होम > प्रजा अधीन > अध्याय 58 – गोहत्या प्रतिबन्ध हेतु प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्ताव

अध्याय 58 – गोहत्या प्रतिबन्ध हेतु प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्ताव

dummy
पी.डी.एफ. डाउनलोड करेंGet a PDF version of this webpageपी.डी.एफ. डाउनलोड करें

 गोहत्या प्रतिबन्ध हेतु प्रजा अधीन राजा समूह के प्रस्ताव –

Translated from Chapter 44 of www.rahulmehta.com/301.htm

==============================

यदि आप गो-हत्या को रोकने के लिए कानूनों का समर्थन करना चाहते हैं, तो कृपया www.smstoneta.com/hindi पर 0141 एस.एम.एस. करें इस साईट पर रजिस्टर होने के बाद | अधिक जानकारी के लिए www.smstoneta.com/hindi देखें |

==========================================================

 

58.1 संक्षिप्त में सुझाव

1.   गौहत्या करने वालों को 5 वर्षों तक सजा का प्रावधान (कानून) बनाने के लिये राजपत्र- अधिसूचना (गैजेट नोटीफिकेशन) छपवाया जाना चाहियें । केरला और पश्चिम बंगाल को छोड़ कर भारत के लगभग सभी राज्यों में यह कानून पहले से ही बना हुआ हैं ।

2.   राईट टू रिकॉल- पुलिस  मुख्याधिकारी (देखें अध्याय 22), राईट टू रिकॉल- जिला सरकारी वकील, राईट टू रिकॉल-जिला न्यायाधीश (जज) (देखें अध्याय 7), गौ कल्याण मंत्री पर भी राईट टू रिकॉल का प्रावधान लागू करना ताकि दोषियों को समय पर उचित सजा मिल सके । (राईट टू रिकॉल- जिला सरकारी वकील और राईट टू रिकॉल-गौ कल्याण मंत्री का ड्राफ्ट राईट टू रिकॉल-रिसर्व बैंक गवर्नर के जैसे होगा ; उसे अध्याय 9 में देखें)

3.   दोष और सजा की अवधि (समय) तय करने के लिये जज ट्रायल की जगह ज्यूरी ट्रायल होना चाहिये क्यूंकि ज्यूरी सिस्टम में जज सिस्टम की तुलना में फैसला जल्दी और न्यायपूर्वक आता है (देखें अध्याय 21)।

4.   ज्यूरी सदस्यों के आदेश पर गौहत्या के दोषियों का नार्को टेस्ट (ड्राफ्ट के लिए देखें –  
      http://www.forum.righttorecall.info/viewtopic.php?f=22&t=1167 )

5.   गाय के नकली घी और नकली दूध आदि की बिक्री कम करने के लिये मिलावट-नियंत्रक (Anti-Adulteration) अफसर पर राईट टू रिकॉल (ड्राफ्ट राईट टू रिकॉल-रिसर्व बैंक गवर्नर के सामान ; देखें अध्याय 9)

6.   शुक्राणु-विभाजन की  प्रौद्योगि  विकसित करने के लिये  पूंजी निवेश किया जाना चाहिये ताकि गर्भाधान के समय गौपालक बछड़े का लिंग निर्धारित कर सकें ।

7.    ट्रेक्टर आदि की खरीद पर छूट (सब्सीडी) खत्म हो ताकि बैलो की माँग बढ़े ।

8.    गौमाँस की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगे । गौमाँस बेचने वालो को ज्यूरी पाँच वर्षों की सजा दे सकते हैं ।

9.    गौमाँस के निर्यात पर भी पाबन्दी लगे । गौमाँस का निर्यात करने वाले को ज्यूरी पाँच वर्षों की सजा दे सकते हैं ।

10.  गायों के निर्यात पर पाबन्दी लगे । गायों को निर्यात करने वालो को ज्यूरी पाँच वर्षों की सजा दे सकते हैं ।

11.  किसी एक राज्य से दूसरे राज्य में गाय को ले जाने पर पाबन्दी हो । ऐसा करने वालों को भी ज्यूरी पाँच वर्षों की सजा दे सकती है ।

12.  सरकार गौ-शालाएँ चलायेगी जिसके लिये धन सम्पत्ति-कर (वैल्थ टैक्स) से आयेगा ।

13.  सरकार बूढ़ी गायों को एक निर्धारित कीमत पर खरीदेगी ।

14.  गाय-भैंस खरीदने पर सरकार द्वारा कोई छूट (सब्सीडी) नहीं मिलेगी ।

15.  दूध की थैली/डिब्बे पर स्पष्ट लिखा होगा कि दूध गाय का है या भैंस का । साथ ही यह भी लिखा होगा कि दूध देशी गाय का है या जर्सी/गीर गाय का ।

16.  दूध की थैली/डिब्बे पर स्पष्ट लिखा होगा कि दूध में प्रोटीन, वसा(फैट) आदि की मात्रा और भारतीय मेडिकल काउन्सिल के आनुसार उस फैट लेवल से हार्ट अटैक की सम्भावना भी लिखी होगी । इस तरह से भैंस और जर्सी गाय के दूध के  खपत में भी कमी आयेगी ।

17.  शहरों में 10,000 से 30,000 आबादी वाले हर बस्ती में कम से कम एक गौशाला जरूर होनी चाहिये । इस तरह शहरो में हर वार्ड में कम से कम 1 या 2 गौशाला अवश्य हो जायेंगी ।

18.  भैंस और जर्सी गाय के दूध से मनुष्य शरीर पर और दिल पर हो रहे दुष्प्रभाव (नुकसान) के बारे में नागरिकों को विभिन्न माध्यमों से बताया जाये । जैसे-जैसे भैंस और जर्सी गाय के दूध से दिल पर हो रहे नुकसान के बारे में नागरिको को पता चलेगा भैंस और जर्सी गाय के दूध का उत्पादन और उपयोग कम हो जायेगा और भारतीय गाय की माँग बढ़ेगी ।

 

58.2 विस्तृत वर्णन

भारत के जम्मू-कश्मीर, केरल , पश्चिम बंगाल और कुछ उत्तर-पूर्वी क्षेत्रो में ही गौ-हत्या वैध (कानूनन/लीगल) हैं । उदाहरणार्थ गुजरात में गौहत्या करने की 6 वर्ष की सजा है तो हरियाणा में 5 वर्ष की सजा हैं । लेकिन जिला पुलिस  मुख्याधिकारी(चीफ) , जिला सरकारी वकील और जिला-जजों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण गौ-ह्त्या के विरुद्ध कानून होने पर भी अक्सर गौहत्यारो को सजा नहीं मिलती । इन सभी पदों पर अधिकारीयों को बदलने के कानून के अधिकार (राईट टूरिकॉल) से भ्रष्टाचार कम हो जायेगा और इस तरह गौहत्या बन्द होगी ।

उदाहरणार्थ यदि व्यवस्था में राईट टू रिकॉल जिला पुलिस चीफ (उसे बदलने या नौकरी से निकालने का अधिकार) हो तो, पुलिस चीफ को यह पता होगा कि नागरिक नहीं चाहते कि क्षेत्र में गौ-हत्या हो और यदि वहाँ गौ-हत्या (गैर-कानूनी) चलती रही तो नागरिक उसे नौकरी से निकाल देंगे, इस ड़र से पुलिस चीफ गो-हत्या के रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही करेंगे और अपना काम ईमानदारी से करेंगे, जिसके फलस्वरूप गौ-हत्या कम होंगी । इसके साथ ही, गौहत्या के मामलो (केस) में न्यायाधीश (जज) द्वारा निर्णय  किये जाने की व्यवस्था खत्म होनी चाहिये । क्योंकि जज भाई-भतीजावाद, परिवारवाद को बढ़ावा देते हैं और वह भ्रष्ट भी हैं । इसलिये गौ हत्यारे बच भी जाते हैं । यही कारण है कि गो-हत्या के आरोपियों पर  सुनवाई और फैसला ज्यूरी करे और ज्यूरी सार्वजनिक रूप से आरोपीयों के नार्को टेस्ट का आदेश दे ताकि उसके अन्य साथियों के नाम भी पता चल सकें ।

क्योंकि हिन्दु स्वेच्छा से गायों को भोजन देते हैं और हजारों रूपये गौशालाओं में दान के रूप में दे देते हैं और इस तरह गौ-माँस बेचने वालों का खर्चा कम होता है और फायदा बढ़ जाता है । इस समस्या को खत्म करने के लिये मैं हिन्दुओं से आग्रह करता हूँ कि आप गाय के दूध से बने उत्पाद लागत मूल्य पर अधिक से अधिक खरीदें और छूट देकर गरीबों तक कम मूल्य में पहुँचायें । इस तरह गाय के दूध से बने उत्पाद खरीद कर लोग गौशालाओं को पर्याप्त आमदनी और आर्थिक फायदा पहुँचायेंगे ताकि वह गौशाला में गौ-सेवा अच्छी तरह से कर सकें ।

हालाँकि, भैंस का दूध सस्ता होता है परन्तु ह्रदय-घात (हार्ट-आटैक) की सम्भावना बढ़ा देता है । इसलिये, यदि दिल की बिमारियों में होने वाले खर्च को जोड़ दिया जाये तो भैंस का दूध अपेक्षाकृत गाय के दूध से अधिक महंगा पड़ सकता है ।  दुर्भाग्यव,श अधिकांश लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है । भारत सरकार एक वर्ष तक एक मुहीम चला सकती है जिसमें नागरिकों को यह जानकारी दी जाये | इस तरह, भैंस और जर्सी आदि विदेशी गाय के दूध की बिक्री में कमी आयेगी और देशी गाय की माँग बढ़ेगी ।

साथ ही, नागरिकों के पास ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि वह पता लगा सकें कि थैली में बन्द दूध या घी जिस पर ‘गाय का दूध/घी’ लिखा हो वह असल में गाय का दूध है या भैंस का ? ऐसा इसलिये है क्योंकि जिला स्वास्थ्य अधिकारी जो कि मिलावट निरोधी अफसर भी हैं, वह भ्रष्ट हैं । इसलिये मैं राईट टू रिकॉल स्वास्थ्य अधिकारी का प्रस्ताव रखता हूँ ताकि निरिक्षण में अपेक्षाकृत सुधार हो और मिलावट कम से कम हो और नागरिकों का उत्पादों में विश्वास बढ़े ।

ट्रैक्टरों के ऊपर दिए गए छूट को समाप्त कर बैलों की आवश्यकता बढ़ाई जा सकती है और इस तरह से बैलों का वध घटाया जा सकता है। रासायनिक खादों के ऊपर लगे छूट को हटाकर पुनः गाय और बैल की मांग बढ़ाई जा सकती है।

और अन्त में, गर्भवती गाय बैल और गाय दोनो को ही समान मात्रा में जन्म देती हैं । बैल अधिक संख्या में हो तो अर्थव्यवस्था के लिए अधिक समय के लिए उपयोगी नहीं रहते और कभी न कभी कत्लखानें में बेच दिये जाते हैं । बैल के वध बढ़ने के साथ ही चोरी-छुपे और बेईमानी से या गुप्त रूप से गायों का भी वध हो सकता है। आज ऐसी तकनीक विकसित हो चुकी है जिससे कि शुक्राणु को पृथक करके उससे बछड़े का लिंग तय किया जा सकता हैं जिससे की हमें अधिकतर गाय ही मिल सकें और बैलों की संख्या भी कम ही रहे। इस तकनीक के द्वारा हम बैलो की संख्या जरुरत से ज्यादा बढ़ने से रोक सकते हैं और अनावश्यक बैलों की संख्या को घटाकर हम १% से भी कम कर सकते हैं । इस तरह बैल का भी वध बन्द हो जायेगा ।

इस तरह, गाय और बैल दोनो की हत्या होनी बन्द हो जायेगी ।

 

58.3 गौहत्या खत्म करने के लिये हम (नागरिक) क्या कर सकते हैं ?

कृपया प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को आदेश भेजें कि संसद में पेश हुए किसी भी बिल पर एस.एम.एस द्वारा भेजी गयी आपकी राय (हाँ/ना) को संसद की वेबसाईट पर प्रकाशित करें (छापे) । कृपया प्रस्तुत पुस्तक www.smstoneta.com/prajaadhinbharat का 13 वाँ अध्याय भी पढ़े । इसमें विभिन्न उपाय हैं कि किस तरह से सप्ताह में 6 घंटे काम करके टी.सी.पी (पारदर्शी शिकायत प्रणाली) को भारतीय राजपत्र में छपवाने में आप भी मदद कर सकते हैं ।

टी.सी.पी (पारदर्शी शिकायत प्रणाली) को कार्यान्वित करने के चरणों में आप पर्चे बाँटकर, अखबार में विज्ञापन देकर, चुनाव लड़कर और नागरिकों को विभिन्न पार्टियों के और भ्रष्ट संगठनो के भ्रष्ट नेताओं के इरादो के बारे में जानकारी दे सकते हैं जोकि इस टी.सी.पी(पारदर्शी शिकायत प्रणाली) की कार्यविधि का विरोध करते हैं।

एक बार टी.सी.पी (पारदर्शी शिकायत प्रणाली) के राजपत्र मे छप जाने के बाद कार्यकर्ताओं के लिये जन-सम्मति के कानून-प्रारूप ( ड्राफ्ट) जो की इस अध्याय में उल्लेखित हैं जैसे कि राईट टू रिकॉल पुलिस आयुक्त, राईट टू रिकॉल जिला स्वास्थ्य-अधिकारी, राईट टू रिकॉल जिला सरकारी वकील व्यवस्था में लाना बहुत आसान हो जायेगा । साथ ही रसायनिक खाद, ट्रेक्टर,  ईंधन,  जलापूर्ति आदि की खरीद पर मिलने वाली छूट भी खत्म कराई जा सकती हैं, गौ-दुग्ध उत्पाद के ऊपर छूट को बढ़ाया जा सकता है, गायों के अंतर्राज्यीय स्थानान्तरण को रोका जा सकता है और वह सभी प्रस्ताव पास कराये जा सकते हैं जो इस फाईल में ऊपर दिये गये हैं । भारतीय व्यवस्था में यह सारे परिवर्तन लाकर हम इस देश से गो-हत्या के कलंक  को खत्म कर सकते हैं ।

                                                         राईट टू रिकॉल समूह (अपंजिकृत)