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`जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम)` आन्दोलन के जरिए लाना न कि चुनाव जीतकर |
(14.1) भारत में सतयुग लाने के लिए तीन कदमों का तरीका |
प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह के सदस्य के रूप में मैं भारत में सतयुग लाने के लिए निम्नलिखित तीन कदमों के तरीके का प्रस्ताव करता हूँ –
- पहला कदम अथर्ववेद और सत्यार्थ प्रकाश पाठ 6 पृष्ठ 1 के इन संदेशों को भारत के करोड़ों नागरिकों के बीच फैलाना है “राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए नहीं तो वह जनता को लूट लेगा।”
- करोड़ों नागरिकों को यह बताना है कि `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली राजा को प्रजा के अधीन लाने के लिए सबसे आसान ज्ञात तरीका है और इसलिए हमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों आदि को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करना होगा।
- यदि एक बार प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्रीगण `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य हो गए तो `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली के खण्ड/ कॉलम का उपयोग करके हम नागरिकगण नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट , प्रजा अधीन – प्रधानमंत्री प्रारूप , प्रजा अधीन – उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश प्रारूप , प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर प्रारूप , जूरी प्रणाली/सिस्टम प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट और सैकड़ों ऐसे अन्य प्रारूपों को लागू कर सकते हैं ।
ये क़ानून-ड्राफ्ट भ्रष्टाचार, गरीबी आदि को कम कर देंगे। अब दूसरा कदम एक छोटा कदम है। अब मैं विस्तार से बताउंगा कि मैं कैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने का प्रस्ताव करूंगा।
(14.2) आन्दोलन (व्यापक आन्दोलन / जन आंदोलन) से मेरा क्या मतलब है? |
सबसे पहले “ व्यापक(फैला हुआ) / जन आन्दोलन ” अर्थात आन्दोलन से मेरा क्या मतलब है? , खासकर “प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने का आन्दोलन” अथवा “प्रजा अधीन राजा के लिए आन्दोलन” के संदर्भ में आन्दोलन से मेरा अर्थ है कि जिसमें लाखों और करोड़ों लोग इस कार्य के लिए पैसे लिए बिना पार्टी कार्यकर्ताओं, विधायक, सांसद, मंत्रियों के पास जाना शुरू कर देंगे और उनके माध्यम से मुख्यमंत्रियों व प्रधानमंत्री को बिना देरी किए `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर करने के लिए कहेंगे। नागरिक मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्री से कहेंगे कि वे बिना देरी किए `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पर हस्ताक्षर कर दें। नागरिकगण स्वयं ऐसा करेंगे, इसलिए नहीं कि उनपर कार्यकर्ताओं द्वारा भावात्मक रूप से दबाव डाला गया है। यह “तरीका/ऐप्रोच” पत्रों, टेलिफोन कॉल, एस. एम. एस., रैलियों, घेराव, प्रदर्शनों, समाचारपत्रों में विज्ञापनों, नारों आदि के रूप में हो सकता हैं। प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्रीगण एक ऐसी प्रणाली की स्थापना कर सकते हैं जो यह बात ठीक-ठीक बता सके कि कितने नागरिक `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) चाहते हैं और नागरिकों को तब तक कोई हिंसात्मक कार्रवाई बिलकुल नहीं करनी होगी जब तक कि यह पूरी तरह से स्थापित/पक्का नहीं हो जाता कि अधिकतर नागरिक `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली अवश्य चाहते हैं ।
इसलिए इस आन्दोलन को खड़ा करने में मुझे किन कार्यों को करने की जरूरत पड़ेगी जिस आन्दोलन में लाखों नागरिक मुख्यमंत्रियों व प्रधानमंत्री से `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना शुरू कर दें? ये कार्य हैं-
- मुझे करोड़ों नागरिकों को संतुष्ट करना होगा कि `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली से उन्हें लाभ होगा।
- मुझे करोड़ों नागरिकों को संतुष्ट करना होगा कि यह नागरिकों के लिए संभव है कि वे प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्रियों पर `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए उनकी अपनी इच्छा के विरूद्ध और अभिजात/उच्च वर्ग के लोगों की इच्छा के विरूद्ध दबाव डाल सकते हैं।
- मुझे करोड़ों नागरिकों को संतुष्ट करना होगा कि यह संभव है कि नागरिकगण प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों को बुद्धिजीवियों, मीडिया-मालिकों आदि की मदद के बिना, सांसदों व विधायकों की मदद के बिना और चुनाव का इंतजार किए बिना `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर सकते हैं।
- जब करोड़ों नागरिक संतुष्ट हो जाएं कि प्रधानमंत्री `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप पर हस्ताक्षर कर देंगे तब मुझे करोड़ों नागरिकों को इस बात के लिए आश्वस्त करना होगा कि करोड़ों अन्य नागरिक संतुष्ट हैं कि प्रधानमंत्री को `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप पर हस्ताक्षर करना ही होगा।
अंतिम/पिछले लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मुझे केवल एक संचार-तंत्र की जरूरत पड़ेगी। और पहले तीन उप-लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए –
- मुझे लाखों कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करना होगा कि `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली से नागरिकों को लाभ होगा।
- मुझे लाखों नागरिकों को संतुष्ट करना होगा कि यह संभव है कि वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों पर `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप पर हस्ताक्षर करने के लिए उनकी अपनी इच्छा के विरूद्ध और अभिजात/उच्च वर्ग के लोगों की इच्छा के विरूद्ध दबाव डाल सकते हैं।
- मुझे करोड़ों नागरिकों को संतुष्ट करना होगा कि यह संभव है कि नागरिकगण प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्रियों को बुद्धिजीवियों, मीडियामालिकों आदि की मदद के बिना, सांसदों व विधायकों की मदद के बिना और चुनाव का इंतजार किए बिना `जनता की आवाज` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य कर सकते हैं।
- मुझे कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए संतुष्ट करने की जरूरत पड़ेगी कि उन्हें हर सप्ताह कम से कम 1 घंटा साथी कार्यकर्ताओं और नागरिकों को उपर उल्लिखित मदों के बारे में संतुष्ट करने में लगाना पड़ेगा।
(14.3) क्या नागरिकगण इतने शक्तिशाली हैं कि वे प्रधानमंत्री को बाध्य / मजबूर कर दें ? अथवा क्या आन्दोलन एक बेकार का विचार है | |
भारत के बुद्धिजीवियों ने एक गलत भ्रम फैला दिया है कि नागरिक के हाथों और पैरों में ताकत नहीं होती । वे इतने कमजोर होते हैं कि वे प्रधानमंत्री को उनकी इच्छा के विरूद्ध कागज के एक टूकड़े पर भी हस्ताक्षर करने के लिए कभी बाध्य नहीं कर सकते हैं। मुझे यह दिखलाने की जरूरत है कि यह एक सफेद झूठ है ।