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अध्याय 53 – सूची (लिस्ट) – 3 : `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` और बुद्धिजीवियों के प्रस्‍तावों के बीच अन्‍तर

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बुद्धिजीवियों के प्रस्‍ताव

मेरा प्रस्‍ताव

मानवीय / मनुष्यता वाले समाधान मेरे कुछ (सभी नहीं) प्रतियोगी/विरोधी मानवीय/मनुष्यता वाले समाधान पर ध्‍यान/जोर देते हैं, और इसमें से कुछ लोगों को व्‍यवस्‍था (में बदलाव करके निकाले जाने वाले) समाधानों में जरा भी विश्‍वास नहीं है। वे दान/चन्‍दा और मानवीय/मनुष्यता के  मूल्‍यों में सुधार आदि पर जोर देते हैं।

मैं निम्‍नलिखित दो कारणों से मानव/मनुष्य के मूल्‍यों द्वारा समाधान को रद्द/खारिज करता हूँ :-

(क) यदि पश्‍चिमी देशों में लोग भ्रष्‍ट नहीं हैं तो पश्‍चिमी देशों में भी कुछ विभाग/क्षेत्र अनियमितताओं/भ्रष्‍टाचार का बोलबाला क्‍यों है?

(ख) यदि भारत के लोग भ्रष्‍ट हैं तो अनेक विभागों/क्षेत्रों (रेलवे में टिकट छपाई, चेक क्‍लीयरिंग जैसे) में क्‍यों भ्रष्‍टाचार बिलकुल भी नहीं है?

अधिकारीयों , प्रबंधकों , जजों के विवेक / समझ और अधिकार द्वारा समाधानों पर जोर वे लोग जो व्‍यवस्‍था द्वारा (किए जाने वाले) समाधान में विश्‍वास करते हैं वे ऐसे समाधानों में विश्‍वास करते हैं जिसमें अधिकारियों/ जजों/ प्रबंधकों(नियामकों) को विवेकाधिकार दे दिए जाते हैं।

सांठ-गाँठ रहित समाधानों पर जोर मेरे प्रस्‍तावों में  सांठ-गाँठ रहित अनेक समाधान शामिल हैं जिनमें नागरिक या जूरी देखभाल करने वाले / र्निरीक्षक के रूप में होंगे।

गरीबी की समस्‍याअधिकांश बुद्धिजीवी अब गरीबी को मुख्‍य/प्रमुख समस्‍या के रूप में नहीं मानते। उनके जोर शिक्षा, कुछ अन्‍य कारकों का विकास और एक सुनहरी आशा कि शिक्षा, विकास आदि से गरीबी अपने आप कम हो जाएगी।

मेरे अनुसार, “गरीबी कम करना” मुख्‍य समस्‍या है और मैं मानता हूँ कि गरीबी कम/दूर करने से शिक्षा, विकास/वृद्धि अपने आप आ जाएगी । मेरे विचार में, गरीबी कम करने का एकमात्र रास्‍ता प्राकृतिक संसाधनों / साधनों पर सबका बराबर हक लागू करके निकलेगा।

भ्रष्‍टाचार कम करने से संबंधित प्रस्‍ताव अधिकांश बुद्धिजीवी अधिकारीयों/प्रबंधकों/जजों के विवेक/समझ और अधिकार के साधनों पर विश्‍वास करते हैं जिसमें सबसे ऊंचे पदों के  भ्रष्‍टाचार पर लगाम लगाने के लिए उच्‍च अधिकार प्राप्‍त अधिकारी-गण जैसे निगरानी आयोग और लोकपाल, न्‍यायिक कमीशन(आयोगों) आदि के लिए रखा जाता है।

 भ्रष्‍टाचार को कम करने के रास्ते और साधन के रूप में मेरा सिर्फ जूरी, पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम),भ्रष्ट को बदलने/सज़ा देने का अधिकार और प्रतियोगी(मुकाबले वाली) परीक्षाओं पर ही भरोसा है किसी भी और पर नहीं।

पुलिस में भ्रष्‍टाचार / अत्याचार की समस्‍यातत्‍काल समाधान ; विशेष कुछ नहीं

मेरे प्रस्‍ताव के तीन भाग हैं :- वेतन बढ़ाने के लिए सम्‍पत्‍ति-कर ; सभी नियमित/रूटिन स्‍थानान्‍तरण केवल क्रमरहित मिलान के माध्‍यम से ही ; पुलिसकर्मियों को अनियमित स्‍थानान्‍तरित करने/नौकरी से हटाने की शक्‍ति जूरी सदस्‍यों को दी जाए।

कानून बनाने (की प्रक्रिया) में सुधारकानून बनाने में सुधार करने के लिए, मेरे प्रतियोगी/विरोधी लोक-सभा और राज्य-सभा में अपराधियों को प्रतिबंधित करने के कानूनों पर सहमति जताते हैं। और कानूनों के स्‍तर में सुधार करने का कोई और विशेष समाधान नहीं है।

मेरे विचार से, कानून बनाने का सबसे अच्‍छा और शायद एकमात्र तरीका है – नागरिकों को नगर-निगम परिषदों, पंचायतों, विधानसभाओं और संसद में सीधे मतदान करने का अधिकार प्रदान करना/देना। इसके लिए आने वाली लागत की भरपाई 2 से 5 रूपए का शुल्‍क लेकर की जाए।

न्‍यायालयों / कोर्ट में सुधार मेरे विरोधियों/प्रतियोगियों का जज-वकील सांठ-गाँठ/मिली-भगत की समस्‍याओं का समाधान निकालने का कोई इरादा ही नहीं है।

मेरा प्रस्‍ताव सभी जजों को हटा करके उनके स्‍थान पर क्रम-रहित तरीके से चुने गए, हर मामले के लिए अलग-अलग माननीय जूरी सदस्‍यों की जूरी-मंडल लाना है।

प्राकृतिक साधन / संसाधनों का आवंटन / बंटवारा मेरे विरोधी/प्रतियोगी कृषि भूमि को छोड़कर, यह पक्‍का/सुनिश्‍चित करने में बहुत कम रूची दिखलाते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्‍त आय को नागरिकों के बीच बांटा जाना चाहिए। विरोधियों/प्रतियोगियों में से बहुत कम ही लोग “प्राकृतिक साधन/संसाधन” को एक महत्‍वपूर्ण मुद्दा मानते हैं।

मेरे प्रस्‍तावों में, नागरिकों सांठ-गाँठ रहित  अच्छी तरह से लिखी हुई प्रक्रियाएं/तरीके हैं जिसके माध्‍यम से वे प्राकृतिक साधनों/संसाधनों के उनके अपने हिस्‍सों पर पहले उपयोग करने वाले को सीधे ही/खुद ही चुन/बदल सकते हैं। इसके अलावा, मेरे प्रस्‍तावों में, नागरिकों के पास साधनों/संसाधनों की निगरानी करने वाले अधिकारियों को हटाने की सांठ-गाँठ/मिली-भगत  रहित प्रक्रियाएं/तरीके हैं।

बरबादी / बेकार के सरकारी खर्चों को कम करना मेरे विरोधी/प्रतियोगी उच्‍च अधिकार प्राप्‍त कमीशन(आयोग)/प्रभंधक(नियामक) वाले समाधान में विश्‍वास करते हैं।

मेरे प्रस्‍तावों में, जूरी के पास किसी अधिकारी द्वारा प्रस्‍तुत किए गए खर्च के विनती/अनुरोध को रद्द करने का अधिकार होगा और इस तरह बेकार/फालतू के खर्चे रूकेंगे।

घाटा कम करना किसी क्लीयर/स्‍पष्‍ट दिशा-निर्देशों के बिना ही कर्मचारियों/अधिकारियों की संख्‍या कम करना।

वेतन/किराया और टैक्‍स/कर वसूली(संग्रहण) को आपस में सीधे जोड़कर एक करना। ताकि घाटा बिलकुल ही न हो।

शिक्षा मेरे अनेक विरोधी/प्रतियोगी शिक्षा के संबंध में बहुत ही आशावादी हैं। एक ओर तो वे शिक्षा के महत्‍व पर जोर देते ही चले जाते हैं तो दूसरी ओर उनमें से कुछ ही लोग शिक्षा में सुधार लाने के लिए किसी प्रकार की सही-सही प्रशासनिक प्रक्रियाओं/तरीकों का सुझाव देते हैं। साथ ही, कुछ ही विशेषज्ञ/एक्सपर्ट ,कानून और हथियारों की शिक्षा देने पर जोर देते हैं।

मेरे प्रस्‍तावों में विस्‍तृत प्रशासनिक प्रक्रियाऐं/तरीके शामिल हैं जो नागरिकों को यह अधिकार/अनुमति देती हैं कि वे जिला शिक्षा अधिकारी और स्‍कूल के प्राचार्य को बदल सकें। इसके अलावा, मेरे प्रस्‍तावों में शिक्षकों/छात्रों के लिए एक पूरी(विस्‍तृत) जांच/पुरस्‍कार प्रणाली शामिल है जो उच्‍च स्‍तर की प्रेरणा देती है और धन/पैसे की कम बरबादी कराती है।

कबेल / टेलीफोन को नियंत्रित करना मेरे विरोधी/प्रतियोगी सबकुछ प्रभंधाकों/नियामकों और प्राइवेट/निजी कम्‍पनियों पर ही छोड़ देने में विश्‍वास रखते हैं और नागरिकों को कोई अधिकार देना ही नहीं चाहते।

मेरे प्रस्तावों अनुसार , नागरिकों को कबेल कम्पनियाँ और फोन कंपनियों को बदलने की प्रक्रियाएँ/तरीके मिलते हैं |

बिजली सप्लाई को नियंत्रित करना मेरे विरोधी/प्रतियोगी सबकुछ प्रभंधाकों/नियामकों और प्राइवेट/निजी कम्‍पनियों पर ही छोड़ देने में विश्‍वास रखते हैं और नागरिकों को कोई अधिकार देना ही नहीं चाहते।

मेरे प्रस्‍तावों के अनुसार, नागरिकगण को विद्युत/बिजली बांटने वाली(वितरण) कम्‍पनी को बदलने, नगर के मालिकी वाली बांटने वाली (वितरण) कम्‍पनी को बदलने और नगर के मालिकी वाली, बिजली बनने वाली(निर्माण) कम्‍पनी के अध्‍यक्ष हो बदलने की प्रक्रिया मिलती है।

करेंसी / नोट प्रणाली(सिस्टम) को नियंत्रित करना मेरे विरोधी/प्रतियोगी संपूर्ण/पूरी वैध निविदा टेंडर प्रणाली(सिस्टम) को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, डाइरेक्टर/निदेशकों और विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहते हैं क्‍योंकि ये यह मानकर चलते हैं कि ये लोग/व्‍यक्‍ति ईमानदार हैं और आम नागरिकों की भलाई पर ध्‍यान देते हैं। मेरे विरोधियों/प्रतियोगियों के अनुसार, निदेशकों, गवर्नरों और विशेषज्ञों को उनकी अपनी इच्‍छा से रुपये की सप्लाई(धन आपूर्ति) को बदलने का अधिकार दिया जाना चाहिए।

श्रेणी: प्रजा अधीन