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अध्याय 10 – मेरे प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह का एक संक्षिप्‍त परिचय

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 मेरे प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह का एक संक्षिप्‍त परिचय

   

(10.1) समूह का नाम

चुनाव घोषणापत्र लिखे जाने के समय मेरे राजनैतिक समूह को अभी मान्‍यता मिलना बाकी है। मान्‍यता प्राप्‍त करने के लिए मैं अपने समूह का नाम प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह रखूंगा और आधिकारिक संक्षेपण /एक्रोनिम पीआरआरआरजी रखूंगा। आम बोलचाल /चर्चा में मैं इसे निम्‍नलिखित नाम से बुलाउंगा–

  • प्रजा अधीन राजा समूह

  • प्रजा अधीन मंत्री, अधिकारी, न्‍यायाधीश/जज समूह

  • `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी` (एम आर सी एम) रिकॉल समूह

  • `एम आरसी एम` ग्रूप/समूह

एम आर सी एम का अर्थ है – आम जनता और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी और यह प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह की स्‍थापना करने के पीछे मेरा मुख्‍य आर्थिक उद्देश्‍य है। और प्रजा अधीन- प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन – मुख्‍यमंत्री, प्रजा अधीन – जज , प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर आदि कानून लाना मेरा मुख्‍य राजनैतिक उद्देश्‍य है – प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) मंत्री, अधिकारी, जज समूह में मंत्री,अधिकारी और जज शब्‍द सभी को यह बताने हेतु मेरे लिए महत्‍वपूर्ण है कि कैसे मैं उन वापस बुलाने वाले समूहों /रिकॉलिस्‍ट्स से अलग हूँ जो इस बात पर अड़ जाते हैं कि प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) केवल विधायकों , सांसदों तक ही सीमित रहना चाहिए और मंत्रियों, अधिकारियों और जजों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए। मै स्‍पष्‍ट तौर पर कहना चाहता हूँ कि हम रिकॉल(भ्रष्ट तो बदलने का अधिकार) को विधायकों और सांसदों तक ही सीमित रखना नहीं चाहते और मैं इन सभी वापस बुलाने वाले समूहों /रिकॉलिस्‍ट समूहों से घृणा करता हूँ जो इस बात पर अड़े हैं कि रिकॉल केवल पंचायतों, महापौरों , सांसदों और विधायकों तक ही सीमित होना चाहिए । मैं उन्‍हें छद्म/नकली रिकॉलिस्‍ट मानता हूँ और वे लोग वास्तव में रिकॉल(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के विरोधी हैं।

मैं आर आर जी अर्थात “राइट टू रिकॉल ग्रुप” (प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह) शब्द का प्रयोग करूंगा – “आर आर जी” एक गैर राजनैतिक संगठन होगा । इसका उपयोग उन स्‍थानों पर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों पर सूचना फैलाने का होगा जहां राजनैतिक समूहों पर प्रतिबन्‍ध/ पाबंदी है और एक और नाम जिसका प्रयोग मैं करूंगा प्रजा अधीन राजा उद्देश्य एक और पंजीकृत आन्‍दोलन है – “प्रजा अधीन राजा उद्देश्य  शब्‍द का उपयोग प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) पर उन स्‍थानों में सूचना का प्रसार करना होगा जहां दूसरे/ अन्‍य संगठनों पर प्रतिबन्‍ध है ।

मैंने प्रजा अधीन राजा समूह अर्थार्थ राइट टू रिकॉल ग्रुप अथवा नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम आर सी एम) समूह अथवा `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी` (एम आर सी एम) – `राइट टू रिकॉल ग्रुप` (आर आर जी) नामों का चुनाव किया क्‍योंकि मैं चाहता हूँ कि समूह के नाम से ही इसके उद्देश्‍य का पता चल जाए। प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (पीआरआरआरजी) का उद्देश्‍य जनता की आवाज (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली  , प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम आर सी एम) आदि कानूनों को लागू करवाना और प्रजा अधीन राजा की वैदिक संकल्पना को स्‍थापित करना है ।  इसलिए किसी मानक लोकप्रिय नाम और लोकप्रिय मुख्‍य शब्‍दों के प्रयोग के बदले मैंने सबसे प्रमुख उद्देश्‍यों का प्रदर्शन / पता करने के लिए इन नामों को चुना ।

   

(10.2) आर आर जी (राईट टू रिकाल ग्रुप) / प्रजा अधीन राजा समूह के उद्देश्य और योजना का सारांश (छोटे में बात)

प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह का उद्देश्य केवल एक अधिसूचना(आदेश) जारी करवाना है । इससे ज्‍यादा कुछ भी नहीं और इससे कम कुछ भी नहीं। यह प्रस्‍तावित सरकारी अधिसूचना(आदेश), जिसका नाम `जनता की आवाज`-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) सरकारी अधिसूचना(आदेश) है और जिसका वर्णन पहले अध्याय  में किया गया है, वह प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह के लक्ष्‍य का एकमात्र विषय है और इससे बिलकुल भी समझौता नहीं किया जा सकता।

इन कानूनों को पास/ पारित करवाने के लिए मैं किस योजना का प्रस्‍ताव करता हूँ ? मेरे द्वारा प्रस्‍तावित योजना है: – मैं जितना संभव हो सकेगा उतने लोगों को जनता की आवाज – पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम आर सी एम) और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) क़ानून-ड्राफ्ट के बारे में जानकारी दूंगा और उनमें से जो लोग जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम), प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) और नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम आर सी एम) क़ानून-ड्राफ्टों को पसंद करते हैं, उनसे इन कानूनों को पास करवाने के लिए उनकी पसंद की योजना का पालन करने को कहूँगा । वह योजना, जिसका अनुसरण अभी मैं कर रहा हूँ उसकी रूपरेखा अध्याय 13 में दी गई है । यह प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह के किसी भी सदस्‍य पर बाध्‍यकारी नहीं होगा।

   

(10.3) आर आर जी / प्रजा अधीन राजा समूह और अन्‍य पार्टियों / दलों के बीच मुख्‍य अंतर

लगभग सभी पार्टियां चाहे वे नयी हों या पुरानी , छोटी हो या बड़ी, उनका सबसे प्रमुख एक ही तरीका होता है – वे इस बात पर जोर देती हैं कि पहले नागरिकगण उनके पार्टी के उम्‍मीदवारों को सांसद के रूप में चुने। वे कहते हैं कि जब तक नागरिक पहले उन्‍हें सांसदों के रूप में नहीं चुनते तब तक भारत के विकास / सुधार के लिए उनके पास करने को कुछ नहीं है। और वे वायदा करते हैं कि एक बार जब जनता उन्‍हें चुन लेगी तब वे भारत के विकास/ सुधार के लिए कानूनों को लागू करेंगे। हालांकि वे इन कानूनों के प्रारूपों/क़ानून-ड्राफ्ट का खुलासा नहीं करते। मैं और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह के मेरे सहयोगी उनसे अलग विचार रखते हैं । हम इस बात की जरूरत नहीं समझते कि भारत में सुधार के लिए नागरिक हम में से किसी एक को भी जिताएं। यदि नागरिक वर्तमान प्रधानमंत्री को जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्‍ताक्षर करने के लिए बाध्‍य कर सकें तो भारत के नागरिक इसके बाद जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) का प्रयोग  करके सुधार करने में समर्थ हो जाएंगे। यही हमलोगों और अन्य दलों के बीच बड़ा अंतर है- मेरा प्रस्‍तावित तरीका इस बात पर बिलकुल निर्भर नहीं है कि जनता हमें चुन ही ले ।

इसके अलावा कोई भी दल इस बात को नहीं बताता कि वह कैसे सुनिश्‍चित करेगा कि उसके अपने सांसद चुनाव जितने के बाद वर्तमान सांसदों जितना भ्रष्‍ट नहीं हो जाएंगे। सभी पार्टियां केवल खोखली बातें कहती हैं “देखो आपको कुछ लोगों पर/ किसी न किसी पर तो भरोसा करना ही पड़ेगा।“ मैं और मेरे प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह के साथियों के विचार अलग हैं । हम आधिकारिक तौर पर यह दावा करते हैं कि हम यह सुनिश्‍चित करने के लिए केवल एक ही रास्‍ता जानते हैं कि हमारे दल के सांसद मंत्री आदि भ्रष्‍ट नहीं होंगे । नागरिकों को यह कहना होगा कि वे वर्तमान प्रधानमंत्री को `जनता की आवाज` प्रारूप पर हस्‍ताक्षर करने के लिए बाध्‍य करें और जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप का उपयोग करके नागरिक प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को लागू करवाएं और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून यह सुनिश्‍चित/तय कर देगा कि हमारे सांसद अथवा अन्‍य दलों के सांसद भ्रष्‍टाचार कम करेंगे।

इसलिए भारत में सुधार करने के लिए जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट  लागू करवाना प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह का पहला कदम है। और इसके बाद अन्‍य कानूनों को लागू करवाकर और फिर यदि जरूरत पड़ी तो सांसदों, मंत्रियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (आई ए एस), भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों (आई पी एस), जजों आदि को बदलना भी इसके बाद का कदम है। अधिकांश अन्य पार्टियां ‘हमारे उम्‍मीदवारों, सांसदों को  चुनो’ के तरीके पर ही अपने पहले कदम के रूप में जोर देती हैं । मेरे विचार से, इनके तरीके गलत हैं क्योंकि यदि नागरिक पहले कानूनों को नहीं बदलते तब भ्रष्‍टाचार कम नहीं होगा चाहे कोई भी पार्टी/व्यक्‍तियों का समूह सत्‍ता में आए। इन कानूनों को लाने के लिए आवश्यक कारवाई के कदम  विषय जिसे मैने प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह के लिए तैयार किया है उसकी सूची http://righttorecall.Info/003.h.pdf पर दी गई है। ये कार्रवाइयां (क्‍लोन-पॉजिटीव) नकल करने पर भी सकारात्‍मक कार्रवाइयां हैं अर्थात यदि एक से अधिक प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) पार्टीयों /समूह राजनीति में आते हैं और यदि उनकी आपस में होड़ भी होती है तो उनके प्रयास एक दूसरे को काटेंगे नहीं करेंगे बल्‍कि आपस में जुड कर एक दूसरे को समर्थन देंगे । इन कार्रवाइयों के विषय 200,000 कार्यकर्ताओं के लिए हर सप्‍ताह एक घंटे से ज्‍यादा समय देने की जरूरत नहीं है । यदि 2 लाख कार्यकर्ता अपना महीने का दस घंटा देते हैं इन कानूनों को अन्य देशवासियों को बताने में तो अधिकतम एक साल में ये क़ानून पुरे देश के कोने-कोने में लोगों को पता लग जाएँगे और क्योंकि उनके हित के होने के कारण वे उनकी मांग करेंगे और क्योंकि ये क़ानून `जनता की आवाज़/पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली ` द्वारा ही आसानी से आ पाएंगे तो  इसलिए पारदर्शी शिकय/प्रस्ताव प्रणाली को लाने के लिए करोड़ों लोग मांग करेंगे| इस प्रकार समय के मामले में भी, प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) समूह का तरीका कार्य-कुशल और सबसे अच्छा है।

   

(10.4) हिंसा, क्रान्‍ति आदि पर विश्‍व के विचार

मैं मंत्रियों, अधिकारियों, जजों , पुलिसवालों के विरूद्ध हिंसा का प्रयोग करने का विरोधी हूँ और मैं धनवान लोगों जो इन मंत्रियों, अधिकारियों और जजों के पद पर बैठे हैं , उनके खिलाफ भी हिंसा का प्रयोग करने के विरोध में हूँ। लेकिन अधिकारी, मंत्री अगर प्रजा अधीन राजा कार्यकर्ताओं के खिलाफ ओछे/जाली आयकर के मामले, ओछे बिक्रीकर के मामले, ओछे सेवाकर के मामले अथवा ओछे बलात्‍कार के मामले आदि लगाकर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कार्यकर्ताओं को जेल भिजवाने अथवा अर्थदण्‍ड/फाइन लगाना शुरू कर दें तो मैं मंत्रियों, अधिकारियों, जजों, और उन धनवानों जो इन्‍हें पालते हैं/अपनी जेब में रखते हैं, उनके खिलाफ हिंसा का प्रयोग न करने के अपने विचार पर पुन:विचार करूंगा। लेकिन तब तक मैं हिंसा और सभी प्रकार की हिंसा का विरोध करता हूँ ।

मैं क्रान्‍ति का विरोधी हूँ। मैं केवल विकासवाद में पूरा विश्‍वास रखता हूँ। अर्थात एक बार में केवल एक छोटा परिवर्तन चाहता हूँ । यही कारण है कि 200 सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) में से मैने एक बार में केवल एक छोटे परिवर्तन की मांग रखी है ।

जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2)/पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप केवल तीन पंक्‍तियों का है , नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्‍टी (एम आर सी एम) प्रारूप केवल चार पृष्‍ठों का है , प्रजा अधीन –प्रधानमंत्री केवल एक पृष्‍ठ का है और इसी प्रकार अन्‍य प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट हैं।

   

(10.5) लोकतंत्र का धर्म और संविधान

मैं लोकतंत्र के धर्म में अत्‍यधिक विश्‍वास करता हूँ। भारत की जनता द्वारा अर्थ लगाये  गए संविधान में मेरा पूरा और पक्का भरोसा है। मैं ऐसी कोई बड़ी बाध्‍य करने वाली जरूरत नहीं समझता कि संविधान में कोई और बदलाव लाया जाए हालॉंकि मै संविधान में संशोधन की किसी भी मांग के खिलाफ नहीं हूँ बशर्ते संशोधन का प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट लिखित रूप में दिया जाए । मेरा मानना है कि जनता द्वारा व अर्थ किए गए संविधान को न मानने के कारण भारत का तख्‍ता-पलट नहीं हुआ और न ही इस कारण इसे हड़पा गया है बल्कि जजों द्वारा अर्थ किए गए संविधान थोपने के कारण ऐसा हुआ है। और मेरा उद्देश्‍य हम जनसाधारण/आम लोग द्वारा अर्थ किए गए संविधान को भारत की सबसे बड़ी ताकत बनाकर भारत को फिर से पहले जैसा भारत बनाने का है।

मैं संविधान में संशोधन की जरूरत नहीं समझता, मैं केवल इस बात पर जोर देता हूँ कि संविधान का अर्थ हमें उस तरह से करनी चाहिए जैसी कि 25 जनवरी, 1951 को नागरिकों द्वारा किया गया था | 25 जनवरी, 1991 को आज की तरह का न्‍यायालय भी नहीं था। और संविधान में लिखे शब्‍द को अर्थ देने/इसका मतलब निकालने का प्राधिकार केवल भारत के नागरिक समाज को ही था। अब नागरिक समाज में (संविधान की) प्रस्‍तावना में “लोकतंत्र” शब्‍द को जोड़ दिया गया है। जिसका 25 जनवरी, 1991 को अर्थ था – “एक शासन जिसमें बहुमत कानून बनाती/लागू करती है और बहुमत की व्‍याख्‍या/अर्थ ही अंतिम है।” लोकतंत्र की यही परिभाषा पश्‍चिमी देशों में वर्ष 1200 से रही है जिसमें जूरी-मंडल/जूरर्स की व्‍याख्‍या/अर्थ  अंतिम होती थी। इसी विचार को मेरीलैण्‍ड(अमेरिका का एक राज्य) के संविधान के अनुच्‍छेद 23 में फिर से इस प्रकार लिखा गया-

“In the trial of all criminal cases, the Jury shall be the Judges of Law, as well as of  fact, except that the Court may pass upon the sufficiency of the evidence to sustain a conviction.

The right of trial by Jury of all issues of fact in civil proceedings in the several Courts of Law in this State, where the amount in controversy exceeds the sum of $10,000, shall be inviolably preserved”

सभी आपराधिक मामलों की सुनवाई में जूरी ही कानून के साथ-साथ तथ्‍य/वास्तविकता(निष्कर्ष मूल्यांकन के प्रक्रिया के माध्यम उत्पन्न )  के भी न्‍यायाधीश होंगे। केवल इस तथ्‍य/वास्तविकता को छोड़कर कि न्‍यायालय केवल किसी सजा को बनाए रखने के लिए साक्ष्‍य की पर्याप्‍तता पर अपना अधिकार रखेगा। इस राज्‍य के अनेकवैधानिक न्‍यायालयों में चलने वाली सीविल कार्यवाहियों में तथ्‍य संबंधी उन सभी मामलों की जूरी द्वारा सुनवाई के अधिकारसुनिश्चित होगी  जिनमें विवाद 10000 डॉलर से अधिक की धनराशि का हो

इस प्रकार, 25 जनवरी, 1991 को संविधान में लोकतंत्र शब्‍द का अर्थ था – एक शासन जहां बहुमत कानून बनाती है और बहुमत की व्‍याख्‍या/अर्थ अंतिम है। हम इन्‍हीं अर्थों के साथ संविधान को पुनर्जीवित करना चाहते हैं ।

   

(10.6) आर आर जी समूह की अन्य पुस्‍तकें / लेख

इस दल के सभी प्रकाशन नि:शुल्‍क है और at http://www.righttorecall.info पर उपलब्‍ध हैं।

1.     प्रति सप्‍ताह एक घंटे – प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानूनों को भारत में लाने में आप कैसे मदद कर सकते हैं :–

यह पुस्‍तक बताती है कि एक गरीब-हितैषी, लोकतंत्र-हितैषी व्‍यक्ति एक सप्‍ताह में 60 मिनट का समय और एक भी पैसा दान/चन्‍दा दिए बिना भारत के करोड़ों आम लोगों के दुख:दर्द को कैसे कम कर सकता है। और इस पुस्‍तक में सुझाए अनुसार 200,000 भारतीय कार्यकर्ताओं द्वारा हर सप्ताह 60 मिनट का समय देने के लिए सहमत होने के बाद, दस वर्षों के भीतर ही भारत पश्‍चिमी देशों के बराबर/समकक्ष खड़ा होगा। यह पुस्‍तिका http://righttorecall.info/003.h.pdf  पर उपलब्‍ध है।

2.    जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली सरकारी आदेश  (4 पन्ने )www.righttorecall.info/001.h.pdf

3.    प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) और `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली सरकारी आदेश पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न  `www.righttorecall.info/004.h.pdf

www.righttorecall.info/004.h.doc

4.           प्रधानमन्त्री/मुख्यमंत्री को एक आम आदमी द्वारा पत्र पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए   – www.righttorecall.info/002.h.pdf &                                                   www.righttorecall.info/002.h.doc

   

(10.7) संपर्क / इंटरनेट समुदाय आदि महत्‍वपूर्ण यू.आर.एल इस प्रकार हैं

1.    www.righttorecall.info  एम आर सी एम रिकॉल समूह के लिए मुख्‍य वेबसाइट

2.    www.forum.righttorecall.info   : प्रश्‍न/जिज्ञासा और चर्चा  के लिए मुख्य

3.    गुगल समूह- http://groups.google.com/group/RightToRecall

4.    http://orkut.co.in/Community.aspx?cmm=21780619 : ऑरकूट समुदाय

पाठकों से अनुरोध है कि वे www.bharatrakshak.com , www.india-forum.com  और ऑर्कूट पर “indianpolitics” समुदाय के वाद-विवाद/चर्चा में भाग लें। हम पाठकों से अनुरोध करते हैं कि अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्‍ट को बदलने का अधिकार) कानून के लिए इंटरनेंट के सभी समुदायों पर स्‍पैमिंग किए बिना प्रचार करें।

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