बलात्कार (की घटनाएं) कम करने के लिए कानून में `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह“द्वारा प्रस्तावित बदलाव / परिवर्तन |
(38.1) तकनीकी साधन |
1. राष्ट्रीय डी.एन.ए. आंकड़ा कोष
(डाटाबेस) : सभी पुरूषों के डी.एन.ए. का आंकड़ा कोष(डाटाबेस) तैयार करना बलात्कार के आरोपियों को कम लागत में और तेज गति से पकड़ने/खोज निकालने में उपयोगी होगा। पकड़े/खोज निकाले जाने का डर आरोपियों को बलात्कार करने से रोकेगा।
2. जितनी ज्यादा सार्वजनिक जगहों पर संभव हो सके, कैमरे लगाना : जितना अधिक संभव हो सके उतने कैमरे लगाकर हम बलात्कार और बस अड्डों / स्टॉपों बसों के भीतर और अन्य भीड़-भाड़ वाली सार्वजनिक जगहों पर छेड़छाड़ की घटनाओं को कम कर सकते हैं।
3. प्रत्येक महिला को आवाज की सुविधा तथा खतरे का संकेत देने वाले पैनिक बटन उपकरण उपलब्ध कराना : प्रत्येक महिला को ऐसा एक उपकरण दिया जा सकता है जिसे बन्द न किया जा सके (जब तक कि उसे तोड़ न दिया जाए), और वह उपकरण किसी नियंत्रण कक्ष को लगातार महिला के आसपास/चारो तरफ की आवाजें भेजता रहेगा। साथ ही, इस उपकरण में खतरे का(पैनिक) बटन लगाया जा सकता है। जब इस बटन को दबाया जाएगा तो यह खतरा का(पैनिक) बटन नजदीक के किसी फोन टावर के साथ-साथ पुलिस स्टेशनों को खतरे का संकेत भेजेगा। ज्ञात तकनीकी तरीकों से महिला के उपस्थित रहने के स्थान का भी पता लगाया जा सकता है।
4. महिलाओं को बंदूकें देना : महिलाओं को बंदूकें और अन्य हथियार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। और उन्हें इन हथियारों आदि को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
(38.2) बलात्कार संबंधी कानूनों में प्रस्तावित परिवर्तन |
बलात्कार के मामलों में मुकद्दमा चलाने में हम निम्नलिखित परिवर्तनों/बदलावों का प्रस्ताव करते हैं –
1. बलात्कार के सभी मामलों में सुनवाई जूरी और केवल जूरी द्वारा ही की जाएगी। जूरी में जिलों से क्रमरहित तरीके से चुने गए 25 वर्ष से अधिक और 60 वर्ष के बीच के उम्र के 25 नागरिक होंगे। इन 25 नागरिकों में से 13 नागरिक महिलाएं होंगी और 12 पुरूष नागरिक होंगे।
2. यदि आरोपी चाहता हो या 25 जूरी सदस्यों में से 13 जूरी सदस्य यदि जरूरी समझते हों कि आरोपी पर सच्चाई सीरम जांच(नार्को जाँच) की जानी चाहिए, तो जांच अधिकारी मुलजिम पर सच्चाई सीरम जांच करेगा।
3. यदि शिकायतकर्ता चाहता हो या 25 जूरी सदस्यों में से 18 जूरी सदस्य यदि जरूरी समझते हों कि शिकायतकर्ता पर सच्चाई सीरम जांच की जानी चाहिए, तो जांच अधिकारी शिकायतकर्ता पर सच्चाई सीरम जांच करेगा।
4. यदि 25 जूरी सदस्यों में से 18 से ज्यादा जूरी सदस्य सच्चाई सीरम जांच के सीधे प्रसारण की अनुमति दे देते हैं तो सच्चाई सीरम जांच मीडिया के लिए उपलब्ध होगी और इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।
बलात्कार की सुनवाई में सच्चाई सीरम जांच अनिवार्य है क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष झूठ बोल सकता है और ज्यादातर सबूत/साक्ष्य ज्यादातर अधूरे होते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा यह बता सकते हैं कि (शारीरिक) संबंध बने हैं लेकिन जोर जबरदस्ती या धमकी के प्रयोग को प्रमाणित नहीं करते। वर्तमान कानूनों में सच्चाई सीरम जांच के लिए जज/न्यायाधीश की अनुमति की जरूरत होती है और चूंकि जज अनुमति नहीं भी दे सकते हैं इसलिए अपराधी अकसर छूट जाते हैं। इसलिए, सच्चाई सीरम जांच का निर्णय जूरी पर छोड़ दिया जाना चाहिए। यह वर्तमान कानून गलत है कि महिला की गवाही ही अंतिम मानी जायेगी और इसे बदलकर इसके स्थान पर सच्चाई सीरम जांच(नार्को जांच) को अनिवार्य किया जाना चाहिए। भारत में बलात्कार के मामलों को रोकने में तकनीकी साधन और सच्चाई सीरम जांच का प्रयोग सशक्त/मजबूत साधन बनेगा ।
झूठी शिकायतों की संभावनाओं को कम करना
आरोपी का नार्को टेस्ट झूठी शिकायतों की संभावनाओं को कम करेगा और फिर जब आरोपी का नार्को टेस्ट हो जायेगा ,अगर जूरी ये सोचती है की आरोपी बेगुनाह है तो जूरी शिकायत कर्ता को अपना नार्को टेस्ट करवाने का आदेश देगी .आपकी जानकारी के लिए बता दूं की जूरी मे 50 से 300 लोग तक हो सकते हैं इन सभी लोगों को उस राज्य की जन्संख्या (जहाँ की मुकदमा हो रहा है ) मे से जनता के सामने लकी ड्रा के द्वारा चुन जायेगा .जूरी मे 50% महिलाएं होंगी . शिकायत कर्ता के नार्को टेस्ट के लिए मन करने पर जनता पारदर्शी शकायत प्रणाली द्वारा मुक़दमे का निष्कर्ष निकल सकती है .मुकदमा झूठा साबित होने पर शिकायत कर्ता को सजा हो सकती है .