सूची
- (9.1) भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर की भूमिका
- (9.2) प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर
- (9.3) प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (आर बी आई) के लिए सरकारी अधिसूचना(आदेश) का प्रारूप / क़ानून-ड्राफ्ट
- (9.4) इस प्रकार तीन लाइनों के इस कानून और भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (आर बी आई को बदलने/हटाने की प्रक्रिया से महंगाई पर लगाम लगेगी
सूची
- (9.1) भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर की भूमिका
- (9.2) प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर
- (9.3) प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (आर बी आई) के लिए सरकारी अधिसूचना(आदेश) का प्रारूप / क़ानून-ड्राफ्ट
- (9.4) इस प्रकार तीन लाइनों के इस कानून और भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (आर बी आई को बदलने/हटाने की प्रक्रिया से महंगाई पर लगाम लगेगी
मूल्य नियंत्रण के लिए प्रजा अधीन राजा / राइट टू रिकॉल समूह का प्रस्ताव : प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर |
(9.1) भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर की भूमिका |
भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर धन के वितरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अक्सर गरीबों का धन उनसे लेकर इसे नए रूपए (एम 3) का निर्माण(बनाकर) करके अमीरों को दे देते हैं और यह सुनिश्चित/पक्का करते हैं कि नए निर्मित रूपए अमीरों को ही जाए। इस बात का विवरण बाद के धन आपूर्ति से संबंधित अध्यायों में की गई है। इस अध्याय में मैं केवल समाधान की चर्चा करूंगा – वह प्रक्रिया / तरीका जिसमें हम नागरिक गण भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर को बदल सकते हैं।
(9.2) प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर |
हम `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी` (एम आर सी एम) समूह के लोग भारत की रूपया प्रणाली को तय करने के लिए जिन महत्वपूर्ण सरकारी आदेश का प्रस्ताव-मांग तथा वायदा करते हैं उसका विवरण इस प्रकार है-
1. भारत का कोई भी नागरिक सांसद के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्क जिला कलेक्टर के पास जमा कराकर खुद/स्वयं को भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर के उम्मीदवार के रूप में पंजीकृत/रजिस्टर करवा सकता है।
2. भारत का कोई भी नागरिक तलाटी के कार्यालय में जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर के पद के लिए अनुमोदित कर सकता है। तलाटी उसे उसके वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा।
3. कोई नागरिक अपना अनुमोदन/स्वीकृति किसी भी दिन रद्द/कैंसिल भी करवा सकता है।
4. तलाटी नागरिकों की प्राथमिकता को प्रधानमन्त्री की वेबसाइट पर उनके/नागरिकों के वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र संख्या और उसकी प्राथमिकता/पसंद के साथ डाल देगा।
5. यदि किसी उम्मीदवार को सभी दर्ज/रजिस्टर्ड मतदाताओं के 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं (केवल वे मतदाता ही नहीं जिन्होंने अपना अनुमोदन/स्वीकृति फाइल किया है बल्कि सभी दर्ज मतदाता) का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाता है तो प्रधानमंत्री मौजूदा/वर्तमान भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर को हटा देंगे और उस सर्वाधिक अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त उस उम्मीदवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर के रूप में नियुक्त कर देंगे।
(9.3) प्रजा अधीन – भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (आर बी आई) के लिए सरकारी अधिसूचना(आदेश) का प्रारूप / क़ानून-ड्राफ्ट |
नागरिकों को `जनता की आवाज़` (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) ) के प्रभावी हो जाने के बाद ही इस परिवर्तन को लाना चाहिए/ करना चाहिए। और `जनता की आवाज़` (पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) का प्रयोग करते हुए इस परिवर्तन का सृजन करना चाहिए । उस प्रक्रिया जिसका उपयोग करके हम आम लोग भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर को बदल/हटा सकते हैं, उसके लिए जरूरी कानून का ड्राफ्ट निम्नलिखित है-
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निम्नलिखित के लिए प्रक्रिया |
प्रक्रिया/अनुदेश |
1 |
– | नागरिक शब्द का मतलब/अर्थ रजिस्टर्ड वोटर/मतदाता है। |
2 | जिला कलेक्टर | यदि भारत का कोई भी नागरिक भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) का गवर्नर बनना चाहता हो तो वह जिला कलेक्टर के समक्ष/ कार्यालय स्वयं अथवा किसी वकील के जरिए एफिडेविट लेकर जा सकता है। जिला कलेक्टर सांसद के चुनाव के लिए जमा की जाने वाली वाली धनराशि के बराबर शुल्क लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर पद के लिए उसकी दावेदारी स्वीकार कर लेगा। |
3 | तलाटी (अथवा तलाटी का क्लर्क) | यदि उस जिले का नागरिक तलाटी/ पटवारी के कार्यालय में स्वयं जाकर 3 रूपए का भुगतान करके अधिक से अधिक 5 व्यक्तियों को भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर के पद के लिए अनुमोदित करता है तो तलाटी उसके अनुमोदन/स्वीकृति को कम्प्युटर में डाल देगा और उसे उसके वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र, दिनांक और समय, और जिन व्यक्तियों के नाम उसने अनुमोदित किए है, उनके नाम, के साथ रसीद देगा। |
4 | तलाटी | वह तलाटी नागरिकों की पसंद/प्राथमिकता को प्रधानमन्त्री के वेबसाइट पर उनके वोटर आईडी/मतदाता पहचान-पत्र और उसकी प्राथमिकताओं के साथ डाल देगा। |
5 | तलाटी | यदि कोई नागरिक अपने अनुमोदन/स्वीकृति रद्द करने के लिए आता है तो तलाटी उसके एक या अधिक अनुमोदनों को बिना कोई शुल्क लिए बदल देगा।. |
6 | मंत्रिमंडल सचिव | प्रत्येक महीने की पांचवी/5 तारीख को मंत्रिमंडल सचिव प्रत्येक उम्मीदवार की अनुमोदन/स्वीकृति-गिनती पिछले महीने की अंतिम तिथि की स्थिति के अनुसार प्रकाशित करेगा। |
7 | प्रधानमंत्री | यदि किसी उम्मीदवार को किसी जिले में सभी दर्ज/रजिस्टर्ड मतदाताओं के 51 प्रतिशत से ज्यादा नागरिक-मतदाताओं (केवल वे मतदाता ही नहीं जिन्होंने अपना अनुमोदन/स्वीकृति फाइल किया है बल्कि सभी दर्ज मतदाता) का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाता है तो प्रधानमंत्री मौजूदा/वर्तमान भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर को हटा सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है और उस सर्वाधिक अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त उस उम्मीदवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर के रूप में नियुक्त कर कर सकते हैं या उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री का निर्णय अंतिम होगा। |
8 | जिला कलेक्टर | यदि कोई नागरिक इस कानून में कोई बदलाव चाहता है तो वह जिलाधिकारी/डी सी के कार्यालय में जाकर एक एफिडेविट जमा करा सकता है और डी सी या उसका क्लर्क उस एफिडेविट को 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पेज का शुल्क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा। |
9 |
तलाटी (या पटवारी) |
यदि कोई नागरिक इस कानून या इसकी किसी धारा के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह उपर के कॉलम में प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर हां – नहीं दर्ज कराना चाहे तो वह अपने वोटर आई कार्ड के साथ तलाटी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्क देगा। तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद/पावती देगा। यह हां – नहीं प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाला जाएगा। |
सैक्शन-सी.वी. (जनता की आवाज़) |
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10 |
जिला कलेक्टर |
यदि कोई नागरिक इस कानून में कोई बदलाव चाहता है तो वह जिलाधिकारी/डी सी के कार्यालय में जाकर एक एफिडेविट जमा करा सकता है और डी सी या उसका क्लर्क उस एफिडेविट को 20 रूपए प्रति पृष्ठ/पेज का शुल्क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाल देगा। |
11 |
तलाटी (अथवा पटवारी) |
यदि कोई नागरिक इस कानून या इसकी किसी धारा के विरूद्ध अपना विरोध दर्ज कराना चाहे अथवा वह उपर के कलम /खण्ड में प्रस्तुत किसी एफिडेविट पर हां-नहीं दर्ज कराना चाहे तो वह अपने वोटर आई कार्ड के साथ तलाटी के कार्यालय में आकर 3 रूपए का शुल्क देगा। तलाटी हां-नहीं दर्ज कर लेगा और उसे एक रसीद/पावती देगा। यह हां–नहीं प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर डाला जाएगा। |
(9.4) इस प्रकार तीन लाइनों के इस कानून और भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर (आर बी आई को बदलने/हटाने की प्रक्रिया से महंगाई पर लगाम लगेगी |
मूल्य वृद्धि के पीछे एकमात्र कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) , भारतीय स्टेट बैंक (एस बी आई) आदि द्वारा रूपए (एम 3) का अंधाधुंध बनाना है । इस अंधाधुंध बढ़ोत्तरी को बहुसंख्य नागरिकों के विरोध के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) के गवर्नर द्वारा स्वीकृति दी जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर मनमाने ढ़ंग से काम करते हैं। क्योंकि नागरिकों के पास उसे हटाने का कोई तरीका/प्रक्रिया नहीं है । लेकिन यदि एक बार नागरिकों के पास भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को बदलने की प्रक्रिया/तरीका आ जाती है तो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर अच्छा व्यवहार करने लगेंगे और रूपए के अंधाधुंध निर्माण की अनुमति नहीं देंगे। यह कानून एक अन्य अध्याय भारतीय रिजर्व बैंक (आर बी आई) में सुधार में प्रस्तावित कानूनों के साथ मिलकर विकास/वृद्धि में कमी किए बिना मूल्यों पर नियंत्रण कर देगा।
इसलिए, जिस दिन नागरिकगण प्रधानमंत्री को जनता की आवाज(पारदर्शी शिकायत / प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम)) पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य करने में सफल हो जाते हैं, उस दिन कोई न कोई भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर पर प्रजा अधीन राजा/राइट टू रिकॉल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) के ड्राफ्ट को एफिडेविट के रूप में जमा करवा देगा। करोड़ों नागरिक जो रूपए के निर्माण/बनाने के कारण अत्यधिक गरीब हुए हैं, वे इस एफिडेविट पर तब हां दर्ज कर देंगे जब उन्हें यह बताया जाएगा कि कैसे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर कीमत बढ़ाने के लिए जिम्मेवार हैं और एक बार यदि करोड़ों नागरिक इस एफिडेविटों पर हां दर्ज कर देते हैं तो प्रधानमंत्री को बाध्य होकर इन कानूनों पर हस्ताक्षर करना ही होगा। और यदि एक बार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को बदलने की प्रक्रिया लागू हो जाती है तो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रूपए के निर्माण को कम करने, रूपए उधार देने में बेइमानी कम करने को बाध्य हो जाएंगे और इससे कीमतों के बढ़ने पर रोक लगेगी और असली विकास में तेजी भी आएगी। इस प्रकार तीन लाइनों के `जनता की आवाज` कानून का उपयोग करके हम अपने एक भी सांसद का चुनाव हुए बिना मूल्य बृद्धि को कम कर सकते हैं और विकास की गति को बढ़ा सकते हैं।
यदि राईट टू रिकाल/प्रजा अधीन राजा-समर्थक संसद में बहुमत मिलने तक इंतजार करने और तब `नागरिकों और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी` (एम आर सी एम) लागू करने पर अड़ जाता है तो ऐसी संभावना है कि राईट टू रिकाल/प्रजा अधीन राजा-समर्थक को हमेशा के लिए इंतजार ही करते रहना पड़ेगा क्योंकि पहले तो उन्हें संसद में बहुमत ही नहीं मिलेगा। और इससे भी बुरा होगा कि यदि उन्हें बहुमत मिल जाता है तो (इस बात की संभावना है कि) उनके “अपने ही” सांसद बिक जाएंगे और जन हित के क़ानून-ड्राफ्ट पारित करने से मना कर देंगे। उदाहरण के लिए वर्ष 1977 में जनता पार्टी के सांसदों ने चुनाव से पहले वायदा किया था कि वे प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून लागू करेंगे और चुन लिए जाने के बाद, बाद में उन्होंने प्रजा अधीन राजा (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) कानून पास करने से मना कर दिया। इसलिए मेरे विचार से, राईट टू रिकाल/प्रजा अधीन राजा कार्यकर्ताओं को `जनता की आवाज-पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) क़ानून-ड्राफ्ट पर जन-आन्दोलन पैदा करने पर ध्यान लगाना चाहिए और `जनता की आवाज` क़ानून-ड्राफ्ट पारित करवाना चाहिए न कि चुनाव में जीतने तक इंतजार करना चाहिए |