होम > प्रजा अधीन > अध्याय 49 – `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के क़ानून-ड्राफ्ट को कौन-कौन समर्थन दे सकता है ? और कौन `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के क़ानून-ड्राफ्ट का विरोध अवश्‍य करेगा?

अध्याय 49 – `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के क़ानून-ड्राफ्ट को कौन-कौन समर्थन दे सकता है ? और कौन `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के क़ानून-ड्राफ्ट का विरोध अवश्‍य करेगा?

dummy
पी.डी.एफ. डाउनलोड करेंGet a PDF version of this webpageपी.डी.एफ. डाउनलोड करें

`राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के क़ानून-ड्राफ्ट को कौन-कौन समर्थन दे सकता है ? और कौन `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के क़ानून-ड्राफ्ट का विरोध अवश्‍य करेगा?

1.         यदि आप हम आम लोगों को “अच्छे बर्ताव/नैतिकता” का पाठ पढ़ाना चाहते हैं अथवा यदि आप आम लोगों के व्‍यवहार/दृष्‍टिकोण को बदलना चाहते हैं तो `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` आपके लिए नहीं है। `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` ड्राफ्ट/प्रारूप इस तथ्‍य/सुक्‍ति का अनुसरण करता है कि हम आम लोग मंत्रियों आई.ए.एस.(भारतीय प्रशाशनिक सेवक/बाबू), जजों, विशिष्ट/उच्च लोगों और बुद्धिजीवियों से ज्‍यादा अच्छा व्यवहार वाले(नैतिकतावादी) नहीं हैं और न ही इनसे कम अच्छे व्यवहार वाले(नैतिकतावादी) हैं।

2.    यदि आप हम आम लोगों को “जगाने/सचेत करने” के इच्‍छुक हैं तब `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के कानून प्रारूप/ड्राफ्ट आपके लिए नहीं हैं। `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` ड्राफ्ट मौन/सांकेतिक रूप से यह मान कर चलता है कि हम आम लोग उतने ही जागरूक/सचेत हैं जितने जागरूक ये मंत्री आई.ए.एस., जज, विशिष्ट/उच्च लोग और बुद्धिजीवी हैं।

3.    यदि आप आम लोगों की गरीबी दूर/कम करना चाहते हैं और जिस अत्‍याचार का ये आम लोग सामना करते हैं, उसे दूर करना चाहते हैं तो `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के कानून प्रारूप/ड्राफ्ट आपके लिए हैं।

4.    सबसे ऊपर/शीर्ष पर बैठे 2 करोड़ लोगों में से अनेक लोगों का मानना है कि भारत के आम लोगों के पास अच्छा व्यवहार/नैतिकता नहीं है, इनका कोई अच्छा, राष्ट्रिय चरित्र/चाल-चलन नहीं है, ये नासमझ/अविवेकी होते हैं, ये भावुक होते हैं (पढ़ें : अनिश्चित स्वाभाव वाले) और आम लोगों बुरे व्‍यवहार वाले होते हैं, आदि। और उनका यह भी मानना है कि विशिष्ट/उच्च लोग और बुद्धिजीवी लोग, जो ईमानदार और `दूध के धुले` हैं, उन्‍हें पूरी तरह से अधिकार/शासन दिया जाना चाहिए। वे हम आम लोगों का अपमान करना पसंद करते हैं और यह कहने में गर्व महसूस करते हैं कि भारत के आम लोग कायर, डरपोक, आलसी आदि हैं। यदि आप इन सभी आम आदमी-विरोधी और विशिष्ट/उच्च हितैषी की फालतू/बेकार की बातों पर विश्‍वास रखते हैं तो `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के कानून प्रारूप/ड्राफ्ट आपके लिए नहीं हैं।

5     मैंने यह भी देखा/पाया है कि तथाकथित “जनता हितैषी” लोग शायद ही मेरे `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के कानून-ड्राफ्टों को पसंद करते हैं। ये तथाकथित “जनता हितैषी” जो अपने को सामाजिक कहते हैं और मिलना जुलना पसंद करते हैं और वे लोग जो “मानव स्‍वभाव” और संस्कार/संस्कृति को जानने/समझने का दावा करते हैं वे `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के ड्राफ्टों को कभी पसंद नहीं करते। सबसे खराब बात यह है कि वे इस बात/विचार से ही नफरत करते हैं कि पार्टी/दल के कानून प्रारूप/ड्राफ्ट होने चाहिएं – वे जोर देते हैं कि पार्टी की राजनीतिक कथन/विचार बिलकुल अनिश्चित/अस्‍पष्‍ट होने चाहिए, यानि समझ में आने लायक नहीं होने चाहिए। तकनीकी और हिसाब-किताब के काम-काज करने वाले लोग `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रारूपों/ड्राफ्टों को कहीं ज्‍यादा पसंद करने वाले होते हैं।

6.    सेना विरोधी लोगों की तुलना में, सेना समर्थक लोग द्वारा `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रारूपों/ड्राफ्टों को पसंद करने की संभावना ज्‍यादा होती है।

7.    भ्रष्‍टाचार के “छिपे सकारात्‍मक/अच्छा पक्ष ” को देखने वाले लोग, जैसे कि `भ्रष्टाचार से काम हो जाता है`, वे `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के कानूनों के प्रारूप/ड्राफ्टों को पसंद नहीं करना चाहेंगे।

8.    कई लोगों का मानना है कि भ्रष्‍टाचार भारत के लोगों के स्‍वभाव में ही है, इसलिए जजों, आई.ए.एस., आई.पी.एस., मंत्रियों आदि के अधिकार कम करने के कोई प्रयास नहीं किए जाने चाहिए बल्‍कि केवल लोगों को ही सुधारना चाहिए। ऐसे लोग भी `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के कानून के प्रारूप/ड्राफ्टों से नफरत करेंगे।

9.    सबसे बड़ी बात कि ऐसे लोग भी होते हैं, जो मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भाई-भतीजावाद कभी नहीं चलता। ऐसे लोग भी ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) – प्रजा अधीन जैसे कार्य-सूची/ऐजेंडे से नफरत करेंगे क्‍योंकि ये कार्य-सूची/ऐजेंडे यह मानकर चलते हैं कि भाई भतीजावाद व्‍याप्‍त है, यानि भाई भतीजावाद का बोलबाला है।

10.   और यदि आपका लक्ष्‍य चुनाव जीतना है या किसी सांसद या विधायक का नजदीकी/मित्र बनना है तो आपको कभी भी ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) – रिकॉल पार्टी/दल में शामिल नहीं होना चाहिए। इस पार्टी/समूह का आधारभूत और सबसे महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य है – मुख्‍य मंत्रियों और प्रधानमंत्री को पहला प्रस्‍तावित सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) पर हस्‍ताक्षर करने के लिए मजबूर/बाध्‍य करना। चुनाव लड़ना केवल इन प्रस्‍तावित सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) का प्रचार-प्रसार करना मात्र है।

सामान्‍यतया, जनसंख्‍या के शीर्ष/सबसे उपर बैठे एक करोड़ में से 98,00,000 लोग जानबूझकर ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) समूह/पार्टी और इसके ऐजेंडे/कार्यसूची से घृणा करेंगे। भारत के शीर्ष 1 प्रतिशत लोगों में से केवल 2 प्रतिशत लोग ही ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) के कार्य-सूची/ऐजेंडे को पसंद करेंगे। जैसे-जैसे आम लोगों की आय/सम्‍पत्‍ति घटती जाएगी वैसे-वैसे (इस ऐजेंडे को) चाहने वाले लोगों का प्रतिशत बढ़ता जाएगा।

एक संक्षिप्‍त प्रश्‍नोत्‍तरी (प्रश्न और उत्तर)  

मैं आपसे निम्‍नलिखित प्रश्‍न पूछूंगा। कृपया जैसे उत्‍तर/बात आप जनता के सामने खड़े होकर खुलासा करेंगे/बताएंगे, वैसे ही “पूरी तरह से, पक्के से सहमत” अथवा  “पूरी तरह से, पक्के से सहमत नहीं” में से एक उत्‍तर दें। दूसरे शब्दों में, कल्‍पना कीजिए, कि निम्‍नलिखित प्रश्‍नों पर आपके दिए गए उत्‍तर की जानकारी आपके हरेक दोस्‍त, ग्राहक, साथी/सहकर्मी, रिश्‍तेदार आदि को हो जानी है। तब आपका उत्‍तर क्‍या होगा : “पूरी तरह से ,पक्के से सहमत” अथवा  “ पूरी तरह से, पक्के से सहमत नहीं”?

1.    प्रधानमंत्री को भेजी गई जनता की शिकायतें एवं सुझाव कुछ शुल्‍क लेकर प्रधानमंत्री की वेबसाईट पर आनी चाहिए

2.         जनता द्वारा प्रस्‍तावित सुझावों पर नागरिकों से कुछ शुल्‍क लेकर उन्‍हें हां/नहीं दर्ज करने की इजाजत/मंजूरी दी जानी चाहिए

3.    जनता को सांसदों और विधायकों द्वारा पारित/पास किए गए कानूनों पर कुछ शुल्‍क देकर हां/नहीं दर्ज करने की इजाजत/मंजूरी देना चाहिए

4     आई.आई.एम.ए., जे.एन.यू. आदि सार्वजनिक,आम जनता के, प्‍लॉटों से जनता को जमीन का किराया मिलना चाहिए

5.    नागरिकों को हवाई अड्डे/एयरपोर्ट से जमीन का किराया मिलना चाहिए

6     नागरिकों को खदानों से जमीन का किराया मिलना चाहिए

7.    जनता के पास प्रधानमंत्री को बदलने की प्रक्रिया/तरीका अवश्‍य होनी चाहिए

8.    90 प्रतिशत से अधिक जज अपने रिश्‍तेदार वकीलों का पक्ष/तरफदारी करते हैं

9.    हर नागरिक को कानून का ज्ञान दिया जाना चाहिए

10.       जजों का चयन लिखित परीक्षा के आधार पर अथवा चुनावों द्वारा किया जाना चाहिए, इसके लिए साक्षात्‍कार नहीं लिया जाना चाहिए

11.   नागरिकों के पास सुप्रीम-कोर्ट के जजों को बदलने की प्रक्रिया/तरीका अवश्‍य होनी चाहिए

12.   संपत्‍ति-कर और विरासत-कर का प्रयोग करके हमें अपनी सेना को दिए जा रहे पैसा/धन को अवश्‍य बढ़ाना चाहिए

13.   मैं वैट और उत्पादन-शुल्‍क(एक्स्साईज़) के स्‍थान पर विरासत-कर का समर्थन करता हूँ।

14.   मैं सेना, पुलिस और कोर्ट को पैसा/धन दिलवाने/देने के लिए तम्‍बाकू पर कर/टैक्‍स लगाने का विरोध करता हूँ।

15.   आज की स्‍थिति में सेना का वेतन बहुत ही कम है और इसे कम से कम दोगुना किया जाना चाहिए

16.   भारत को परमाणु जांच/परीक्षण और तैयार परमाणु हथियार के मामले में चीन के साथ बराबरी करनी होगी।

17.   जनता के पास भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुखों को बदलने की प्रक्रिया/तरीका अवश्‍य होनी चाहिए

18.   हर नागरिक को हथियार चलाना सिखाना होगा।

19.   हर नागरिक को बंदूक रखना जरूरी है

20.   जनता के पास भारतीय जिला पुलिस प्रमुखों को बदलने की प्रक्रिया/तरीका अवश्‍य होनी चाहिए

21.   आई.ए.एस.(भारतीय प्रशासनिक सेवक/बाबू), आई.पी.एस.(पोलिस-कर्मी), जजों आदि को अपनी सम्‍पत्‍ति और उन संस्थाओं/ट्रस्ट की संपत्ति जिससे वे या उनके रिश्तेदार जुड़े हैं, का खुलासा/विवरण इंटरनेट पर देना होगा।

22.   सेना/पुलिस को पूंजी/फंड/कोष के लिए मैं बिक्री-कर के बदले सम्‍पत्‍ति-कर का समर्थन करता हूँ।

23.   संस्थाओं/ट्रस्‍टों/न्‍यासों को दी गई टैक्‍स से छूट समाप्‍त की जानी चाहिए

24.   सेज को दी गई टैक्‍स से छूट समाप्‍त की जानी चाहिए

25.   498 ए और डी.वी.ए. कानून समाप्‍त किए जाने चाहिए

26.   बुद्धिजीवी और जज आदि उतने ही बुरे बर्ताव/अनैतिक होते हैं जितना कि आम लोग

27.   बुद्धिजीवी और जज आदि उतने ही भाई-भतीजावाद और भ्रष्‍टाचार करने वाले हो सकते हैं जितना कि आम लोग

यदि आप इन सभी 27 प्रश्‍नों का उत्‍तर “पूरी तरह से, पक्के से सहमत” देते हैं तो आप जितनी जल्‍दी ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) पार्टी/समूह में शामिल हो सकते हैं, उतनी जल्‍दी आपको शामिल हो जाना चाहिए। और यदि आपका उत्‍तर 15 से अधिक प्रश्‍नों के लिए “पूरी तरह से सहमत” है तो आपको ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) पार्टी/दल और अन्‍य दलों के बारे में और अधिक अध्‍ययन करना/पढ़ना चाहिए और कुछ समय गुजरने के बाद ही आप सभी 27 प्रश्‍नों से सहमत हो जाएंगे। यदि आपका उत्‍तर 15 से कम प्रश्‍नों के लिए ही “दृढ़ता से सहमत” है तो ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) पार्टी/दल आपके लिए नहीं है। और यदि आपका उत्‍त्‍र 5 से कम प्रश्‍नों पर “पूर्ण सहमत” है तो आपको यह भी सीखना चाहिए कि ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)  पार्टी/दल से नफरत कैसे करें।

श्रेणी: प्रजा अधीन