी शाशन/नियंत्रण के | ऊपरी नियंत्रण/शाशन को भूल जायें , मैं शून्य नियंत्रण/शाशन चाहता हूँ—यानी हर एक व्यक्ति , जो अपना समय और पैसा देता है अपने ऊपर पूरा नियंत्रण/शाशन होना चाहिए और किसी अन्य व्यक्ति को शाशन/नियंत्रण नहीं होना चाहिए | इसीलिए “ मतदातों को पोस्टकार्ड/इनलैंड (अंतर्देशीय )” अभियान सबसे अच्छा है |
ये पोस्ट-कार्ड का खर्चा 50 पैसा आएगा और किसी द्वारा लिखवाते हैं , तो 75 पैसे और लगेंगे | इनलैंड (अंतर्देशीय) रु.2.5(ढाई रुपये) लगेंगे और 50 पैसे छापने, लिखने,पता लिकने और मोड़ने के लिए लगेंगे | इनलैं का फायदा ये है कि कम समय लगेगा क्योंकि इसे छाप सकते हैं|
यदि आप किसी के द्वारा पोस्ट-कार्ड लिखवाते हैं, तो उसे संभालने के लिए थोडा समय लगेगा जबकि इनलैंड (अंतर्देशीय) प्रिंटर द्वारा छापे जा सकते हैं |
पोस्टकार्ड (और इनलैंड) सबसे अच्छा तरीका हैं , नीचे के 95% लोगों तक पहुँचने का |
और ये केवल जरूरी नहीं है कि केवल भारत के निचले 95% लोग ये जानें, कि `भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार`(राईट टू रिकाल/प्रजा अधीन राजा) क्या है , बल्कि ये ज्यादातर लोगों को साफ हो जाना चाहिए कि दूसरे अधिकतर लोग भी इसके बारे में जानते हैं | और ये भी साफ़ हो जाना चाहिए कि प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री, विषयक,सांसद, अधिकतर बुद्धिजीवी `प्रजा अधीन-राजा` का विरोध कर रहे हैं| इसी को मैं माहौल बनाना बोलता हूँ|
माहौल बनने के लिए वैसे तो ,बहुत बड़ा अभियान चलाना होता है, समाचार पत्र, टी.वी और पत्रिका के प्रचार और बिकी हुई समाचारों(पैड समाचार) द्वारा | लेकिन जो टी.वी चैनल और समाचार-पत्र के प्रायोजक हैं, वे कभी भी `प्रजा अधीन-राजा`(भ्रष्ट को आम नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार) और इसीलिए कार्यकर्ताओं को ये काम बिना मीडिया (अखबार,टी.वी, आदि) द्वारा ही करना होगा | इसीलिए ये बहुत जरूरी है कि कार्यकर्ता पोस्टकार्ड या इनलैंड (अंतर्देशीय) डालें नागरिकों को , जो अपने आप में एक मीडिया बन जाये |
मैं सभी `प्रजा अधीन-राजा`(भ्रष्ट को आम नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार)` को विनती करता हूँ कि मीडिया वालों को कहें `प्रजा अधीन-राजा`पर जानकारी को उनके समाचार-पत्रों,पत्रिकाएं, टी.वी चैनलों में डालें /छापें |
मैं सभी `प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ताओं को इसीलिए मीडिया वाले (अखबार,टी.वी चैनल आदि ) को कहने के लिए विनती कर रहा हूँ, क्योंकि इससे वे देख सकते हैं कि मीडिया वाले `प्रजा अधीन-राजा` के प्रसतावों के कितने खिलाफ हैं | क्यों खिलाफ हैं मीडिया वाले इन प्रस्तावों के खिलाफ ? क्योंकि एक प्रस्ताव `प्रजा अधीन-दूरदर्शन अध्यक्ष` है | जब वो आ जायेगा , तो दूरदर्शन सुधरेगा और समाचारों को छुपाने/मोड़ने की मीडिया की क्षमता/ताकत कम हो जायेगी और मीडिया वालों की नाजायज आमदनी कम हो जायेगी | इसीलिए , मीडिया वाले (अखबार, टी.वी. चैनल आदि ) कभी भी `प्रजा अधीन-राजा (भ्रष्ट को आम नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार ) का कभी भी समर्थन नहीं करेंगे |
ये तो दुःख की बात है, कि मीडिया वाले(अखबार,टी.वी वाले आदि ) कभी भी `प्रजा अधीन-राजा`(भ्रष्ट को आम नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार) के क़ानून-ड्राफ्ट का समर्थन नहीं करेंगे, लेकिन एक आशा की किरण है कि शायद एक ऐसा रास्ता है कि `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्टों के आंदोलन बिना मीडिया के समर्थन के किया जा सकता है | और वो रास्ता “ मतदाताओं को पोस्ट-कार्ड/इनलैंड (अंतर्देशीय) ” अभियान है | यदि 2 लाख कार्यकर्ता हर महीने 100 पोस्ट कार्ड या इनलैंड (अंतर्देशीय) या पत्रिकाएं भेज रहे हैं, तो एक करोड़ से ज्यादा परिवारों को जानकारी मिलेगी कि `भारतीय राजपत्र` क्या ही, प्रस्तावित `प्रजा अधीन-राजा`(भ्रस्त को आम नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार) के सरकारी अधिसूचनाएं(आदेश) क्या हैं , `सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)`सरकारी अधिसूचनाएं(आदेश) के क़ानून-ड्राफ्ट क्या हैं, आदि | ये सारे मीडिया (अखबारों, टी.वी चैनल आदि ) को मिलाकर भी ज्यादा ताकतवर अभियान है | ये काफी होगा , 6 महीनों में एक आंदोलन खड़ा करने के लिए , जो प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री को मजबूर कर देगा ये जनहित के क़ानून-ड्राफ्ट भारतीय राजपत्र में डालने/छापने के लिए| लेकिन यदि करोड़ों नागरिकों को कोई भी जानकारी नहीं है कि भारतीय राजपत्र क्या है, और प्रस्तावित `प्रजा अधीन-राजा` के सरकारी अधिसूचनाएं(आदेश) क्या हैं, तो कोई भी आंदोलन कभी नहीं होगा | इसीलिए पोस्ट-कार्ड/इनलैंड (अंतर्देशीय ) बहुत जरूरी हैं ये आंदोलन के लिए |
(13.7) ये कदम कैसे मदद करते हैं – इन्टरनेट के द्वारा प्रचार |
अभी, आजकल (मई 2011) संगठनों की एक नयी नसल है जो ज्यादा पैसे नहीं इकठ्ठा करते जैसे `इंडिया अगेंस्ट कर्रप्शन` | लेकिन उनके प्रायोजक विदेशी कंपनियों हैं , और इसीलिए विदेशी/बहू-राष्ट्रीय कम्पनियाँ हाजारों करोड़ देती हैं, मीडिया (अखबार/समाचार-पत्र) को , प्रचार करने के लिए | लेकिन राईट टू-रिकाल /`प्रजा अधीन-प्रजा ` आंदोलन के लिए विदेशी कंपनियों या मीडिया के कभी भी प्रायोजक नहीं बनेंगे | इसीलिए हम उनके नमूना/मॉडल की नक़ल नहीं कर सकते |
एक अनुमान यह है कि भारत में लगभग 6 करोड़ लोगों के पास उनके घर के व्यक्तिगत कम्प्युटर/पीसी या कार्यालय के व्यक्तिगत कम्प्युटर/पीसी या कॉलेज के व्यक्तिगत कम्प्युटर/पीसी के जरिए ब्राडबैंड उपलब्ध है। इन 6 करोड़ लोगों में से, लगभग 15 लाख से 20 लाख लोग पुलिस व न्यायालय में भ्रष्टाचार कम करने में रूचि रखते हैं, वे गरीबी कम करने के भी इच्छुक हैं और कुछ हद तक वे हर सप्ताह 1-2 घंटे या इससे अधिक समय देना भी चाहते हैं। बाकी लोग इसमें बिलकुल भी रूचि नहीं लेंगे और ज्यादा से ज्यादा वे यही करेंगे कि किसी ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे जिन्हें वे समझते हैं कि वह गरीबी कम कर देगा। लेकिन वे इस कार्य/मिशन के लिए हर सप्ताह एक घंटा समय देना नहीं चाहते । इसलिए आन्दोलन पैदा करने के लिए हमें इन 15 लाख लोगों का समर्थन प्राप्त करने पर निर्भर रहना होगा।
इन 15 लाख नागरिकों के बीच कुछेक संचार समूह बनाने/स्थापित करने का लक्ष्य है। मैं इन लोगों को संगठित करने की जरूरत नहीं समझता। मेरे विचार से, संचार समूह बनाना ही काफी है। हमें किसी संगठन की जरूरत नहीं है। संगठन संचार संगठन से अलग प्रकार का होता है और इस बात को मैं बाद में विस्तार से बताउंगा। इसलिए किसी संचार समूह की स्थापना करना और उसमें रहकर काम करने के लिए कार्य इस प्रकार हैं – समूहों को बनाना या उनकी (इंटरनेट पर) खोज करना, इन संचार समूहों में शामिल हो जाना, उस संचार समूह के संदेशों को पढ़ना, यदि समय हो तो मैसेज लिखना, लिखे संदेशों को समूह के बीच या समूह से बाहर के लोगों तक भेजना/अग्रेषित करना और गरीबी, भ्रष्टाचार कम करने में रूचि रखने वाले लोगों की खोज करके उन्हें संचार समूह में शामिल होने के लिए कहना। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उस संचार समूह से हट जाना/सम्पर्क तोड़ लेना जिसके मुखिया/प्रमुख लोग भ्रष्टाचार और गरीबी कम करनेमें रूचि नहीं रखते।
उपर दिए गए काम/मिशन में इंटरनेट समुदाय से जुड़ने का ही काम है। मैं आपलोगों से इंटरनेट समुदाय से जुड़ने के लिए क्यों कह रहा हूँ?इसका उद्देश्य इंटरनेट पर अनेक प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के बड़े-बड़े समर्थक समूहों का निर्माण करना है ताकि बिना खर्च के समुदाय गठित करना /बनाना संभव हो सके। प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) तथा नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) जैसी नैतिक और उपयुक्त मांग के लिए किन्हीं बड़े दिखावों/शो की जरूरत नहीं है लेकिन इसके लिए बहुत अधिक संचार/सम्पर्क की जरूरत अवश्य है।
और संपर्क स्थापित करने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने की जरूरत पड़ेगी क्योंकि मीडिया-मालिक प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के प्रारूपों को संचारित करने/बताने/इनका प्रचार पर अपने पैसे खर्च नहीं करेंगे और इसलिए प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) का समर्थन करने वाले लोगों के पास कड़ी मेहनत करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बच जाता। इसलिए, हम इंटरनेट का इस्तेमाल करके प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के प्रारूपों को लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
(13.8) ये कदम कैसे मदद करते हैं – बिना इन्टरनेट के प्रचार |
भारत में केवल 5% लोगों के पास ही इन्टरनेट है | अब, शेष 95 प्रतिशत लोगों (तक सन्देश पहुंचाने) के लिए क्या करें जिनके पास (इंटर)नेट नहीं है? इंटरनेट की सुविधा वाले 5 प्रतिशत लोगों में से कुछ लोग ज्यादा सक्रिय हो जाएंगे/ज्यादा काम करेंगे और इन सूचनाओं/जानकारियों को स्वयं बातचीत द्वारा बताकर अथवा पर्चियों/पम्फलेटों के माध्यम से शेष 95 प्रतिशत लोगों तक पहुंचाएंगे।
और जिन लोगों के पास इन्टरनेट नहीं है, वो बुक पोस्ट/पुस्तक डाक , पोस्ट कार्ड और इन-लैंड .एस.एम.एस,पर्चे द्वारा भी अपने जिले के मतदाताओं तक पहुंचा सकते हैं | आपकी जिले कि मतदाताओं की सूची आपके स्थानीय किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिल जायेगी या इन्टरनेट से भी मिल सकती है | और गरीब व्यक्ति भी पोस्ट-कार्ड लिख कर प्रचार में भाग ले सकता है|
सबसे जरुरी कदम नागरिकों को पोस्टकार्ड या इनलैंड (अंतर्देशीय ) है , जो क्रम-रहित(बिना लाइन के ) तरीके से मतदाता लिस्ट/सूची से लिए गए हों|
यदि 2,00,000 (दो लाख) कार्यकर्ता हर महीने 100 पोस्टकार्ड भेजते हैं, तो फिर इसका मतलब है कि 2 करोड़ परिवारों को एक पोस्टकार्ड हर महीने मिलेगा और इसका खर्चा केवल रु.50 है हर महीने और इसमें 4 घंटे हर महीने खर्च किया गया | या फिर 2 लाख कार्यकर्ताओं, हर महीने यदि 20 इनलैंड (अंतर्देशीय ) भेज रहे हैं, तो 40 लाख लोगों को एक इनलैंड (अंतर्देशीय) मिलेगा और इसका खर्च केवल रु.50 है हर महीने और इसमें हर महीने 4 घंटे लगेंगे |
उसका अगला कदम , समाचार पत्र में प्रचार करना है | पहले पन्ने पर 2 कॉलम * 25 सेंटीमीटर (एक पन्ने का आठवाँ हिस्सा )( 2 कॉलम= 9.5 सेंटीमीटर ) का प्रचार , एक गैर-अंग्रेजी समाचार-पत्र में, के लिए 2 लाख रुपये खर्च होंगे और ये प्रचार एक से तीन लोकसभा चुनाव क्षेत्र के लिए काफी होगा | यदि हमारे पास भारत में 20,000 कार्यकर्ता हैं , जो हर महीने 1000 रुपये खर्च करने के लिए तैयार हैं,5000 कार्यकर्ता जो हर महीने 2000 रुपये खर्च करने के लिए तैयार हैं, 500 कार्यकर्ता जो हर महीने 5000 रुपये खर्च करने के लिए तैयार हैं और 500 लोकसभा चुनाव क्षेत्र हैं | यदि कार्यकर्ता अपने पैसे का आधा हिस्सा समाचार पत्र के लिए दें और कुछ कार्यकर्ता ,कुछ महीनों के लिए पैसे इकठ्ठा करें , तब हर साल हम, हर लोकसभा चुनाव क्षेत्र के लिए , 4-5 समाचार-पत्र के विज्ञापन/प्रचार दे सकते हैं | ( क्योंकि कई प्रचार एक से अधिक लोकसभा चुनाव क्षेत्र के लिए काम करेंगे )
और एक 16 पन्नों का पर्चा के लिए 3 रुपये खर्चा आएगा , बांटने के खर्च को मिलाकर/समेत ,तो हर महीने 30,000 रुपये के साथ हम 10,000 पर्चे एक लोकसभा चुनाव क्षेत्र में बाँट सकते हैं | इस तरह, कुछ 50 कार्यकर्ता हर लोकसभा चुनाव क्षेत्र में यदि `प्रजा अधीन-राजा ` के क़ानून-ड्राफ्ट का प्रचार करते हैं , तो एक साल में सभी लोगों तक ये जनहित के क़ानून-ड्राफ्ट पहुँच सकते हैं और `प्रजा-अधीन रजा` के कार्यकर्ता 2-5% वोट हर पंचायत, पार्षद, विधायक और सांसद के पद के लिए पक्का कर सकते हैं | ये काफी होगा `प्रजा अधीन-प्रधानमन्त्री`,`प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री` आदि को भारतीय राजपत्र में लाने के लिए | नए व्यक्ति को जानकारी के लिए कम पन्नों (2,4,8 ) पन्नों के पर्चे दिए जा सकते हैं, शुरू में और बाद में , अधिक पन्नों के पर्चे दिए जा सकते हैं |
तो जो काम मैं प्रस्तावित कर रहा हूँ ,वो छोटे हैं लेकिन आपस में पूरी तरह से जुड़ते हैं | यदि हर कार्यकर्ता सोचता है कि वो अकेला ये काम नहीं कर पायेगा , तो वो ये काम नहीं करेगा | लेकिन यदि कार्यकर्ता को विश्वास है ,कि इस काम में 2 लाख अपरिचित/अनजान कार्यकर्ताओं जुड जाएँगे, जो इस अध्याय के भाग-13.5 में दिए गए कदम के अनुसार काम करेंगे , तो `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट 2-3 सालों से कम में आ जाएँगे |
(13.9) दान और सदस्यता-शुल्क जमा करने के बिना प्रचार के खर्चे कैसे पूरे होंगे और बिना संगठन के, प्रचार कैसे होगा |
अब क्या हमें एक संचार समूह चलाने के लिए पैसे की जरूरत है? व्यावहारिक ज्ञान यह कहता है कि हमें हर काम के लिए पैसे की जरूरत होती है | फिर, क्या अंतर/फर्क है `प्रजा अधीन-राजा और अन्य संस्थाओं में , जो पैसे इकठ्ठा करते हैं ?
देखिये, दूसरे संस्थाओं में, कार्यकर्ताओं को पैसे संगठन के सबसे ऊपर के लोगों को भेजना होता है और ये उम्मीद/आशा करना होता है कि ऊपर के लोग और बीच के स्तर के लोग ये पैसा नहीं खायेंगे |
सबसे ऊपर के लोग के पास कारण है पैसा नहीं खाने के लिए – नाम/ख्याति जो एक दिन सत्ता/पद में बदल जायेगा | लेकिन बीच के लोगों के पास कोई नाम बनाने का अवसर नहीं होता और , जो थोडा बहुत नाम उनको मिलता है, उससे उनको पद नहीं मिलेगा | इसीलिए ,बीच के लोगों से ये उम्मीद करना कि वो पैसे नहीं खायेंगे, बहुत ज्यादा उम्मीद करना है |
जबकि `प्रजा अधीन-रजा` के नमूने में , कार्यकर्ता सीधे ही सभी पैसे खर्च करते हैं ,और एक भी पैसा किसी `प्रजा अधीन-रजा` के दफ्तर या पद-अधिकारी को नहीं देते हैं | इसीलिए कभी भी पैसा खान संभव नहीं है ,उदाहरण से `प्रजा अधीन-रजा` के कार्यकर्ता यदि इन्टरनेट पर प्रचार कर रहे हैं, तो वो पहले से ही इन्टरनेट की कंपनी को पैसे शुल्क के रूप में दे रहे हैं | और वो कोई भी पैसा किसी ऊपर के दफ्तर या व्यक्ति को नहीं दे रहे हैं, जो इन्टरनेट पर प्रचार कर रहा है, जिससे दुर्रुपयोग/गलत इस्तेमाल नहीं हो सकता | इसी तरह , जिन कार्यकर्ताओं को समाचार-पत्र के प्रचार देने हैं, वो भी प्रचार/विज्ञापन खुद देंगे और कोई भी ऊपर के दफ्तर/संगठन द्वारा पैसा इकठ्ठा करना नहीं होगा |
अब मैं यह बताने जा रहा हूँ कि इस कार्य के लिए संगठन की जरूरत नहीं है और संगठन बनाकर काम करना केवल समय की बरबादी के सिवाय कुछ भी नहीं है। संगठन एक ऐसा समूह होता है जिसमें छोटे- बड़े अधिकारी होते हैं और इसकी सम्पत्ति होती है। पदधारक समूह के लोगों में छोटे लोगों को अपने से उपर के अधिकारी को अपने कार्य की जानकारी देनी होती है/रिपोर्ट करना होता है जो बहुत महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है। और इसलिए जो सदस्य इस परंपरा का पालन नहीं करते उन्हें अकसर निकाल दिया जाता है या कम से कम उन्हें पदोन्नति तो नहीं ही दी जाती है । संगठन में केवल “किए जाने वाले कार्यों” की ही सूची नहीं बनाई जाती बल्कि “न किए जा सकने वाले कार्यों” की भी सूची बनाई जाती है जिससे सदस्यों की क्षमता कम होती है। संगठन बदलाव लाने और फेरबदल के कामों के विरूद्ध भी हो सकती है। संगठन के लिए सम्पत्ति और बहुत अधिक धन की जरूरत पड़ती है और यह फंड सदस्यता शुल्क अथवा इससे भी खराब यह कि चन्दा/ दान लेकर जमा की जाती है। सदस्यता शुल्क में अधिकांश मामलों में कमी आ जाती है। और इसलिए संगठन में सदस्यों से दान/चन्दा वसूलने के लिए कहा जाता है। और फिर वह स्थिति आ जाती है जहां पतन/गिरावट शुरू हो जाती है। और फिर संगठनों के नेताओं को दान देने वालों की शर्तों को स्वीकार करना पड़ता है। संदेह न करने वाले सदस्यों को यह सच्चाई बाद में समझ में आती है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
यदि कोई व्यक्ति शिक्षण संस्थान, अस्पताल आदि चलाने जैसे कार्य-कलाप करना चाहता है तो इसके लिए धन जमा करना और संगठन बनाना जरूरी होता है। लेकिन राजनैतिक सुधारों के लिए केवल संचार/लोगों को बताने की ही जरूरत पड़ती है और इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। क्यों? आम तौर पर कोई भी कार्यकलाप जिसके लिए समय और पैसा दोनों चाहिए उस कार्य के लिए संगठन की जरूरत पड़ती है लेकिन यदि कोई ऐसा काम जिसमें समय की जरूरत पड़े, बहुत थोड़े पैसे की जरूरत पड़े उसके लिए संगठन की जरूरत नहीं है। संचार समूह ही काफी है । हमलोगों के पास सरकार नाम की एक संस्था पहले से ही है और हमारा लक्ष्य सरकार में सुधार करना है। सरकार में सुधार करने के लिए हमें प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) जैसे कानून लागू कराने की जरूरत है। प्रजा अधीन-राजा , जूरी, सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) आदि कानूनों को लागू करने के लिए हमें `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली/सिस्टम कानून की जरूरत पड़ेगी अथवा हमें 100-300 संसदीय सीटें जीतने की जरूरत पड़ेगी। चुनाव जीतने का काम विरोधियों की गलतियों पर ज्यादा निर्भर करता है और इसमें क्लोन-निगेटिव तरीका होता है जबकि `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली/सिस्टम` के द्वारा अन्य जन हित के क़ानून लाने के लिए विरोधियों की गलतियों की जरूरत नहीं पड़ती और इसका तरीका क्लोन-पॉजेटिव होता है। और `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली जैसा कानून लाने के लिए हमें एक व्यापक आन्दोलन की जरूरत है। और व्यापक आन्दोलन पैदा करने के लिए हमें उन लोगों के बीच संचार की जरूरत पड़ेगी जो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली अथवा प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), `नागरिक और सेना के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)`, जूरी आदि कानून चाहते हैं। हमें किसी ऐसे संगठन की जरूरत नहीं है जहां लोग शारीरिक और भौतिक कार्य कलापों के लिए आदेश देते हैं और आदेश मानते हैं। संगठन बनाने से केवल मूल्यवान समय और धन की बरबादी के सिवाय और कुछ नहीं होगा।
अब भारत के 110 करोड़ वैसे लोगों के लिए क्या करें जिनके पास इंटरनेट नहीं है? इनमें से कुछ लोगों से सम्पर्क करने के लिए हम एस. एम. एस. का उपयोग कर सकते हैं जो नि:शुल्क है । शेष लोगों के लिए हमें पर्चियों/ पम्फलेटों और समाचार विज्ञापनों , बुक-पोस्ट/पुस्तक डाक, इनलैंड (अंतर्देशीय) और पोस्ट कार्ड की जरूरत पड़ेगी और मतदातों की सूची अपने स्थानीय कार्यकर्ता से प्राप्त कर इन्हें भेज सकते हैं । इसके लिए वे लोग योगदान दे सकते हैं जो प्रजा अधीन-रजा(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), जूरी व सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) कानूनों के प्रति बहुत ज्यादा प्रतिबद्ध हैं लेकिन समाचार पत्रों को सीधे ही भुगतान करें न कि प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह के किसी सदस्य को। ऊपर उल्लिखित कार्य-कलापों के पहले सेट के जरिए एक बड़ा संचार समूह तैयार हो जाता है। कार्यकलापों के अगले समूह में मीडियाकर्मियों का ध्यान आकर्षित करने के बारे में बताया गया है।
(13.10) कार्यकलापों की सूची / लिस्ट, कारण और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट – 2 (कार्यकर्ताओं के लिए ) |
पहली काम की सूची/लिस्ट में ज्यादातर 4 घंटे हर हफते लगते हैं और 10 से 200 रुपये खर्च करने हैं हर महीने | दूसरे कार्य की लिस्ट/सूची , उन लोगों के लिए है , जो ज्यादा समय/पैसा खर्च करना चाहते हैं | पहली लिस्ट मतदाताओं के लिए है और दूसरी लिस्ट चुनाव-कार्यकर्ताओं के लिए है | ये कदम कार्यकर्ताओं को और कार्यकर्ताओं को ढूंढने में भी मदद करेंगे | कोई किसी को भी 4-8 घंटे देश के लिए देने के लिए राजी करने की कोशिश कर सकता है | लेकिन मेरे विचार से , यदि कार्यकर्ता अपना समय उन कार्यक्रतों को ढूंढने में लगाएं जो कि पहले से ही `क` घंटे हर हफते देश के लिए लगा रहे हैं, तो उन्हें `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट को अपने कार्यों में जोड़ने के लिए विनती करनी चाहिए | कार्यकर्ताओं को एक विकल्प(दूसरा रास्ता) जोड़ने के लिए बोलना आसान है, क्योंकि कार्यकर्ता खुद एक विकल्प ढूँढ रहे होते हैं |
सेट – 2 के कार्यकलाप (कार्यकर्ताओं के लिए ) |
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2.1-(30-60 मिनट (एक बार))- प्रजा अधीन राजा (RTR) और `जनता की आवाज़` कानून पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – यहाँ से डाउनलोड करें – www.righttorecall.info/004.h.pdf और छाप कर पढ़ें और पढ़ने के लिए बांटें | यदि आपके पास प्रस्तावित नए कानून `जनता की आवाज पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)` पर कोई प्रश्न है तो कृपया अपनी चिन्ता/प्रश्न http://forum.righttorecall.info पर डालें या किसी `प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ता से पूछें |
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2.2 और कार्यर्ताओं को ढूँढना-30 मिनट (एक बार)
1)राजनैतिक पार्टियों/ गैर सरकारी संगठनों के समूह/ग्रुप अथवा किन्हीं राजनैतिक समूहों की तरह के इंटरनेट राजनैतिक समूह के कम से कम 5–10 समुदायों से जुड़ें। ये समूह ऑर्कूट अथवा फेसबुक अथवा किसी सामुदायिक साईट पर हो सकते हैं। आपको किस समूह से जुड़ना चाहिए? किसी भी ऐसे समूह से जुड़िए जिसमें, आप समझते हैं, कि ऐसे सदस्य हैं जो राजनीति में रूचि रखते हैं। |
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2.2- (आधा से एक घंटा हर हफता)2) इन समुदायों में डाले गए/लिखे गए पोस्टों को पढ़ें। देखें कि क्या ये पोस्ट डालने वाले, भ्रष्टाचार और गरीबी को कम करने में रूचि ले सकते हैं। यदि उनमें से कोई ऐसा है तो उसे एक `स्क्रैप(सन्देश)` भेजें जिसमें `जनता की आवाज` के बारे में बताया गया हो। हर सप्ताह 10 लोगों को ऐसे `स्क्रैप(सन्देश)` भेजें। औसतन केवल एक से ही जवाब मिलेगा।
3) जवाब मिलने पर उन्हें बताऐं कि कैसे `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत प्रणाली आदि कानून भ्रष्टाचार और गरीबी कम कर सकता है। 4) कृपया उसे अपना संगठन छोड़ कर `प्रजा अधीन-राजा समूह` से जुड़ने के लिए ना कहें | हमारे पास कभी भी दफ्तर और आदमी और हजारो कार्यकर्ता रखने के लिए पैसा नहीं होगा | इसके बदले, उसे `जनता की आवाज़-पारदर्शी शिकायत प्रणाली (सिस्टम) , `प्रजा अधीन-राजा` के अन्य क़ानून-ड्राफ्ट अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में जोड़ने के लिए कहें |
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2.3 `प्रजा अधीन-राजा` समूह के बैठकों में जाएँ, आप के आसपास-( दो घाटे हर महीना)यदि कोई भी `प्रजा अधीन-राजा` समूह की बैठकें, आपके क्षेत्र में नहीं हैं ,तो आप खुद `प्रजा अधीन-राजा समूह` की बैठकें अपनी पास के बाघ-बगीचे में करें |
जो विकल्प(दूसरे रास्तों) के लिए ढूँढ रहे हैं, उनको ये भी मालूम होना चाहिए कि विकल्प हैं | अन्ना के दल से अलग, हमारे कभी भी विदेशी कम्पनियाँ प्रायोजक नहीं बनेंगे, जो नागरिकों को `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में बताएं | इसीलिए बाग-बैठकें सबसे अच्छा और सीधा तरीका है, दूसरों को बताने का कि विकल्प है , जिससे देश की गरीबी और भ्रष्टाचार कम हो सकते हैं | |
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2.4 बड़े स्तर पर पर्चे बांटना –दस घंटे 1000 पर्चो के लिए1. पर्चों के `पी.डी.एफ` और `पी.डी.एफ` के दर्पण/मिरर मैं ने अपनी वेबसाइट www.righttorecall.info पर डाल दी है | आप वहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं |
2. फिर, पर्चों के कापियां या ओफ्फ्सेट बनाएँ और 1000-2000 पर्चे अपने क्षेत्र में , बस स्टैंड या अन्य जगह ,पर बांटें या मतदाता-सूची में से क्रम-रहित(बिना लाइन के ) तरीके से मतदाताओं को चुनकर भेजें | 3. यदि आपके पास ज्यादा समय है, तो कृपया एक पत्रिका के लिए रेजिस्टर/पंजीकृत करें जिससे आप पर्चे डाक द्वारा 25 पैसे में भेज सकेंगे मतदाताओं को मतदाता सूच/लिस्ट में से क्रम-रहित(बिना लाइन के ) तरीके से लेकर | |
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2.5 समाचार-पत्र का प्रचार -एक अच्छा समाचार पत्र के प्रचार के लिए ,पहले या दूसरे पन्ने पर, 50,000 रुपये से लेकार दो लाख रुपयों तक खर्च आएगा , किस जगह प्रचार होगा, उस के हिसाब से |
इसीलिए यदि आप फैसला करते हैं कि आप को एक हज़ार रुपये(रु.1000) खर्च करने हैं हर महीने, तो कृपया 10-30 आपके जैसे कार्यकर्ताओं को ढूंढें और हरेक का छह महीने का पैसा इकठ्ठा करें , मतलब हरेक से 6000 रुपये और एक समाचार पत्र में प्रचार , `प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री`, `प्रजा अधीन-जज`, `प्रजा अधीन-लोकपाल`, `सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)` आदि पर दें | और फिर अगले छह महीने, कोई भी पैसा नहीं खर्च करें , सिवाय 100 रुपये पोस्ट-कार्ड पर | |
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समाचार-पत्र के प्रचार जरूरी क्यों हैं ?इतना ही काफी नहीं है कि करोड़ों नागरिक जाने कि प्रजा अधीन-राजा के क़ानून-ड्राफ्ट क्या हैं ,लेकिन करोड़ों नागरिकों को ये भी मालूम होना चाहिए कि करोड़ों नागरिकों को पहले से ही ये जन-हित के ड्राफ्टों के बारे में पता है |और इसीलिए , समाचार-पत्र बहुत जरूरी हैं | मान लीजिए कि मैंने एक लाख पर्चे `प्रजा अधीन-राजा` पर बांटें | तब एक लाख नागरिकों को `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्टों के बारे में पता होगा | लेकिन इन एक लाख नागरिकों में से हरेक नागरिक के पास कोई भी तरीका नहीं है ये जानने का कि ऐसे एक लाख नागरिक हैं जिनको `प्रजा अधीन-राजा` के बारे में पता है , क्योंकि वे ये जान नहीं सकते या जांच नहीं कर सकते कि मैंने कितने पर्चे बांटे हैं |
लेकिन जब मैं एक प्रचार/विज्ञापन देता हूँ , समाचार-पत्र के पहले पन्ने पर , तब हर एक पड़ने वाले/पाठक को पता होगा कि ये प्रचार उस समाचार-पत्र के हर दूसरे पाठक के पास पहुंची है | इसीलिए मैं ये विनती करता हूँ सभी कार्यकर्ताओं को कि वे अपना आधा पैसा समाचार-पत्र के प्रचार/विज्ञापनों में लगाएं | |
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2.6 पर्चे, इनलैंड (अंतर्देशीय) आदि बांटना चुनाव के समय में-यदि चुनाव चल रहे हैं, तो कृपया पता लगाएं आप के इलाके/क्षेत्र में या पास के इलाके में , कौन सा उम्मीदवार खड़ा है , जिसने `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट अपने घोषणा-पत्र में डाला है और उस का प्रचार भी किया है | इन्टरनेट के जरिये या किसी कार्यकर्ता से उसके पर्च लेकर 10-20-1000 पर्चे बांटें, आपकी इच्छा अनुसार |
अथवा यदि उम्मीदवार आप के घर से बहुत दूर है, को कृपया इन्टरनेट से मतदाता-सूची डाउनलोड करें और 10-20 या अधिक , आपकी इच्छा अनुसार उसके चुनाव-क्षेत्र के मतदाताओं को भेजें | |
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2.7 चुनाव के समय में समाचार-पत्र में प्रचार/विज्ञापन-एक अच्छा समाचार पत्र के प्रचार के लिए ,पहले या दूसरे पन्ने पर, 50,000 रुपये से लेकार दो लाख रुपयों तक खर्च आएगा , किस जगह प्रचार होगा, उस के हिसाब से |
इसीलिए यदि आप फैसला करते हैं कि आप को एक हज़ार रुपये(रु.1000) खर्च करने हैं हर महीने, तो कृपया 10-30 आपके जैसे कार्यकर्ताओं को ढूंढें और हरेक का छह महीने का पैसा इकठ्ठा करें , मतलब हरेक से 6000 रुपये और एक समाचार पत्र में प्रचार , `प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री`, `प्रजा अधीन-जज`, `प्रजा अधीन-लोकपाल`, `सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)` आदि पर दें | और फिर अगले छह महीने , कोई भी पैसा नहीं खर्च करें , सिवाय 100 रुपये पोस्ट-कार्ड पर | |
इंटरनेट याचिका के मुकाबले पत्र का महत्व / वैधता ज्यादा होती है। और यदि प्रधानमंत्री को किसी पत्र की वैधता पर संदेह हो तो तलाटी को यह आदेश देने के लिए उनका स्वागत है कि नागरिकों को ग्राम अधिकारी के पास आने दें और ग्राम अधिकारी नागरिकों के अभिलेख / रिकॉर्ड और उसकी पहचान की सत्यता की जांच करे।
(13.11) सभी कार्यकर्ताओं के लिए योजना का सारंश (छोटे रूप में ) |
निम्नलिखित कार्यकर्ताओं के प्रकार है और जो योजना मैं उनके लिए प्रसावित करता हूँ-
10 रुपयेप्रति महीना
(लाखों मतदाता) |
(क)500 रुपयेप्रति महीना
(400 कार्यकर्ता प्रति लोकसभा चुनाव क्षेत्र) |
(ख)1000 रुपयेप्रति महीना
(40 कार्यकर्ता प्रति लोकसभा चुनाव क्षेत्र) |
(ग)2000 रुपये प्रति महीना
(10 कार्यकर्ता प्रति लोकसभा चुनाव क्षेत्र) |
(घ)5000 रुपये
प्रति महीना (एक कार्यकर्ता प्रतिलोकसभा चुनाव क्षेत्र) |
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(1)5 घंटे प्रति महीना | सेट/लिस्ट- 1(मतदाता के लिए)
(1)`प्रजा अधीन-रजा`समूह क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ें (2)20 पोस्ट-कार्ड लिखें हर महीने (3)एक बाग बैठक में जाएँ हर महीना और क़ानून-ड्राफ्ट की चर्चा करें |
सेट/लिस्ट- 2(कार्यकर्ताओं के लिए)
(1)`प्रजा अधीन-रजा`समूह क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ें (2)20 पोस्ट-कार्ड और 30 इनलैंड (अंतर्देशीय) लिखें हर महीने (3)एक बाग- बैठक में जाएँ हर महीना और क़ानून-ड्राफ्ट की चर्चा करें (4) 800 पर्चे बांटें हर 6 महीने |
सेट/लिस्ट- 2(कार्यकर्ताओं के लिए)
(1)`प्रजा अधीन-रजा`समूह क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ें (2)10 पोस्ट-कार्ड लिखें हर महीने (3)1000 पर्चे बांटें हर 6 महीने (4)6000 रूपए खर्च करें साल में एक बार, एक समाचार-पत्र विज्ञापन के लिए (अन्य साथियों के साथ पैसे जमा कर के ) |
सेट/लिस्ट- 2(कार्यकर्ताओं के लिए)
(1)`प्रजा अधीन-रजा`समूह क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ें (2)10 पोस्ट-कार्ड लिखें हर महीने (3)1000 पर्चे बांटें हर 3 महीने (4)12,000 रूपए खर्च करें साल में एक बार, एक समाचार-पत्र विज्ञापन के लिए (अन्य साथियों के साथ पैसे जमा कर के )
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सेट/लिस्ट- 2(कार्यकर्ताओं के लिए)
(1)`प्रजा अधीन-रजा`समूह क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ें (2)10 पोस्ट-कार्ड लिखें हर महीने (3) 5000 पर्चे बांटें/बंटवाये हर 6 महीने (4)30,000 रूपए खर्च करें साल में एक बार , एक समाचार-पत्र विज्ञापन के लिए (अन्य साथियों के साथ पैसे जमा कर के ) |
(2)10 घंटे प्रति महीना | ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(4) अक्सर पूछे गए प्रश्न पढ़ें (सेट-2.1)
(5) कोई पार्टी या बाग की बैठक हर महीने में जाएँ (6)प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,महापौर,सरपंच,जज,समाचार-पत्र,टी.वी चैनल, स्थानीय राजनैतिक पार्टी के सांसद,विधाक,पार्षद,सदस्य,गैर-सरकारी संस्था में से एक को पत्र |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(4) अक्सर पूछे गए प्रश्न पढ़ें (सेट-2.1)
(5) दो पार्टी या बाग की बैठकें हर महीने में जाएँ (6)प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री,महापौर,सरपंच,जज,समाचार-पत्र,टी.वी चैनल, स्थानीय राजनैतिक पार्टी के सांसद,विधाक,पार्षद,सदस्य,गैर-सरकारी संस्था में से एक को पत्र |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(4) अक्सर पूछे गए प्रश्न पढ़ें (सेट-2.1)
(5) दो पार्टी या बाग की बैठकें हर महीने में जाएँ |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(4) अक्सर पूछे गए प्रश्न पढ़ें (सेट-2.1)
(5) दो पार्टी या बाग की बैठकें हर महीने में जाएँ |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(4) अक्सर पूछे गए प्रश्न पढ़ें (सेट-2.1)
(5) दो पार्टी या बाग की बैठकें हर महीने में जाएँ |
(3)20 घंटे प्रति महीना | ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(6) `प्रजा अधीन- राजा`विडियो देखें
(7) `प्रजा अधीन-राजा` के बारे में `एस.एम.एस`भेजें (8) `प्रजा अधीन-राजा` समूह के चार पन्नों पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(6) `प्रजा अधीन राजा`विडियो देखें
(7) `प्रजा अधीन-राजा` के बारे में `एस.एम.एस`भेजें (8) `प्रजा अधीन-राजा` समूह के चार पन्नों पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(6) `प्रजा अधीन राजा`विडियो देखें
(7) `प्रजा अधीन-राजा` के बारे में `एस.एम.एस`भेजें (8) `प्रजा अधीन-राजा` समूह के चार पन्नों पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(6) `प्रजा अधीन राजा`विडियो देखें
(7) `प्रजा अधीन-राजा` के बारे में `एस.एम.एस`भेजें (8) `प्रजा अधीन-राजा` समूह के चार पन्नों पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(6) `प्रजा अधीन राजा`विडियो देखें
(7) `प्रजा अधीन-राजा` के बारे में `एस.एम.एस`भेजें (8) `प्रजा अधीन-राजा` समूह के चार पन्नों पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद |
(4)40 घंटे प्रति महीना | ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(9) `अक्सर पूछे गए प्रश्न` और `प्रजा अधीन-राजा`(आर.आर.जी) समूह के बतीस पन्नों का पर्चा या कोई अन्य` आर.आर.जी` पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद
(10)भारत के समस्याओं पर अपने क़ानून-ड्राफ्ट लिखें |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(9) `अक्सर पूछे गए प्रश्न` और `प्रजा अधीन-राजा“(आर.आर.जी) समूह के बतीस पन्नों का पर्चा या कोई अन्य `आर.आर.जी` पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद
(10)भारत के समस्याओं पर अपने क़ानून-ड्राफ्ट लिखें या `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट पर विडियो बनाएँ |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(9) `अक्सर पूछे गए प्रश्न` और `प्रजा अधीन-राजा`(आर.आर.जी.) समूह के बतीस पन्नों का पर्चा ` या कोई अन्य `आर.आर.जी` पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद
(10)भारत के समस्याओं पर अपने क़ानून-ड्राफ्ट लिखें (11) चुनाव प्रचार में मदद करें |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(9) `अक्सर पूछे गए प्रश्न` और `प्रजा अधीन-राजा`(आर.आर.जी) समूह के बतीस पन्नों का पर्चा ` या कोई अन्य `आर.आर.जी` पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद
(10)भारत के समस्याओं पर अपने क़ानून-ड्राफ्ट लिखें (11) चुनाव प्रचार में मदद करें व चुनाव लड़ने के लिए सोचें/विचार करें(लिस्ट-3 देखें) |
ऊपर लिखा हुआ और उसके साथ,(9) `अक्सर पूछे गए प्रश्न` और `प्रजा अधीन-राजा`(आर.आर.जी) समूह के बतीस पन्नों का पर्चा ` या कोई अन्य `आर.आर.जी` पर्चे का अपनी भाषा में अनुवाद
(10)भारत के समस्याओं पर अपने क़ानून-ड्राफ्ट लिखें (11) चुनाव प्रचार में मदद करें व चुनाव लड़ने के लिए सोचें/विचार करें(लिस्ट-3 देखें) |
आधा समय प्रचार के लिए लगाएं और आधा अध्ययन के लिए ताकि दूसरों के प्रश्नों का उत्तर दे सकें |
(13.12) कार्यकलापों की सूची, कारण और वह समय जो इनमें लगेगा: सेट – 3 (`प्रजा अधीन – राजा के मंच पर चुनाव लड़ने वालों के लिए ) |
कार्यकलापों के तीसरे सेट उनके लिए हैं जो `प्रजा अधीन-राजा` के मंच से चुनाव लड़ना चाहते हैं |
अब यदि आप रैंडम्ली/क्रमरहित तरीके से किसी देश में, केवल भारत में ही नहीं, 100 व्यक्तियों का चयन करते हैं तो उनमें से केवल 2 से 4 प्रतिशत लोग ही भ्रष्टाचार / गरीबी कम करने के लिए समय देने के इच्छुक होंगे। हालांकि 99 प्रतिशत लोग भ्रष्टाचार का विरोध करेंगे और 90 प्रतिशत लोग गरीबी नहीं चाहेंगे । फिर भी भ्रष्टाचार/ गरीबी कम करने में केवल 2 से 4 प्रतिशत लोग लगभग 1 2 या ज्यादा घंटे प्रति सप्ताह देने के लिए राजी होंगे । शेष लोग चुनाव जीतने लायक किसी अच्छे उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं अथवा एक अच्छे कानून का समर्थन करने के लिए एस. एम. एस. भेज सकते हैं। अथवा साल में एक बार किसी रैली में भाग ले सकते हैं । लेकिन वे किसी प्रस्तावित कानून के लिए प्रचार अभियान में एक वर्ष में एक घंटे से ज्यादा समय नहीं देंगे। चुंकि सभी देशों में यह समस्या आती है और कई देशों ने इसका समाधान कर लिया है इसलिए भारत में हमें इसके बारे में और शिकायत नहीं करनी चाहिए।
तीसरा सेट उन के लिए भी है जो अपना जीवन बटुकेश्वर दत्त केजीवन से ज्यादा खराब जीना चाहते हैं और बटुकेश्वर दत्त से ज्यादा दुखी मौत मारना चाहते हैं | कृपया गूगल करें “बटुकेश्वर दत्त” पर और और आपको उसपर ज्यादा जानकारी मिल जायेगी |
बटुकेश्वर दत्त का जन्म 1910 में हुआ था और उसने दसवी पी.पी.एन. हाई स्कूल, कानपुर से पूरी की थी | उस समय दसवी पास करना , एक अच्छी नौकरी पाने के लिए काफी थी | लेकिन दत्ता ने आजादी के आंदोलन से जुड़ने का फैसला किया | दत्त भगत सिंह का साथी था | दोनों ने 1929 में असेम्बली में बम फेंका , जिसके लिए दत्त को फांसी हो सकती थी | लेकिन उसको फांसी नहीं हुई, बल्कि उसको आजीवन/पूरे जीवन की कैद हुई क्योंकि कोई भी मारना का मकसद नहीं पाया गया उस मामले में | भगत सिंह को फांसी की सज़ा दी गयी, सांडर्स को मारने के लिए | दत्त पर भी मुकदमा चला सांडर्स को मारने के लिए , लेकिन दत्त सांडर्स को मारने में शामिल नहीं था, इसीलिए उसे इस मामले में सज़ा नहीं हुई | दत्त को `काला पानी` भेजा गया ,जहाँ उसे टी.बी हो गयी और उसे 1940 में छोड़ दिया गया | फिर ,उसने `भारत छोडो आंदोलन` में भाग लिया , जिसके लिए उसे 3 साल की सज़ा दी गयी | आज़ादी के बाद उसने शादी की | हाई-स्कूल की शिक्षा के बावजूद,जो उस समय काफी थी एक अच्छी नौकरी पाने के लिए, दत्त को सब्जियां बेच कर जीवन चलाना पड़ा !! 1964 में लगबग गुमनामी में उसकी मौत हुई |
एक कच्चा/नौसिखिया पाठक ये पूछ सकता है ,” ये सच नहीं हो सकता , क्योंकि दत्त को `स्वतंत्रता सेनानी पेंशन` मिलती होगी “. देखिये, `स्वतंत्रता सेनानी पेंशन` 1971 से पहले शुरू नहीं हुई थी और दत्त 1964 में खत्म हो गए थे | ये योजना इतनी देरी से क्यों शुरू हुई ? बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना शरीर और मन का स्वास्थ्य, जमीन खो दिया था और बहुत तो अपाहिज भी हो गए थे | लेकिन नेहरू और सरदार पटेल ने स्वतंत्रता सेनानियों को कोई भी पेंशन देने से इनकार कर दिया | क्योंकि यदि उनको पेंशन दी जाती , तो वो आर्थिक रूप से (पैसे से ) सुरक्षित महसूस करते और राजनीत में चले जाते और कांग्रेस के वोट काट देते | इसीलिए स्वतंत्रता सेनानियों को कोई पेंशन नहीं मिली, 1971 तक |
दत्त को कभी भी अपने जीवन में कोई सम्मान नहीं मिला क्योंकि उसे सम्मान और नाम देने से उसे राजनीति में मंच मिल जाता , जो उस समय के नेताओं का प्रभाव कम कर सकता था | इसीलिए उस समय के सारे नेताओं ने मीडिया को बहुत ज्यादा जोर दिया होगा मीडिया वालों को , कि दत्त के नाम का प्रचार न करें | उसकी मीडिया में, प्रशंसा नहीं हुई, क्योंकि यदि उसकी प्रशंस/तारीफ़ हुई होती, तो एक प्रश्न उठता कि “ क्या कर रहे हो उसके लिए अभी “ | सामान्य तरीके से , कवी आदि मरे शहीदों की तारीफ़ करना पसंद करते हैं, ना कि जिन्दा बहादूरों/वीरों की क्योंकि जिन्दा वीरों की तारीफ़ करने से नेताओं का प्रभाव कम हो सकता है और प्रश्न उठ सकते हैं |
शहीदों की तुलना करना , कि कौन शहीद ज्यादा बड़ा है, न तो सही है और ना अच्छा | लेकिन कुछ मायनों में, मैं दत्त को भगत सिंह से बड़ा मानता हूँ | दत्ता ने कुछ काफी मुश्किल परीक्षाएं पास की , जो भगत सिंह को कभी झेलनी नहीं पड़ीं | 1950 के दशक में , यदि दत्त ने नेहरु के पैर छुए होते और कांग्रेस के साथ मिल गए होते , तो कांग्रेस उसको कम से कम विधायक बना देती और उसके नाम पर वोट बटोरती | कांग्रेस्सियों ने दत्त को कांग्रेस से जुड़ने के लिए कहा होगा और पैसे और पद का वायदा भी किया होगा , लकिन दत्त बिके नहीं | यएक 35 साल के व्यक्ति को बिकना के लालच को ना कहना ज्यादा मुश्किल है, बजाय के एक 25 साल केयुवक के | और एक 55 साल के व्यक्ति को बिकने के लालच को ना कहना ज्यादा मुश्किल है बजाय के ,एक 45 साल के व्यक्ति के | हम ये कह सकते हैं , कि भगत सिंह भी कभी नहीं बिके थे , लेकिन भगत जी भाग्यशाली थे , कि उनको गरीबी होने पर ,55 साल पर ना बिकने का लालच की परीक्षा देनी नहीं पड़ी | दत्त ने ऐसी परीक्षा दी और पास हो गए |
मैं पाठकों को आग्रह करता हूँ/जोर देता हूँ कि दत्त पर लेख/पुस्तकें इकठ्ठा करें |
अब मैं बटुकेश्वर दत्त के जीवन का उदाहरण क्यों दे रहा हूँ ?
क्योंकि एक तरफ मैं बहुत चाहता हूँ कि 500,5000,50,000 व्यक्ति `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट के मुद्दे पर चुनाव लडें राष्ट्रीय,राज्य और स्थानीय स्तर पर , मैं सब को पहले से बताना चाहता हूँ कि क्या हो सकता है |`प्रजा अधीन-प्रधानमन्त्री`, `प्रजा अधीन-पुलिस कमिश्नर`, `प्रजा अधीन-सुप्रीम कोर्ट-जज`, `प्रजा अधीन-हाई-कोर्ट जज` केवल राजनैतिक विचार ही नहीं हैं, लेकिन आप सभी सत्ता में बैठे लोगों और बुद्धिजीवियों के दुश्मन बन जाते हैं क्योंकि उनका इससे उनके नाजायज धंधे में भारी कमी आएगी | `प्रजा अधीन-राजा` लोकपाल नहीं है , जहाँ बड़े चोरों (मतलब विदेशी कम्पनियाँ ) को , छोटे चोरों पर ज्यादा लाभ मिलता है | `प्रजा अधीन-राजा` का स्वरूप, चुनाव के बाद बातीत के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ता क्योंकि क़ानून-ड्राफ्ट पहले से तैयार हैं और भारतीय राजपत्र में डाले जा सकते हैं, मिनटों में | `पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम)` को भारतीय राजपत्र में डालने से घटनाओं की श्रंखला/चैन शूरू हो जायेगी जिससे महीनों में `पब्लिक में मंत्रियों, उच्च अधिकारीयों, जजों का नार्को जांच नागरिकों के बहुमत द्वारा` और `मंत्रियों, उच्च अधिकारी, जाजों की सज़ा/फांसी` भी भारतीय राजपत्र(गैजेट) में आ जाएँगे , `प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री`, `प्रजा अधीन-जज ,आदि के साथ | ये क़ानून-ड्राफ्ट विदेशी कंपनियों, सभी भ्रष्ट, ज्यादातर उच्च वर्ग , बुद्धिजीवी जो उच्च वर्ग के एजेंट हैं ,के लिए एक बुरा सपना है |
इसीलिए यदि , आप खुले आम `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट की तारीफ़ करते हैं और मांग करते हैं, तो कभी न कभी , आप और अन्य कार्यकर्ता बुद्धिजीवियों को उनके ड्राफ्टों पर राय देने के लिए कहेंगे | यदि बुद्धिजीवी क़ानून-ड्राफ्ट का समर्थन करते हैं, तो उच्च/विशिष्ट वर्गों के दुश्मन बन जाएँगे और यदि क़ानून-ड्राफ्ट का विरोध करते हैं, तो कार्यकर्तओं को पता चल जायेगा कि ये बुद्धिजीवी , उच्च वर्ग के एजेंट हैं | इसीलिए , वो आप से नफरत करेंगे और पूरी कोशिश करेंगे आपको परेशान करने के लिए |
इसीलिए यदि आप चुनाव लड़ना चाहते हैं `प्रजा अधीन-राजा`., `सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)`, `जूरी सिस्टम` आदि के क़ानून-ड्राफ्ट के मुद्दों पर, तो कम से कम तैयार हो जायें बटुकेश्वर दत्त के जैसे जीवन जीने के लिए | कुछ दिन अवश्य लगाएं सोचने में, कि आप ऐसा जीवन जी सकते हैं कि नहीं | यदि आप इस तरह के जीवन का सामना कर सकते हैं, तो ही `प्रजा अधीन-राजा` के मुद्दे पर चुनाव लड़ें , नहीं तो नहीं |
सूची/लिस्ट-3 के कार्य –
सेट-3 उन लोगों के लिए है जो प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (आमदनी) कानूनों और जूरी प्रणाली आदि पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और/अथवा जिन्होंने भारत में प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को लाने के लिए अपनी जिन्दगी और अपनी कमाई का एक बड़ा भाग इस कार्य के लिए लगाने का निर्णय कर लिया है। वे जितना ज्यादा समय देना चाहें उतना दे सकते हैं। इसलिए मैं यहां कोई समय सीमा नहीं दे रहा हूँ।
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कदम-3.1 : बटुकेश्वर दत्त की आत्मकथा पढ़ें |
कदम-3.2 : `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट पर हज़ारों पर्चे घर-घर या बस-स्टैंड पर बांटें|
कदम 3.3 : `प्रजा अधीन-राजा` के दस्तावेज अपने स्थानीय भाषा में अनुवाद करें |
कदम 3.4 : भारत/दुनिया में प्रशाशनिक सिस्टम, वर्त्तमान और पहले का, पर लेख लिखें |
कदम 3.5 : भारत की समस्याएं कम करने के लिए क़ानून-ड्राफ्ट लिखें |
कदम 3.6 :`प्रजा अधीन-राजा`,`सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)`,
`पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम) मुद्दों पर चुनाव लड़ें |
कदम 3.7 :अपनी `प्रजा अधीन-राजा`पार्टी शुरू करें |
(13.13) प्रस्तावित चुनाव-प्रचार के तारीके |
मैं क्यों प्रस्ताव करता हूँ कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में `प्रजा अधीन-राजा` के कार्यकर्ता चुनाव लड़ें ? क्योंकि चुनाव लड़ना सबसे तेज तरीका है `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्टों की जानकारी सभी राजनैतिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों के पास ले जाने के लिए | यदि मेरा उद्देश्य छाता बेचना है, तो सबसे अच्छा समय बारिश का समय है | इसी तरह, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक `प्रजा अधीन-रजा` के ड्राफ्टों की बात पहुंचाने के लिए चुनाव सबसे अच तरीका है |
मान लीजिए आप 10,000 पर्चे `प्रजा अधीन-राजा` पर नागरिकों को देते हैं, जिस दिन चुनाव नहीं है| फिर, शायद 500 लोग उस पर्चे को पढेंगे | लेकिन यदि ,चुनाव का दिन है, तो माहौल इतना गरम था, कि 10,000 पर्चे बांटने पर 3000 से 5000 या ज्यादा लोग पर्चों को पढेंगे | इसीलिए सबसे अच्छा तरीका , `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट को नागरिकों तक पहुंचाने के लिए है ,कि आप चुनावी उमीदवार बन जायें और समाचार-पत्र में प्रचार दें और पर्चे बांटें |
प्रस्तावित चुनावी प्रचार अभियान के तरीके उमीदवारों के लिए
नीचे मैं तरीके बता रहा हूँ चुनाव के सम्बन्ध में जो मैंने किये हैं और सभी `प्रजा अधीन-राजा`उमीदवारों को करने का सुझाव दूँगा | और जैसे हमेश के जैसे , उमीदवार इसमें बदलाव कर सकते हैं, अपने अनुसार |
1.) कृपया जीतने के उद्देश्य से चुनाव नहीं लड़ें | चुनाव जीतने के लिए , किसी को कम से कम 25% वोट चाहिए और कोई चुनाव-क्षेत्र उस स्तर तक पहुँचने के लिए , कोई पार्टी को या तो सांप्रदायिक क्षेत्रीय विचारधारा या राष्ट्रीय स्तर अपील की जरूरत है, जिससे उसे पूरे देश में 5% वोट मिलें | यदि `प्रजा अधीन-राजा` पार्टी/समूह को राष्ट्रीय स्तर पर 5% वोट मिल जाते हैं, तो `प्रजा अधीन-राजा` क़ानून आ जाएँगे |
[यदि 4 करोड़ वोटर (कुल 75 करोड़ मतदाताओं का 5%) `प्रजा अधीन राजा` को इतना समर्थन करते हैं कि वे `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्ट के लिए चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को वोट देते हैं, तो कोई 10-12 करोड़ लोग `प्रजा अधीन के ड्राफ्टों को थोडा बहुत पसंद करते होंगे | ये नंबर/संख्या काफी है एक सफल आंदोलन के लिए | (एक कांग्रेस-विरोधी मतदाता ,सामान्य तौर पर भा.ज.पा को वोट करेगा और इसका उल्टा भी सही है |तो यदि एक कांग्रेस-विरोधी मतदाता `प्रजा अधीन-राजा` के लिए वोट करता है और भा.ज.पा के लिए नहीं, बजाय इसके मालुम होने के की `प्रजा अधीन-राजा` पार्टी हार जायेगी, तो इसका मतलब वो `प्रजा अधीन-राजा` का बहुत ज्यादा समर्थक है और विश्वास है | तो हर मतदाता ,जिसको `प्रजा अधीन-राजा` पर बहुत ज्यादा विश्वास है, के पीछे 2-3 मतदाता होंगे ,जिनको थोडा बहुत `प्रजा अधीन-राजा` पर विश्वास है (सामान्य वितरण)) ]
2.) कृपया तैयार रहें विभिन्न अत्याचारों के लिए, आय-कर विभाग के पूछताछ से लेकर , आपके आस-पास लोगों की बहुत निंदा तक |
3.) कृपया समाचार-पत्र में प्रचार/विज्ञापन दीजिए (खर्चा कई लाखों में हो सकता है ) |
4.) कृपया जहाँ तक हो सके पर्चे खुद बांटें |
5.) यदि संभव हो तो एक पत्रिका को रेजिस्टर कर लीजिए , ताकि पर्चों को डाक द्वारा बांटा जा सके कम दाम में |
6.) कृपया ज्यादा से ज्यादा बैठकें करें , चुनाव घोषित होने से पहले | क्योंकि चुनाव घोषित होने के बाद, व्यस्तता बढ़ जायेगी और बैठकें, आदि करना मुश्किल हो जायेगा |
7.) पहले कुछ महीनों के लिए , कृपया उन कार्यकर्ताओं को पर्चे बांटने के लिए दें ,लेकिन बाद में उनको पी.डी.एफ दर्पण को आपके वेबसाइट से सीधे डाउनलोड करने के लिए कहें और ओफ्फ्सेट पर छापने और पर्चे बांटने के लिए कहें | ये इसीलिए जरूरी है क्योंकि कार्यकर्ताओं को भी खुद ट्रेनिंग मिले उमीदवार बनने के लिए | और ये पर्चों के छापने और बांटनें की देख-रेख का भोज कम कर देता है | बाद के एक भाग में , मैंने दिखाया है कि `क` कार्यकर्ता यदि परहे छाप रहे हैं खुद से , तो वो सस्ता है, ना कि एक नेता देख-रेख करे कि `क` कार्यकर्ता पर्चे बांटें |
8.) कृपया घंटे का या रोज का मुआवजा कार्यकर्ताओं को ना दें | यदि भारत मरने वाला है, और यदि `भ्रष्ट को बदलने/निकालने का नागरिकों का अधिकार`(प्रजा अधीन राजा) समाधान है, तो इस मुद्दे पर चुनाव लड़कर, आप ने देश को बहुत बड़ा योगदान दिया है और कोई भी मुआवजा देने कि कोई जरूरत नहीं है, उन लोगों को जो भारत की मदद कर रहे हैं |
9.) आप को कई पी.डी.एफ अपनी वेबसाइट पर डालनी चाहियें , जिसमें मतदाता को पोस्टकार्ड, मतदाता को इनलैंड (अंतर्देशीय) , प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री, जज, सरपंच आदि को पत्र हो `पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम) पर हस्ताक्षर करने के लिए और उनके दर्पण | ये इस लिए जरूरी है क्योंकि कार्यकर्ता इन पी.डी.एफ. को डाउनलोड कर सके
प्रस्तावित प्रचार अभियान के तरीके , उम्मीदवारों की मदद करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए
यदि आप विश्वास करते हैं, कि `प्रजा अधीन राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट की जानकारी ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को जानी चाहिए , तो कृपया उन उमीदवारों के लिए प्रचार करें जिन्होंने `प्रजा अधीन-राजा की जानकारी फैलाने के लिए बहुत कोशिश की है | क्यों ? देखिये, जितने ज्यादा वोट ऐसे उमीदवारों को मिलेंगे , उतने ही ज्यादा लोगों को मालूम पड़ेगा `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में और फिर और अधिक कार्यकर्ता `प्रजा अधीन-राजा` के मंच और मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे और जानकारी और फैलेगी | इसीलिए यदि आप `प्रजा अधि-राजा ` के क़ानून-ड्राफ्ट पर जानकारी ,चुनाव के समय फैलाते हैं, तो ये सबसे अच्छा तरीका है |
नीचे लिखे गए कदम मैं सुझाव देता हूँ करने के लिए :
(1.) कृपया उम्मीदवारों की सूची/लिस्ट देखें और फैसला करें , कौन से उमीदवार ने सबसे अधिक काम किया है `प्रजा-अधीन राजा ` के क़ानून-ड्राफ्ट , `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम)` के क़ानून-ड्राफ्ट ,`सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)` आदि के क़ानून-ड्राफ्ट की जानकारी फैलाने में | मेरे विचार से, आपको उस उमीदवार का समर्थन करना चाहिए , जरूरी नहीं कि आधिकारिक(जिसको अधिकार मिला हुआ है ) `प्रजा अधीन-राजा` के उम्मीदवार को समर्थन करना है |
(2.) यदि आप को लगता है कि कोई उमीदवार `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में जानकारी फ़ैलाने के लिए चुनाव नहीं लड़ रहा है, वो नहीं दे रहा है , केवल अपने (व्यक्तिगत ) फायदे के लिए लड़ रहा है , तो कृपया उस उम्मीदवार के लिए प्रचार न करें | यदि आप के क्षेत्र और आस पास के क्षेत्र में सारे उम्मीदवार स्वार्थी हैं,और `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट लाने में समर्पित नहीं है , तो कोई दूर के क्षेत्र में जहाँ समर्पित उमीदवार है, वहाँ के मतदाताओं से डाक/इन्टरनेट द्वारा जुड़ें/संपर्क करें |
(3.) सबसे बड़ी बात, आप को पक्का होना चाहिए कि आप समय और पैसा `प्रजा अधि-राजा` के जानकारी के प्रचार के लिए दे रहे हैं, न कि किसी उम्मीदवार के फायदे के लिए | यदि आप को थोडा भी शक है कि उम्मीदवार अपने फ़य्दे३ के लिए चुनाव लड़ रहा है, तो उसको समर्थन न करें |
(4.) कृपया मतदाता लिस्ट इन्टरनेट से डाउनलोड करें या दूसरी तरह से प्राप्त करें /ले लें |
(5.) मैं सभी कार्यकर्ताओं से विनती करता हूँ कि चुनाव सम्बन्धी पी.डी.एफ सीधे उम्मीदवारों के वेबसाइट से डाउनलोड कर लें और खुद बांटें अपने क्षेत्र में और आस पास के क्षेत्र में |
कृपया उम्मीदवार का समय और पैसा का भोज कम करें , उससे पर्चे ना मांग कर |
(13.14) क्या कार्यकर्तओं को खुद पर्चे छापने / बांटने चाहिए या नेता को उसकी देख-रेख करनी चाहिए ? |
चुनाव प्रचार में सबसे महंगा और सबसे जरूरी भाग समाचार पत्र-प्रचार है | मेरे विचार से ,इसका सारा खर्चा केवल उम्मीदवार को करना चाहिए |
दूसरा सबसे जरूरी भाग चुनाव प्रचार में पार्चों की छपाई और बांटना है | और मेरे विचार से, जहाँ तक संभव हो ये खर्चा कार्यकर्ताओं , जो उम्मीदवार की मदद कर रहे हैं, के द्वारा किया जाना चाहिए |
उम्मीदवार ऐसा सही में, सोच सकता है—-कार्यकर्ताओं को क्यों इसका खर्चा करना चाहिए ?
यदि उम्मीदवार पर्चे छापता है, और कार्यकर्ता को देता है , तो कोई गारंटी नहीं कि कार्यकर्त्ता मतदाताओं को ये पर्चे दे | कार्यकर्ताओं का कुछ नहीं जायेगा यदि ये पर्चे बरबाद भी जायें तो | इसके अलावा, पर्चे भेजने का काम , उम्मीदवार के घर से कार्यकर्ता के घर तक , समय लगने वाला और खर्चेवाला हो सकता है | इसके बजाय, यदि कार्यकर्ता खुद पर्चों को छपवाता है, तो समय, पैसे आदि की बर्बादी कम से कम होती है | और बांटने का भी कम से काम खर्चा आता है |
क्या कार्यकर्ता अपने पैसे से पर्चे छापेगा ?
मान लीजिए परचा एक पन्ने का है | ऐसे 4000 पर्चों को छापने का खर्चा लगबग 1000 रुपये आएगा | और यदि परचा, 8 पन्नों का है, तो 4000 ऐसे पर्चों को छापने का खर्चा 1200 रुपये होगा | कम भी हो सकता है यदि , अखबारी कागज़ लिया जाये | तो प्रश्न है : क्या कार्यकर्ता इतना पैसा खर्च करेगा चुनावी प्रचार के लिए ? यदि नहीं करेगा , तो शायद देश को बचाना संभव नहीं है | यदि भारत के पास 2 लाख कार्यकर्ता नहीं है जो पर्चे अपने समय और पैसे से छापने के लिए तैयार हों , तो मेरे विचार से ये भारत को बचाना संभव नहीं है , जितना भी महनत उम्मीदवार करें | एक सीमा है जो खुद कोई कर सकता है , और बाकी दूसरों पर छोड़ देना चाहिए |
प्रजा अधीन राजा अर्थात राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.), कानून के ड्राफ्टों / प्रारूपों के लिए प्रदर्शन
अगले कुछ पाराग्राफों में मैं प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) – समर्थकों का अर्थ वैसे व्यक्ति से करूंगा जो भारत में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून के ड्राफ्टों/प्रारूपों को लाने के लिए हर महीने 10 घंटे का समय देने को तैयार है। ऐसे समर्थकों से मैं निम्नलिखित अनुरोध करता हूँ :-
प्रदर्शन का आयोजन करने के लिए सुझाव :-
- कृपया हर महीने पांच घंटे नेट ( कम्प्युटर के इंटरनेट पर) पर अथवा एक एक करके लोगों से सम्पर्क/संचार करने और पर्चियां बांटने आदि में लगाएं।
- अगले पांच घंटे कृपया हर दो महीने में एक बार पूरे दिन के किसी प्रदर्शन में शामिल हों अथवा हर महीने आधे दिन के लिए एक प्रदर्शन में शामिल हों।
- यदि आपकी नजर में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के 100 समर्थक हैं तो उन सभी 100 समर्थकों को एक ही दिन न बुलाएं बल्कि 25-25 समर्थकों को 4 लगातार दिन बुलाएं।
- यदि आपकी नजर में प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के 1000 समर्थक हैं तो उन सभी 1000 समर्थकों को एक ही दिन न बुलाएं बल्कि 25-25 समर्थकों को 40 लगातार दिन बुलाएं।
- एक अच्छा लक्ष्य यह है कि एक ऐसे शहर को लें जहां 1000 से 2000 प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के समर्थक हों और जिनमें से सभी प्रदर्शन के लिए हर महीने 5 घंटे समय देने को तैयार हों और उस शहर में 25 से 50 प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के समर्थकों का प्रदर्शन हर/प्रत्येक दिन हो।
मैं क्यों छोटे मध्यम आकार के प्रदर्शन हर दिन करने का समर्थन करता हूँ और एक ही दिन किसी बहुत बड़े प्रदर्शन का समर्थन नहीं करता? क्योंकि हर दिन एक प्रदर्शन करने से `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली कानून – प्रारूप, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून – प्रारूप के बारे में सूचना/जानकारी ज्यादा तेजी से फैलेगी जबकि केवल एक ही दिन एक बहुत बड़े प्रदर्शन से इन प्रारूपों के समर्थकों की बड़ी संख्या का पता तो लोगों को चलेगा लेकिन इससे जानकारी नहीं फैलेगी। प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह में मेरा लक्ष्य प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.), `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली आदि कानूनों के प्रारूपों/ड्राफ्टों पर जानकारी का प्रचार-प्रसार करना है। और इसलिए हर दिन एक छोटा ही प्रदर्शन करके लक्ष्य प्राप्त करने में ज्यादा लाभ होगा। प्रदर्शन का उद्देश्य उन बहुसंख्य नागरिकों तक पहुंचना है जो किसी न किसी कारण से समाचार पत्र नहीं पढ़ते और जिन तक पर्चियों/पैम्फलेट के माध्यम से भी नहीं पहूंचा जा सकता। प्रदर्शन इस प्रतिबद्धता का सबूत होता है कि लोग किसी मुद्दे पर समय देने के इच्छुक हैं । यह मात्र समय की बरबादी नहीं है जैसा कि बहुत से जूनियर/कनिष्ठ कार्यकर्ता समझते हैं।
ऑर्कूट / फोरम समुदायों की सूची जहां आप अपने शहर के राजनैतिक रूप से सक्रिय लोगों से सम्पर्क बना सकते हैं
आम तौर पर, केवल 2 प्रतिशत से 5 प्रतिशत लोग ही अपने देश के कानूनों में सुधार करने/करवाने में रूचि रखते हैं। यह तथ्य/बात पूरे विश्व के लिए सच है। इसलिए हमें इस बात से शिकायत नहीं होनी चाहिए। अमेरिका के लोग इतनी ही छोटी जनसंख्या होने पर भी अमेरिका में सुधार करने में सफल रहे हैं और इसलिए हमें इस बात की शिकायत नहीं करनी चाहिए कि केवल थोड़े से ही लोग इसमें रूचि ले रहे हैं। लेकिन ऑर्कूट पर, राजनैतिक समुदाय में 30-40 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग इसमें रूचि दिखलाएंगे। इसलिए उनसे सम्पर्क करने से समय का ज्यादा सही उपयोग होगा। मेरे कहने का अर्थ यह बिलकुल नहीं है कि आप अपको अपने आस पास के लोगों से इस संबंध में मिलना ही नहीं चाहिए, आप उनसे भी मिलें लेकिन कृपया आप अपने शहर के निम्नलिखित समुदायों के सदस्यों को स्क्रैप(सन्देश) अवश्य भेजें।
कृपया ध्यान दें कि नीचे केवल एक छोटी सी सूची का नमूना मात्र ही दिया गया है। अभी और भी कई समुदाय हैं और उन समुदायों के सदस्यों से भी सम्पर्क अवश्य करें।
1. Right to Recall Group
2. I will join Indian Politics
3. Lok Satta Party Official Comm
4. Che Guevara
5. Bharat Swabhiman (trust)
6. I Love India
7. We Want To Improve INDIA
8. Youth of India
9. WE, the leaders
10. we must change Indian Politics
11. Shaheed Bhagat Singh (Homage)
12. “Youth Democratic Front”
13. Lead India ‟09
14. Youth for Equality
15. IYR NATIONAL
16. Political Minds of Young India
17. Jago Party
18. INDIAN JUDICIARY
19. India needs a Revolution
20. BHARATUDAYMISSION
21. Youth for India-OurTimeIsNow
22. Bharat Swabhiman Trust Gujarat
23. Right to Recall Group,Rajsthan
24. Bharat Punarnirman Dal
25. I can die for India
26. LOK PARITRAN
27. India needs a revolution
28. Indian People’s Choice Party
29. PROFESSIONALS PARTY OF INDIA
(13.15) `प्रजा अधीन-राजा`/`राईट टू रिकाल`(भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार) के विरोधी , नकली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक के लक्षण / चिन्ह और चालें |
`प्रजा अधीन-राजा` कार्यकर्ता मित्रों ,
कृपया ध्यान दें कि अभी `राईट टू रिकाल`/`प्रजा अधीन-राजा` नाम लोगों में बढ़ता जा रहा है | और नेताओं पर, अपने कार्यकर्ताओं द्वारा दबाव पड़ रहा है , `राईट टू रिकाल , नागरिकों द्वारा ` के बारे में बात करने के लिए | इसीलिए , नेताओं को अब मजबूरी से `प्रजा अधीन-राजा`/`राईट टू –रिकाल, नागरिकों द्वारा` के बारे में बात करने पर मजबूर हो जाते हैं |
लेकिन `आम-नागरिक`-विरोधी लोग असल में `भ्रष्ट को नागरिक द्वारा बदलने/सज़ा देने के तरीके/प्रक्रियाएँ`(राईट टू रिकाल/प्रजा अधीन राजा) नहीं चाहते |
उनको परवाह नहीं है कि देश विदेशी कंपनियों और विदेशी लोगों के हाथ बिक जायेगा और 99% देशवासी लुट जाएँगे |
65 सालों से , लोग ऐसी प्रक्रियाएँ/तरीके मांग रहे हैं , जिसके द्वारा आम नागरिक भ्रष्ट को बदल सकते हैं /सज़ा दे सकते हैं और पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) की भी मांग कर रहे हैं | (`पारदर्शी` का मतलब, वो शिकायत/प्रस्ताव है जो कभी भी देखि जा सकती है और कभी भी जाँची जा सकती है, किसी के भी द्वारा, कभी भी और कहीं भी, ताकि कोई नेता, कोई बाबू, कोई जज या मीडिया उसे दबा नहीं सके |)
लेकिन `राईट टू-रिकाल`के विरोधी ये मांग को दबाते आ रहे हैं |
उसके लिए वे कुछ तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, उन में से कुछ की लिस्ट यहाँ नीचे है-
1) वे अपने कार्यकर्ताओं को क़ानून-ड्राफ्ट(नक्शा) की बात करने के लिए भी मना करते हैं, क़ानून-ड्राफ्ट(नक्शा) को पढ़ने के लिए भी मना करते हैं, क़ानून-ड्राफ्ट(नक्शा) लिखना तो दूर की बात है | वे हवा में बात करते हैं , ना तो वो किस देश और जगह की प्रक्रिया की बात कर रहे हैं, बताते हैं, ना तो उसका नाम बताते हैं, न ही उसका ड्राफ्ट देंगे |
क़ानून-ड्राफ्ट को पढ़ना और लिखना वकीलों का काम नहीं है, ना ही जजों का , ना ही सांसदों का , लेकिन नागरिकों का काम है !! जी हाँ, आप नागरिकों को क़ानून-ड्राफ्ट सांसदों को देना होता है, जो तब क़ानून-ड्राफ्ट पास करवाते हैं सांसद में | वकीलों का काम क़ानून-ड्राफ्ट(नक्शा) बनाना नहीं है, उनका काम मामले लड़ना है, जजों का कम क़ानून बनाना नहीं, उनका काम फैसले देना है |
`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी दूसरों को क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ने से रोकते हैं , कार्यकर्ताओं को ऐसे काम में लगवा कर जो भ्रष्टाचार, गरीबी कम नहीं करते जैसे स्कूल चलाना,योग सीखाना , विपक्ष के पार्टियों या अन्य नेताओं के खिलाफ नारे लगाना , किसी उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार-अभियान करना , चरित्र(अच्छा व्यवहार) बनाना , आदि |
लेकिन एक बार भी कार्यकर्ताओं को क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ने के लिए नहीं कहते , उनपर चर्चा करना तो दूर की बात है |
इसीलिए , क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ना शुरू कर दें और क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ना शुरू कर दें और उनपर अपनी राय दें , ड्राफ्ट को बताते हुए | और कुछ क़ानून-ड्राफ्ट पढ़ने के बाद और उनपर कमेन्ट/राय देने के बाद , आप ड्राफ्ट लिख भी पायेंगे |
यदि आम नागरिक , अपना ये कर्तव्य/काम करना शुरू कर दें, तो कोई भी गलत और जन-विरोधी क़ानून और शब्द नहीं कह सकेगा |
2) `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी और जाली-`प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक कभी भी सही तुलना और जांच/विश्लेषण नहीं करेंगे |
वे कुछ ऐसे दो मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे दूसरा व्यक्ति चकरा जाये और निराश हो जाये और कभी क़ानून-ड्राफ्ट को ना तो पढ़े , न तो चर्चा करे | और वे हमेशा एक-तरफ़ा चर्चा करेंगे |
कृपया उनको तुलना करने के लिए कहें किसी भी मानी गयी परिस्थिति के लिए , पहले वर्त्तमान क़ानून के अनुसार उस पारिस्थि को देखें , फिर यदि उनका पसंद का क़ानून-ड्राफ्ट लागू होता है, या फिर जब `प्रजा-अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट या अन्य ड्राफ्ट लागू होते हैं उस पारिस्थि की तुलना करें और फैसला करें कि कौन से ड्राफ्ट देश के लिए फायदा करेंगे और कौन से देश को नुकसान करेंगे |
उदाहरण के लिए , जाली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक अक्सर कहते हैं कि करोड़ों लोगों को ख़रीदा जा सकता है यदि `प्रजा अधीन-राजा ` के तरीके लागू होते हैं, लेकिन वे कभी बी इसकी तुलना अपने पसंद के क़ानून-ड्राफ्ट या आज के क़ानून –ड्राफ्ट या तरीकों से नहीं करते क्योंकि इन तरीकों/प्रक्रियाओं में कुछ ही लोग होते हैं ,जो विदेशी कंपनियों को खरीदना होता है प्रशाशन पर काबू पाने के लिए |
3) वे हमेशा कहते हैं कि वे `प्रजा अधीन-राजा`/`राईट टू रिकाल` का समर्थन करते हैं लेकिन कभी भी नहीं बताते कि कौन से पद के लिए वे `प्रजा अधीन राजा` का समर्थन करते हैं ? प्रजा अधीन-सरपंच, प्रजा अधीन-मायर/महापौर जैसे चिल्लर या प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन-लोकपाल या प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री | वे छोटे पदों के लिए अभी `प्रजा अधीन-राजा`/राईट टू रिकाल लाना चाहेंगे और ऊपर के पदों के लिए अगले जन्म में राईट टू रिकाल लाना चाहेंगे |
उनसे पूछें इसको स्पष्ट/साफ़ बताने के लिए कि वो कौन से पद पर `राईट टू रिकाल` का समर्थन करते हैं और उसका क़ानून-ड्राफ्ट देने के लिए जिसका वे समर्थन करते हैं |
हम उच्च-पदों के लिए आज और अभी `राईट टू रिकाल`(भ्रष्ट को निकालने का नागरिकों का अधिकार) चाहते हैं क्योंकि बिना उसके देश को बहुत नुकसान होगा |
4) वे कहते हैं कि वे `राईट टू रिकाल`/`प्रजा अधीन-राजा` का समर्थन करते हैं, लेकिन उसे `बाद में ` लायेंगे ( अगले जन्म में) | इसके लिए कुछ बहाने जो वो बोलते वो है-
क) अभी सरकार इसको पास नहीं करेगी |
`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधियों से पूछें कि क्या हमें सरकार की इच्छा के हिसाब से जाना चाहिए कि करोड़ों लोगों की इच्छा के अनुसार ?
ख) सभी क़ानून के सुधार एक साथ नहीं आ सकते |
`प्रजा अधीन-राजा` के विरोधियों से कहें कि लोग 50-100 सालों के लिए इन्तेजार नहीं करना चाहते , सभी कानूनों में सुधार लाने के लिए |
यदि `पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) आ जाये तो सभी सुधर कुछ ही महीनों में आ जाएँगे|
कृपया इस प्रणाली (सिस्टम) को www.righttorecall.info/406.pdf में देखें |
ग) हमारी एकता भंग हो जायेगी |
उनसे कहें कि हम एकता ही चाहते हैं, इसीलिए ये जन-हित की धाराएं आपके ड्राफ्ट में जोड़ने के लिए कह रहे हैं | और एकता चाहते हैं , तो `पारदर्शी शिकायत प्रणाली (सिस्टम) को क्यों नहीं लागू करवाते ,जो देश के लोगों को एक होने में मदद करता है |
घ) हम पहले सांसद चुन कर सरकार लायेंगे , फिर `प्रजा अधीन-सांसद` के ड्राफ्ट बनायेंगे और ये क़ानून लायेंगे |
उनसे कहें कि कभी नागरिकों के नौकर, सांसद, मंत्री, प्रधानमंत्री कभी अपने ऊपर अपने मालिक, 120 करोड़ जनता का लगाम आने देंगे ? वे तो सत्ता में आने के बाद , विदेशी कंपनी से रिश्वत के पैसे लेकर, कोई गुप्त विदेशी खाते में डाल देंगे और `प्रजा अधीन-राजा` /`राईट टू रिकाल` को रद्दी में डाल देंगे | ये क़ानून लाना तो केवल देश के करोड़ों मालिक , करोड़ों नागरिकों के जनता के नौकर के ऊपर दबाव से ही आ सकता है |
इसीलिए , उनसे कहें कि अभी सांसदों से या अपनी पार्टी से कहें कि अपनी पार्टी के घोषणा-पत्र में `प्रजा अधीन-सांसद` आदि `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्ट डालें |
5) `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी कहेंगे कि कि एक नेता को समर्थन करो, जो क़ानून-ड्राफ्ट को लागू कराएगा और वो बोलते हैं कि उस नेता के सार्वजनिक/पब्लिक काम पर कोई भी न बोले क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके पसंद के नेता की बदनामी हो रही है |
कृपया उनको बताएं कि ड्राफ्ट हमारा नेता है | बिना ड्राफ्ट के , सरकारी तंत्र/सिस्टम में कोई भी बदलाव संभव नहीं है ,बुरा या अच्छा | उनसे पूछें कि क़ानून-ड्राफ्ट पर अपना रुख बताएं ,कि क्या वे उसको समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं | यदि हमारे नेता, ड्राफ्ट का समर्थन करते हैं, तो उनको कहें कि हमारे नेता, ड्राफ्ट को अपने नेता से मिलवाएं और उनके नेता से पूछें कि वो क़ानून-ड्राफ्ट का समर्थन करते हैं या विरोध |
हम कोई भी व्यक्तिगत/निजी टिपण्णी/बात नहीं करते हैं जैसे `क.ख.ग` का चरित्र(बर्ताव/व्यवहार) ऐसा है,या `क.ख.ग` के पिता/माता ऐसे हैं` आदि | हम केवल उनके सार्वजनिक/पब्लिक काम पर टिपण्णी/बात करते हैं,कि वो ईमानदार हैं या बेईमान है, उसी तरह जिस तरह लोग सड़क-बनने के देख-रेख करने वाले/निरीक्षक के काम पर बोलते हैं| अब यदि आप कहते हो कि सड़क-बनने के बनने वाले पर कोई टिपण्णी/बात ना करें , तो पहले तो आप अपना नागरिक का काम नहीं कर रहे, और हम को भी अपना कर्तव्य करने से रोक रहे हैं, जो देश के लिए खतरनाक है |
क्या ये पक्षपात/तरफदारी नहीं है यदि मैं उन सरकारी नौकरों पर बात करूँ जो मेरे सम्बन्ध में नहीं हैं, या जो मैं पसंद नहीं करता और उन सरकारी नौकरों पर नहीं बोलूं जो मुझे अच्छे लगते हैं या मेरे सम्बन्ध में है ? क्या देश ज्यादा जरूरी है या व्यक्ति ?
6) `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी कहते हैं कि वे `प्रजा अधीन-राजा` को समर्थन करते हैं, लेकिन कभी भी उसको समर्थन करने या उसके क़ानून-ड्राफ्ट लागू करवाने के लिए कुछ भी नहीं करते |
उनको बोलें कि अपने प्रोफाइल नाम के पीछे लिखें `प्रजा अधीन-लोकपाल`या `राईट टू रिकाल नागरिकों द्वारा` आदि |
उनको प्रक्रियाएँ / तरीकों के बारे में पर्चे बांटने के लिए कहें (www.righttorecall.info/406.pdf )
या उनको समाचार-पत्र में प्रचार देने के लिए कहें, जो उनके नेता, सांसद, विधायक आदि से उनका `प्रजा अधीन-राजा` के ड्राफ्ट के बारे में रुख साफ़ करने के लिए पूछे और ये क़ानून-ड्राफ्ट के धाराओं को अपने कानूनों या घोषणा पत्र में जोड़ने के लिए बोले |
और उनको बोलें कि अपने संस्था के लोगों को `प्रजा अदीन-राजा` के प्रक्रियाएँ/तरीके और क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में बताएं |
और उनको पूछें कि वे क्या कर रहे हैं, इन क़ानून-ड्राफ्ट को लागू करने के लिए |
7) `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी/ नकली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक कोशिश करेंगे आप को बेकार के बिना क़ानून-ड्राफ्ट के चर्चा में उलझाने के , और आपका समय बरबाद करने के लिए, जो समय आप दूसरों को क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में बताने में लगा सकते हो |
साफ़ मना कर दो बेकार के समय-बरबादी करने वाले बिना क़ानून-ड्राफ्ट के चर्चाओं पर बात करने के लिए | `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी को बोलें कि पहले ड्राफ्ट पढ़ें | उसको क़ानून-ड्राफ्ट दें | और उसको बोलें , कि अनपढ़ बही क़ानून-ड्राफ्ट समझ सकते हैं |
और उसको बोलें कि धाराओं का जिक्र /उलेख करे ,अपनी बात रखते समय |
8) `प्रजा अधीन-रजा` के विरोधी / नकली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक घंटो-घंटो देश की समस्याओं पर बात करेंगे , लेकिन एक मिनट भी समाधान पर बात नहीं करेंगे और कभी भी वे क़ानून-ड्राफ्ट नहीं देते जो गरीबी, भ्रष्टाचार आदि कम करेंगे | वे कुछ प्रस्ताव जरुर दे सकते हैं |
उनको कहें कि उनके प्रस्तावों के लिए ड्राफ्ट दे जो देश की मुख्य समस्याओं जैसे गरीबी, भ्रष्टाचार का समाधान करे क्योंकि सरकार में लाखों कर्मचारी होते हैं और इन कर्मचारियों को आदेश या क़ानून-ड्राफ्ट चाहिए होते हैं , इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए | प्रस्ताव उतने ही अच्छे या बुरे हैं जितने कि उनके ड्राफ्ट |
9) कई `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी / नकली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक सही रुख नहीं लेंगे कि वे `प्रजा अधीन-राजा` ड्राफ्ट का समर्थन या विरोध करते हैं जो करोड़ों लोगों के हित में है या दूसरे ड्राफ्ट जो कुछ ही लोगों का फायदा करते हैं जैसे विदेशी कम्पनियाँ आदि |
उदाहरण., वे बोलते हैं कि वे `जनलोकपाल बिना `राईट टू रिकाल-लोकपाल,नागरिकों द्वारा` क़ानून-ड्राफ्ट का समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं या वो `जनलोकपाल `राईट टू रिकाल-लोकपाल , नागरिकों द्वारा के साथ` ड्राफ्ट का सम्रथन करते हैं या विरोध करते हैं |
वे कोई साफ़ रुख इसीलिए नहीं करते क्योंकि उनका अपना स्वार्थ होता है , उदाहरण., प्रायोजक उन्हें पैसे देना बंद कर देंगे यदि वे कहेंगे कि वे `प्रजा अधीन-लोकपाल` या अन्य कोई `भ्रस्त को नागरिकों द्वारा बदलने का अधिकार` की प्रक्रिया का समर्थन करते हैं तो |
और यदि वे कहते हैं कि `प्रजा अधीन-राजा` के प्रक्रियाओं का विरोध करते हैं, तो उनकी पोल खुल जायेगी कि वे आम नागरिक-विरोधी हैं |
इसीलिए वे कोई साफ़ उत्तर/जवाब नहीं देते और कोई रुख/निश्चित फैसला नहीं लेते |
कभी भी कोई चर्चा में आगे न बढ़ें , जब तक कि `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी का रुख साफ़ न हो जाये क्योंकि ऐसे चर्चाएं केवल समय की बर्बादी ही होगी , समय जो आप इस्तेमाल/प्रयोग कर सकते हैं दूसरे नागरिकों को `प्रजा अधीन-राजा`के प्रक्रियाओं/तरीकों के बारे में जानकारी देने के लिए |
और एक बार , वो व्यक्ति अपना स्पष्ट/साफ़ रुख ले लेता है, तो तभी चर्चा में आगे बढ़ें, और फिर उनको कहें कि अपनी बात रखने के साथ , वे बताएं कि कौन से ड्राफ्ट और धाराओं के बारे में बात कर रहे हैं |
10) `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी बहुत बार ये दावा करते हैं कि `भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने`की परक्रियें/तरीके “संभव नहीं” हैं या “ संविधान के खिलाफ” हैं |
उनसे सबसे पहले पूछें कि ये साफ़ करें कि कौन सी प्रक्रिया/तरीकों की बात कर रहे हैं | और उस धारा को बताएं जो संविधान के विरुद्ध है और वो धारा , संविधान के कौन सी धारा के विरुद्ध है |
उनको पूछें कि प्रस्तावित `प्रजा अधीन-राजा` की प्रक्रिया/तरीका में से कौन सी धारा संभव नहीं है और कैसे ? क्या इसीलिए संभव नहीं क्योंकि लोग उतनी रिश्वत नहीं ले पाएंगे या कि वो लागू नहीं हो सकती है और उसे लागू करने में क्या परेशानी आ रही है |
उनसे पूछें कि वे `हस्ताक्षर(साइन)-आधारित` भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने की प्रक्रिया/तरीका (जहाँ लोगों को हस्तक्ष इकट्ठे करने होते हैं) या हाजिरी-आधारित भ्रष्ट को नागरिकों द्वारा बदलने की प्रक्रिया/तरीका (जहाँ लोगों को कलक्टर के दफ्तर खुद जाना पड़ता है ,शिकायत लिखने या पटवारी के दफ्तर खुद जाना पड़ता है , पहले से दी हुई शिकायत पर अपनी हाँ/ना दर्ज करने ) ?
उनसे पूछें कि वे `सकारात्मक` रिकाल (भ्रष्ट को बदलने की प्रक्रिया/तरीका नागरिकों द्वारा) की बात कर रहें हैं (जिसमें लोगों को विकल्प ढूँढना होगा वर्त्तमान `पब्लिक के नौकर` को बदलने के लिए ) या नकारात्मक रिकाल की बात कर रहे हैं (जिसमें लोगों को वर्त्तमान `पब्लिक के नौकर` के खिलाफ मत डालना होता है, उसे निकालने के लिए) ?
`सकारात्मक` रिकाल अव्यवस्था की स्तिथि कम करता है , जो पद खाली रहने से होती है और ये भ्रष्ट (अधिकारी) को नागरिकों द्वारा हटाना भी आसान बना देता है , क्योंकि `नकारात्मक` रिकाल में , नागरिक भ्रष्ट (अधिकारी) को नहीं हटाएंगे क्योंकि उन्हें दर है कि अगला अधिकारी/व्यक्ति इससे भी बुरा हो सकता है | `सकारात्मक` रिकाल ये संभावना समाप्त कर देता है कि कोई व्यक्ति अपने पद से निकाला जायेगा कुछ ऐसा न कर पाने पर , जो कोई दूसरा भी नहीं कर सकता हो , क्योंकि नागरिक देखेंगे कि विकल्प/दूसरा व्यक्ति भी कर नहीं सकता |
उनसे पूछें कि वो `राईट टू रिजेक्ट` की जो बात कर रहे हैं, वो एक बटन है जो हर पांच साल दबा सकते हैं (यानी इनमें से कोई नहीं) या `राईट टू रिजेक्ट,किसी भी दिन, नागरिकों द्वारा` /
(राईट टू रिजेक्ट हर पांच साल ` से कोई भी बदलाव नहीं आएगा | क्यों? क्योंकि ज्यादातर वोट वैसे भी किसी पार्टी के खिलाफ होते हैं , जैसे जो कांग्रेस से नफरत करता है, उनके लिए और कोई चारा नहीं कि वे भा.ज.पा. के लिए वोट डालें ताकि कांग्रेस न जीत पाए और ऐसे ही भा.जा.पा से नफरत करने वाले कांग्रेस को वोट देंगे, `इनमें से कोई भी नहीं` बटन होने के बावजूद | इसीलिए `राईट टू रिजेक्ट हर पांच साल , कोई भी बदलाव नहीं लाएगा |)
उसको पूछें कि पूरी परिस्स्थिति बताएं अपना दावा को समझाने के लिए , क़ानून-ड्राफ्ट और धाराएं बताते हुए |
11) ज्यादातर `प्रजा अधीन-राजा`के विरोधी , विदेशी कंपनियों और अन्य कंपनियों के मालिकों की तरफदारी करते हैं |
कम्पनियाँ `काम के समझौते` बनाती हैं, जिसमें `मर्जी पर कभी भी ` निकाल देने की शर्त लिखी होती है, वो भी बिना कोई सबूत दिए , कोई कारण-अच्छा, बुरा, या बिना कोई कारण दिए
इसके आलावा , एक `परखने का समय` भी होता है, जिसमें मालिक अपने मजदूरों को कभी भी निकाल सकता है, बिना कोई कारण दिए |
लेकिन सबूत-भगत (सबूतों की मांग करने वाले) अपनी सबूत की मांग सिर्फ आम नागरिकों के लिए करते हैं | वे कहते हैं कि ये अनैतिक है, कि किसी को बिना सबूत के निकालना | वो बड़े आराम से ये ही मुद्दा गोल कर देते हैं, जब कंपनियों के मालिकों के अधिकारों की बात होती है| तब वे कहते हैं ,कि कोई भी सबूत देने की मालिकों को जरूरत नहीं है और वो अपने कर्मचारी को निकाल सकता है , बिना कोई सबूत के !!
क्या ये खुला भेद-भाव नहीं है ? क्या ये संविधान के खिलाफ नहीं है ?
हम, आम नागरिक , कंपनी मालिकों के समान अधिकार की मांग करते हैं |
जैसे कंपनी मालिकों को बिना कोई सबूत के , अपने कर्मचारियों को निकालने का अधिकार है, हम 120 करोड़ ,इस देश के मालिक , हमारे द्वारा देश को चलाने के लिए रखे गए नौकर, प्रधान-मंत्री, मुख्यमंत्री, लोकपाल,जज, और अन्य जरूरी अधिकारी को निकालने का अधिकार होना चाहिए ,बिना कोई सबूत | हमारे पास `राईट टू रिकाल(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), बिना कोई सबूत के ` होना चाहिए |
12) एक और चीज जो `प्रजा अधीन-रजा` के विरोधी बोलते हैं कि ` हमें क्यों सेना को मजबूत बनाने के लिए पैसे देना चाहिए टैक्स के रूप में , जैसे `विरासत टैक्स`, सीमा-शुल्क , `संपत्ति टैक्स` आदि ? वे अपने बारे में अधिक सोचते हैं, बजाय कि देश के |
अरे, यदि वे ये सब टैक्स नहीं देंगे , तो देश की सेना, पोलिस और कोर्ट देश की सुरक्षा नहीं कर पाएंगी , विदेशी कंपनियों और देशों को हमें गुलाम बनाने से , और सबसे पहले तो पैसे-वाले ही लूटे जाएँगे , और देश का 99% धन लूट लिया जायेगा |
और यदि कोई अपना धन-संपत्ति खुद सुरक्षा करने की कोशिश करता है , तो उसको कहीं ज्यादा खर्च करना होगा , मिलकर धन (सामूहिक धन-संपत्ति) की सुरक्षा करने पर जो खर्च होगा, उसकी तुलना में |
इसीलिए दोनों, आर्थिक(पैसे ) के नजरिये से और अच्छे-बुरे(नैतिक) के नजरिये से , ज्यादा पैसे-संपत्ति वालों को ज्यादा टैक्स देना चाहिए , कम पैसे और संपत्ति वालों कि तुलना में |
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कुछ `प्रजा अधीन-राजा` के विरोधी / जाली `प्रजा अधीन-राजा`-समर्थक अपने रुख पर जमे रहेंगे , कुछ `प्रजा अधीन-राजा` के समर्थक भी बन जाते हैं , सच्चाई जानने के बाद |
लेकिन यदि व्यक्ति, क़ानून-ड्राफ्ट पर बात करने से मना कर दे, अपना रुख स्पष्ट/साफ़ करने से मना कर दे, तो उसके साथ आगे चर्चा बंद कर दें , क्योंकि ये केवल समय की बरबादी ही होगी , वो समय जो दूसरों को `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट की जानकारी देने के लिए प्रयोग /इस्तेमाल कर सकते हैं |
उन लोगों को बोलना चाहिए कि ` हमें तुमसे चर्चा नहीं करनी क्योंकि तुम अपना नागरिक का कर्तव्य भी नहीं पूरा कर रहे, क़ानून-ड्राफ्ट ना पढ़ कर | हमें और दूसरों को कम से कम अपना कर्तव्य पूरा करने दो |`
(13.16) सारांश (छोटे में बात) |
`प्रजा अधीन-रजा` के आंदोलन में मुश्किल हिस्सा ये है कि जब `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट भारतीय राज-पत्र में भी छाप जायें तो भी , कार्यकर्ताओं जिन्होंने अपना समय और पैसा लगाया है, उनको एक आम नागरिक से ज्यादा नहीं मिलेगा | कोई नाम, कोई सत्ता नहीं मिलेगी | इसमें तो देना ही देना है |और ये पहले दिन से हर कार्यकर्ता को साफ़ हो जाती है, कि इसमें फायदा शून्य/जीरो है | दूसरे पार्टियों और विचारधाराओं से अलग, `प्रजा-अधीन-राजा` के तरीके कोई भी गलत भ्रम नहीं पैदा करते | इसीलिए, केवल 100% निस्वार्थ व्यक्ति ही अपना समय/पैसा `प्रजा अधीन-राजा` के क़ानून-ड्राफ्ट की जानकारी फैलाने में लगायेगा | ये शायद आंदोलन को धीमा बना सकती है |