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अध्याय 34 – जम्‍मू-कश्‍मीर की समस्‍या के समाधान के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्‍ताव

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जम्‍मू-कश्‍मीर की समस्‍या के समाधान के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्‍ताव

इस पाठ में जम्‍मू-कश्‍मीर की समस्‍या के प्रस्‍तावित समाधान केवल संक्षेप(छोटे) में दिए गए हैं।

यह देखते हुए कि जम्‍मू-कश्‍मीर ऊंचाई पर स्थित है, जो भी देश उस क्षेत्र में अपनी सेना की टुकड़ियां स्‍थापित करेगा और हवाई-अड्डे(एयरबेस) बना लेगा उसे भारत, चीन और पाकिस्‍तान पर रणनीतिक/युद्ध में लाभ मिलेगा। जम्‍मू-कश्‍मीर की समस्‍या इसलिए उठी है कि अमेरिका व इंग्‍लैण्‍ड स्‍वतंत्र कश्‍मीर चाहते हैं ताकि स्‍वतंत्र कश्‍मीर को अपने तीन पड़ोसियों (चीन, भारत व पाकिस्‍तान) से खतरा महसूस हो और उसके सामने अपने आप को बचाने के लिए अमेरिका और इंग्‍लैण्‍ड से उनकी अपनी सेनाओं की टुकड़ियां रखने के लिए कहने के अलावा और कोई चारा/विकल्प/चुनाव नहीं होगा। अमेरिका और इंग्‍लैण्‍ड सउदियों को इस बात पर राजी करने में सफल रहे हैं कि वह अपना धन/पैसा जम्‍मू-कश्‍मीर में लगाए और अमेरिका व इंग्‍लैण्‍ड जम्‍मू-कश्‍मीर में बगावत/विद्रोह पैदा करने के लिए समान/हथियार से आई.एस.आई. की मदद करेगा। बात और ज्‍यादा इसलिए बिगड़ गई है कि वर्ष 1991 के बाद से ही हमारे (देश के)  सभी प्रधानमंत्रियों ने प्रधानमंत्री के भेष में अमेरिकी एजेंट/प्रतिनिधि(वायसराय) के रूप में काम किया है और इसलिए इन्‍होंने अमेरिकी हितों के लिए काम किया न कि भारतीय हितों के लिए। अब, हम भारतीय नागरिक इस गड़बड़ी को कैसे ठीक कर सकते हैं?

1     प्रजा अधीन प्रधानमंत्री : इससे यह सुनिश्‍चित होगा कि प्रधानमंत्री अमेरिका, इंग्‍लैण्‍ड या सऊदियों के हाथों नहीं बिकेंगे और वे भारतीय हितों के लिए काम करेंगे। यदि प्रधानमंत्री अमेरिका और इंग्‍लैण्‍ड के एजेंट की तरह नहीं बल्‍कि भारत के प्रधानमंत्री की तरह काम/कार्रवाई करने लगें तो जम्‍मू-कश्‍मीर के मोर्चे/मामले पर वास्‍तव में भारतीय हितों के लिए कुछ कार्रवाई/काम होगा।

2.    सेना की ताकत बढ़ाएं : यदि भारतीय सेना की ताकत बढ़ती है तो पाकिस्‍तान, अमेरिका, इंग्‍लैण्‍ड जैसे देश पाकिस्‍तान में रह रहे आतंकवादियों/अलगाववादियों को समर्थन/सहायता देना कम कर देंगे।

3.    धारा 370 रद्द/समाप्‍त करने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर की विधानसभा में संकल्‍प पारित करना : भारत के नागरिकों द्वारा बदले/हटाए जा सकने के नियम के अधीन काम करने वाला कोई प्रधानमंत्री ही धारा 370 हटाने/समाप्‍त करने, जम्‍मू-कश्‍मीर के खिलाफ सारे भेदभाव समाप्‍त करने और जम्‍मू-कश्‍मीर को भारत के अन्‍य राज्‍यों की बराबरी पर लाने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर के विधायकों को जम्‍मू-कश्‍मीर की विधानसभा में संकल्‍प पारित/पास करवाने में समर्थ बनाएगा। यदि प्रधानमंत्री `नागरिकों द्वारा बदले/हटाए जा सकने के नियम` के अधीन काम करने वाला कोई प्रधानमंत्री हुआ तो वह यह सुनिश्‍चित करेगा कि 90 प्रतिशत से अधिक विधायक इस संकल्‍प का समर्थन करें। मैं पाठकों से इस बात पर ध्‍यान देने के लिए कहता हूँ कि चीन की सेना ने 1950 के दशक में तिब्‍बत में तब प्रवेश किया जब तिब्‍बत की विधानसभा ने एकमत से चीन में विलय का संकल्‍प पारित किया !!

4.    जम्‍मू-कश्‍मीर का विलय हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड में करना : जम्‍मू-कश्‍मीर के विधायकगण जम्‍मू-कश्‍मीर का विलय(एक दूसरे में मिला देना) हिमाचल प्रदेश और उत्‍तरांचल के साथ करने संबंधी संकल्‍प भी पारित/पास कर सकते हैं। यदि एक बार वे ऐसा संकल्‍प पास/पारित कर देते हैं तो भारत के नागरिक ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)’ का प्रयोग करके जम्‍मू-कश्‍मीर का विलय(आपस में मिला देना) इन दोनों राज्‍यों (हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड) में कर सकते हैं।

श्रेणी: प्रजा अधीन