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प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) समूह द्वारा प्रस्तावित महत्वपूर्ण प्रारूपों / क़ानून-ड्राफ्ट की सूची / लिस्ट |
“जी एन” का अर्थ सरकारी आदेश/अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र) होता है अर्थात यह कैबिनेट मंत्रियों द्वारा जारी किया गया एक आदेश होता है। अधिकारियों और नागरिकों को ये सरकारी अधिसूचनाएं(आदेश) माननी पड़ती हैं जबतक कि कुछ जजों द्वारा उन्हें रद्द नहीं कर दिया जाता। नीचे 120 सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) में से कुछ दी गई हैं जिनका प्रस्ताव मैंने और प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल समूह ने किया है।
(12.1) पहली सरकारी अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र) |
पहली सरकारी अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र)जिसका प्रस्ताव मैंने किया है, उसका नाम है जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2)पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली । यह इस प्रकार है –
- कलेक्टर नागरिकों के एफिडेविट को, यदि नागरिक चाहे तो, शुल्क लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों की वेबसाईट पर डाल देगा।
- पटवारी/तलाटी नागरिकों को 3 रूपए का शुल्क लेकर किसी भी एफिडेविट पर हां –नहीं दर्ज करने की अनुमति देगा।
- हां-नहीं की गिनती प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों पर बाध्यकारी नहीं होगी। अर्थात प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों आदि को उन्हें मानना अनिवार्य नहीं है।
जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली राष्ट्रीय, राज्य के साथ-साथ नगर/जिला, तहसील, और ग्राम/गांव स्तरों पर प्रस्तावित की गई है।
(12.2) अगली पांच महत्वपूर्ण सरकारी अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र) |
अगली पांच महत्वपूर्ण सरकारी अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र)जिसकी मांग हम करते हैं –
1. नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी(आमदनी) (एम आर सी एम) : ऐसी प्रक्रियाएं/तरीके लागू करें जिससे खनिज के खदानों से मिलने वाली रॉयल्टियां और सरकारी प्लॉटों से प्राप्त किरायों का एक तिहाई हिस्सा भारतीय सेना को जाए और इसका दो तिहाई हिस्सा भारतीय नागरिकों में बांटा जाए। अधिक जानकारी :- मान लें, जनवरी, 2008 के महीने में भारत सरकार के खनिज अयस्कों से और भारत सरकार के प्लॉटों के जमीन के किराए से 30,000 करोड़ रूपए आए/वसूले गए। तो प्रस्तावित, नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम आर सी एम) प्रारूप के अनुसार 10,000 करोड़ रूपए सेना को जायेंगे और 100 करोड़ नागरिकों में से प्रत्येक नागरिक को 200 रूपए मिलेंगे। प्रत्येक नागरिक का पोस्ट ऑफिस खाते या भारतीय स्टेट बैंक में खाता अवश्य होगा जहां से वह महीने में एक बार नकद पैसा ले सकेगा। यदि प्रत्येक नागरिक महीने में एक बार पैसा निकालने जाये तो भारत सरकार को 120,000 से ज्यादा क्लर्क की आवश्यकता पड़ेगी। वर्तमान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 600,000 से अधिक क्लर्क हैं। इसलिए नागरिकों को खनिज अयस्कों की रॉयल्टियां और जमीन का किराया देने/बांटने में ज्यादा कठिनाई नहीं आएगी।
- प्रजा अधीन राजा – पुलिस प्रमुख : ऐसे कानून लागू करें जिसके द्वारा नागरिक जिला पुलिस प्रमुख को बदल / हटा सके।
विशेष-प्रजा अधीन राजा के प्रक्रियाओं द्वारा आम नागरिक ईमानदार व्यक्ति को भ्रष्ट व्यक्ति द्वारा हटाये जाने के पश्चात वापस भी स्थापित कर सकता है (राईट टू रीटेन/रोके रखने का अधिकार ) और चूँकि नागरिक भ्रष्ट व्यक्ति को हटा सकता है, इसीलिए ये राईट टू रिजेक्ट/हटाने का अधिकार भी है |
- प्रजा अधीन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री : ऐसे कानून लागू करें जिसके द्वारा नागरिक चुनाव से पहले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को बदल / हटा सके।
- प्रजा अधीन –सुप्रीम-कोर्ट के प्रधान जज: ऐसी संवैधानिक सरकारी अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र)लागू करें जिसके द्वारा यदि जरूरत पड़े तो सुप्रीम-कोर्ट के वर्तमान जजों के अनुमोदन/स्वीकृति से हम आम लोग सुप्रीम-कोर्ट के प्रधान जज को निष्कासित / बदल सकें।
- एक ऐसा कानून लागू करें जो गरीब अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (बाद के एक पाठ में अधिक जानकारी दी गयी है) के सहयोग से आरक्षण घटाएं।
प्रजा अधीन – प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन – मुख्यमंत्री, प्रजा अधीन – सुप्रीम-कोर्ट प्रधान जज आदि (मांग संख्या 2-5) की संवैधानिक मान्यता
कुछ प्रमुख बुद्धिजीवी लोग यह गलत प्रचार करते रहे हैं कि मांग संख्या 2-5 को लागू कराने का हमारा प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट असंवैधानिक है। वे सभी गलत हैं । जिन प्रारूपों/ड्राफ्टों का मैंने प्रस्ताव किया है वे शत-प्रतिशत संवैधानिक हैं।
(12.3) लोकतंत्र के प्रति सम्पूर्ण (ब्लैंकेट) प्रतिबद्धता |
मैं एक व्यापक आन्दोलन चलाने की कोशिश करूंगा जिसमें भारत के आम लोगों से कहूंगा कि वे जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री पर दबाव डालें। यदि ऐसा व्यापक आन्दोलन नहीं चल पाता है तो मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन यदि जनता की आवाज के लिए व्यापक आन्दोलन हो जाता है और इस आन्दोलन को सफलता मिल जाती है कि वह जनता की आवाज (सूचना का अधिकार -2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली – सरकारी अधिसूचना(आदेश) (भारतीय राजपत्र)पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रधानमंत्री को बाध्य करें तब मैं ऐसे 100-200 एफिडेविट दर्ज करवा दूंगा जिसमें से प्रत्येक में एक सरकारी आदेश/अधिसूचना(आदेश) का क़ानून-ड्राफ्ट होगा । इसके बाद नागरिकों से कहूंगा कि वे इन एफिडेविटों पर तलाटी / पटवारी के कार्यालय में जाकर हां दर्ज कर दें।
मैं नागरिकों पर इस बात के लिए जोर नहीं डालता कि वे इन सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) को पास/पारित करवाने के लिए मुझे या मेरे आदमियों को सांसद बनाएं, ना ही मैं कभी इन कानूनों को पारित करवाने के लिए सांसदों, विधायकों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्री से समर्थन का अनुरोध/लॉबी करुंगा। मैं किसी भी पार्टी के विधायकों,और सांसदों को इन कानूनों में से किसी भी कानून, जिसका प्रस्ताव हमलोगों ने किया है, को लागू करवाने से नहीं रोकूंगा लेकिन मैं इन कानूनों को लागू करवाने के लिए केवल नागरिकों से ही कहूंगा, सांसदों, विधायकों से नहीं।
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सांसदों, और विधायकों से मेरा केवल एक ही अनुरोध है कि कृपया जनता की आवाज (सूचना का अधिकार – 2) पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली प्रारूप/क़ानून-ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर कर दें ।
(12.4) कुछ छोटी मांगें |
1 नागरिकों को राशन कार्ड की दुकान बदलने की अनुमति दें : यदि ऐसा हो जाता है तो किरासन तेल की चोरी में कमी आएगी
2 नागरिकों को गैस सिलेंडर की ऐजेंसी बदलने की अनुमति दें
3 तीन/3 लीटर और पांच/5 लीटर के खाना पकाने की (कुकिंग) गैस के सिलेंडर बनाएं : ताकि गरीब लोग इसे खरीद सकें
4 सिलेंडर गैस का शुल्क/फीस 1100 रूपए से घटाकर केवल इसकी लागत के बराबर कर दें