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प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल समूह (अपंजीकृत) के प्रस्ताव,श्री राजीव दीक्षित जी द्वारा समर्थित

 

तीन लाइन का क़ानून गरीबी और भ्रष्टाचार कम कर सकता है कुछ ही महीनों में

पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) !!

जब सत्ता कुछ ही लोगों के पास होती है तो समाज में भ्रष्टाचार  होता है. इसीलिए सत्ता हर एक जन के पास होनी चाहिए.सत्ता जानने की, सत्ता बताने की और सत्ता निर्णय लेने की.

एक तीन लाइन के क़ानून पारित होने से ये संभव है कुछ ही महीनों में.

कृपया इस जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली (सिस्टम) का समर्थन करें और मांग करें |

 

 

 

 

ये क़ानून-ड्राफ्ट किसने लिखे ?

सभी बंधू जन,

यदि कोई आप से प्रश्न पूछे —-“ किसने प्रस्तावित सरकारी राजपत्र अधिसूचना क़ानून-ड्राफ्ट लिखा है जैसे `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली`, प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल(भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) प्रधान मंत्री , प्रजा अधीन लोकपाल, प्रजा अधीन सुप्रीम कोर्ट-मुख्य जज ,प्रजा अधीन रिसर्व बैंक गवर्नर , नागरिकों और सेना के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)(एम.आर.सी.एम),प्रजा अधीन न्यायतंत्र (जूरी सिस्टम) आदि, कृपया जोर से बोलें कि आप ने स्वयं लिखा है|

उदहारण के लिए, एक कलम और कागज़ लें और उसपर `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` का तीन लाइन का क़ानून-ड्राफ्ट लिखें एक पन्ने पर और फिर यदि आप कहते हैं कि आपने स्वयं `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली` लिखा  है , तो ये तथ्य और कानूनी रूप से सही है क्योंकि `जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव  प्रणाली ` क़ानून-ड्राफ्ट में केवल कॉपी-लेफ्ट है कॉपी-राईट नहीं |

और ये नैतिक रूप से भी सही है, क्योंकि सभी मालिक हैं गैर-कॉपी-राईट सामग्री का, जब तक वे चाहें मालिक होना | और यदि ओई पूछता है “ किसने ये क़ानून-ड्राफ्ट पहले लिखे हैं”, तो बताएं कि प्रजा अधीन राजा अथर्ववेद में दिया है, और इसीलिए श्री सूर्य ने पहली बार लिखा था कोई ८० लाख वर्ष पूर्व | और श्री सूर्य को भी कोई कॉपी-राईट नहीं चाहिए |

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अनुवादक- श्री नीरज श्रीवास्तव

प्रूफ-संशोधन – अनिल, हर्षित, अनुभव, मंज़ूर भाई, महेश कुमार ,सुमित वर्मा, अलोक वर्मा, महेंदर सिंह, सुरेंदर और अन्य |

 

हम कोई राजनैतिक पार्टी नहीं हैं `पार्टी` शब्द समूह के अर्थ में भी प्रयोग हो सकता है कुछ सन्दर्भ में | हम अपंजीकृत समूह हैं ,ये सरकारी अधिसूचना को पारित करने की मांग कर रहे हैं

(1)`जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकयात/प्रस्ताव प्रणाली`

(2)`नागरिक और सेना के लिए खनिक रोयल्टी (आमदनी)` (एम.आर.सी.एम)

(3) प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का नागरिकों का अधिकार) सभी मुख्य पदों पर

(4) प्रजा अधीन न्यायतंत्र (जूरी सिस्टम) न्यायालय/कोर्ट में

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हमारा मुख्य प्रस्ताव `जनता की आवाज़` पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली है |(पहला अध्याय देखें) इसी के द्वारा अन्य प्रस्ताव आयेंगे कुछ ही महीनों में |अन्य प्रस्ताव की बाराकियों या पूरे प्रस्ताव से पाठक असहमत भी हो सकते हैं| क्योंकि एक बार `जनता की आवाज़-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)`सरकारी अधिसूचना(आदेश) पारित होने पर जनता निर्णय करेगी कि इस पुस्तक में अन्य प्रस्ताव पारित होने चाहिए के नहीं या कोई इनसे भी अच्छे  प्रस्ताव जनता द्वारा पारित किये जाएँ |हम ये जनहित के क़ानून करोड़ों आम-नागरिकों के समर्थन द्वारा लाना चाहते हैं |

 

 

 

 

कॉपी-लेफ्ट

मैं इस पुस्तक की कॉपी-राईट(copyright) केवल इतना सुनिश्चित करने के लिए कर रहा हूँ कि कोई भी अन्य व्यक्ति इसकी सामग्री की कॉपी-राईट ना कर सके और इसके वितरण पर नियंत्रण न कर सके| ये कॉपी-राईट किसी को पर्चे,आदि कॉपी बनाने और वितरण करने में बाध्य नहीं है| कोई भी भी इस पुस्तक या इसके अंश की प्रतियां/कापियां बनाने के लिए स्वतंत्र है, और वितरण करने मुक्तरूप से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या किसी भी रूप में बिना हमारे नाम दिए| कोई भी इस पुस्तक या अंश को अनुवाद करने के लिए स्वतंत्र है किसी भी भाषा में | कोई अनुमति या भुगतान की आवश्यकता नहीं है या अपेक्षा भी है|

——     प्रजा अधीन राजा समूह (राईट टू रिकाल ग्रुप), लेखक

राजीव दीक्षित जी ने राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने की प्रणाली) का समर्थन किया है (समर्थित यू-ट्यूब विडियो) –

http://http://www.youtube.com/watch?v=pL-DoRQmcl0

http://www.youtube.com/watch?v=EywTrIr3-Mhttp://http://www.youtube.com/watch?v=pL-DoRQmcl0

प्रिय पाठकगण,

मैंने इस पुस्तक को पंक्तिरूप (linear fashion) में लिखने का प्रयास किया है | यदि पाठक ये चाहता है कि वो केवल `क` पन्ने पढे, तो वो केवल पहले `क` पन्ने पढना पर्याप्त होगा | सामान्य रूप से , अधिकतर महतवपूर्ण विषय पहले रखे गए हैं और पहले कुछ पन्नों को समझने के लिए बाद के पन्नों में क्या लिखा है , ये जानना आवश्यक नहीं है | यदि आप (पाठक) का कोई प्रश्न है किसी भी लाइन पर इस पुस्तक में, तो कृपया बिना संकोच के , जरुर www.forum.righttorecall.info  पर अपना प्रश्न डालें |

ये पुस्तक इतनी बड़ी क्यों है ?

दखिए , हमें कार्यकर्ताओं की जरूरत है, जो की इन जन-हित के क़ानून-ड्राफ्ट को जन-जन तक पहुंचा सकें, ताकि जन-जन इसकी मांग करे और ये क़ानून हमारे देश में लागू हो सकें | और ज्यादातर कार्यकर्ताओं के पसंदीदा/पसंद के मुद्दे/विषय होते हैं | उदाहरण, कुछ कार्यकर्त्ता , शिक्षा को जरुरी मुद्दा समझते हैं , कुछ भ्रष्टाचार को सबसे जरूरी मुद्दा समझते हैं, कुछ गो-हत्या, आदि| यदि उनका पसंद का मुद्दा गायब हो, तो ये पुस्तक उनके लिए बेकार होगी |

अब मैं सबसे अधिक कार्यकर्ताओं को ये दिखाना चाहता हूँ कि उनका उनका पसंद का मुद्दा/विषय को प्रस्तावित `प्रजा अधीन-राजा`, `पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम), आदि क़ानून-ड्राफ्ट से फायदा होगा और इनके द्वारा आसानी से लागू किये जा सकते हैं | और इसके लिए मुझे सभी पसंदीदा मुद्दे की बात करनी पड़ी | इसीलिए मैंने क़ानून-ड्राफ्ट या कानूनों का सारांश (छोटे में) लिखा भारत की 80 के करीब बड़ी समस्याएं को हल करने के लिए , कार्यकर्ताओं की आशाओं को पूरा करने के लिए |

इसीलिए ये पुस्तक इतनी लंबी हो गयी है |

और मैंने बड़े अक्षर इस्तेमाल किये हैं और अधिक अंतर रखा है वाक्यों के बीच , ताकि बुजर्ग लोग भी आसानी से ये पढ़ सकें |

लेकिन आपको सारे पन्ने पढ़ने की जरूरत नहीं है| केवल पहला अध्याय पढ़ें और फिर अपने पसंद के विषय/मुद्दा जैसा सेना और देश की सुरक्षा , शिक्षा, स्वदेशी, कोर्ट , पोलिस आदि में भ्रष्टाचार कैसे कम करना, या गौ-रक्षा आदि, पर जा सकते हैं , विषय सूची पर एक नजर देखकर |  

इस किताब/पुस्‍तक के लगबग प्रत्‍येक पाठ में यह बताने के लिए समीक्षा प्रश्‍न हैं कि उनका उत्‍तर देकर पाठक अपने आप को संतुष्‍ट कर सकता है कि उसने इस पाठ को पढ़ लिया है और प्रत्‍येक पाठ में पाठक के लिए कुछ अभ्‍यास-प्रश्‍न हैं ताकि वह भारतीय प्रशासन से परिचित हो सके।

भारत में , हमें आदत है अच्छे लोगों का इंतज़ार करने की ,कि वे सत्ता में आयें और भारत को सुधारने और गरीबी और भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे | इस के बदले हम नागरिकों को सत्ता अपने हाथ में लेने चाहिए मंत्रियों और न्यायाधीशों/जजों से|हम प्रजा अधीन राजा(भ्रष्ट को बदलने का नागरिकों का अधिकार) और जूरी सिस्टम (भ्रष्ट को सज़ा देने का नागरिकों का अधिकार) की मांग कर सकते हैं और सत्ता अपने हाथों में ले सकते हैं | ये केवल मूर्खता है अच्छे नेता और जज के लिए सत्ता में आने का इन्तेज़ार करना | कहानी की सीख ये है की भारतीय नागरिक इतने सौभाग्यशाली नहीं हैं कि उन्हें पिछले 65 वर्षों में कोई अच्छा नेता मिला हो |

यह किताब हर ३-४ महीनो में अपडेट होती रहती है और इसकी कॉपी इन्टरनेट

पर मुफ्त है आप इसको नीचे दी गई लिंक पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं | तो कृपया आपसे विनती है कि इसे हर ३-४ महीने के बाद अपडेट करते रहें-

http://righttorecall.info/301.h.pdf& http://righttorecall.info/301.h.doc

श्रेणी: प्रजा अधीन