यदि ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)`, प्रजा अधीन राजा / राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार) आदि कानून लागू नहीं होते तो भारत का संभव भविष्य क्या होगा |
भारत का एक संभव/संभावित भविष्य क्या होगा यदि प्रजा अधीन राजा/राईट टू रिकाल (भ्रष्ट को बदलने का अधिकार), ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) आदि कानून भारत में लागू नहीं आयेंगे तो ?
आज की स्थिति में भारत एक संसदीय ,न्यायतांत्रिक, अल्प-तन्त्र (वह राज्य जिस में थोड़े लोग देश के बारे में निर्णय कर सकें/शासन करें) है। हमारे देश में जूरी प्रणाली(सिस्टम) नहीं है जिसके द्वारा नागरिकगण सांसदों के बनाए कानून को रद्द/समाप्त कर सकें। हमारे यहां प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, विधायकों, सांसदों, जजों, पुलिस प्रमुखों आदि को बर्खास्त करने/हटाने की भी कोई प्रक्रिया नहीं है। इसके कारण न्यायतंत्र, प्रशासनतंत्र, मंत्रियों आदि (के स्तर) में बहुत ही ज्यादा गिरावट/कमी आई है। और नागरिकों को खनिज रॉयल्टी या भारत सरकार के प्लॉटों का किराया नहीं मिलता। इससे गरीबी बढ़ गई है।
यदि प्रस्तावित ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.), प्रजा अधीन – प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन – जज, जूरी प्रणाली(सिस्टम) आदि कानून लागू नहीं होते हैं तो यह गिरावट/कमी जारी रहेगी। ईमानदार व्यक्तियों आई.ए.एस.(भारतीय प्रशंस्निक सेवक/बाबू), आई.पी.एस.(पोलिस-कर्मी), न्यायपालिका में नौकरी करना कम कर देंगे और ईमानदार व्यक्तियों चुनाव लड़ना भी कम कर देंगे । और जो ईमानदार व्यक्ति मौजूद भी हैं, वे नौकरी छोड़ देंगे या सेवानिवृत/रिटायर हो जाएँगे या तो अप्रासंगिक(उनकी ऐसी स्थिति हो जायेगी कि वे कुछ भी अच्छा कम नहीं कर पाएंगे,सिस्टम की कमी के कारण) हो जाएँगे |
सेना भी कमजोर होती रहेगी और विदेशों में बने हथियारों पर ही और ज्यादा निर्भर होती जाएगी। और पुलिस और कोर्ट/न्यायालय भी कमजोर होते रहेंगे। विशिष्ट/ऊंचे लोग सेजों के नाम पर ,और अधिक जमीन हड़पना जारी रखेंगे और वे सेवा कर/सर्विस टैक्स, वैट, जी.एस.टी. आदि जैसे प्रत्यावर्ती/प्रतिगामी(जो आय बढने से आय के प्रतिशत के अनुसार घटते हैं ) टैक्सों का ज्यादा से ज्यादा सहारा लेते रहेंगे।
इससे गरीबी बढ़ती जाएगी और इससे गरीब लोग खाना/भोजन, दवा, शिक्षा आदि के लिए या तो नक्सलवाद या इसाई मिशनों या दोनों ही ओर और भी ज्यादा मुड़ते चले जाएंगे (नक्सलवादियों और इसी आदि मिशनों को हमदर्दी है, गरीबों से ऐसा नहीं है, वे इसीलिए धर्म-परिवर्तन करवाते हैं ताकि धर्म-परिवर्तित लोग उनके समर्थक बनें और उनका समर्थन से ऐसे क़ानून बनाएँ जिसके द्वारा 99% देश की जनता को लूट सकें) | इतना ही नहीं, बीजेपी, कांग्रेस, सीपीएम आदि दलों के ये वर्तमान सड़े हुए/बेकार सांसद, राष्ट्रीय पहचानपत्र प्रणाली(सिस्टम) कभी लागू नहीं करेंगे और इसलिए बांग्लादेशियों का घूसपैठ करके भारत आना भी जारी रहेगा।
भारत में विशिष्ट/उच्च लोगों के अधिकांश (अधिकांश, सभी नहीं) बच्चे भारत छोड़ कर अमेरिका जाने या भारत को लूटने में ही रूचि/दिलचस्पी दिखलाते हैं। वे अपना कीमती समय कानूनों की गलतियां ठीक करने/करवाने में बरबाद करना नहीं चाहते और उन कानूनों को सुधारने/ठीक करने में तो बिलकुल ही नहीं अपना समय देना चाहते , जो कानून मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, जजों, आई.ए.एस., आई.पी.एस. और विशिष्ट/उच्च लोगों के आर्थिक/वित्तीय हितों के खिलाफ जाएगा। वे कोई भी टकराव नहीं चाहते।
ये विशिष्ट/उच्च लोग और उनके प्रमुख पालतू बुद्धिजीवी लोग इस बात पर ही जोर देते हैं कि आम आदमी को कानून और अंग्रेजी की शिक्षा तो दी ही नहीं जानी चाहिए और न ही इन्हें सरकारी प्लॉटों से किराया और खनिजों से रॉयल्टी ही मिलनी चाहिए। परीक्षा प्रणाली(सिस्टम) को और बरबाद/खराब करके ये मंत्री/आई.ए.एस. लोग शिक्षा प्रणाली(सिस्टम)/पद्धति को ही बरबाद कर देंगे। इससे आम आदमी दिनों-दिन गरीब से गरीब होता चला जा रहा है। उदाहरण – वर्ष 1991 की तुलना में वर्ष 2007 में, प्रति व्यक्ति दाल की खपत 25 प्रतिशत कम हो गई और अनाज का खपत/उपभोग 10 प्रतिशत कम हो गया था। इसके अलावा, हम देखते हैं कि अधिक से अधिक हिन्दू इसाईयत और नक्सलवाद की ओर मुड़ते जा रहे हैं जो सिर्फ यही दिखलाता है कि इन वर्गों के लोगों में गरीबी बढ़ती जा रही है।
बढ़ती गरीबी के कारण, अनेक गरीब हिन्दू इसाई मिशनरियों की ओर खिंचे चले जाते हैं जो इन्हें खाना/भोजन, दवा, शिक्षा आदि देते हैं। अंत में यह सब लोगों को हिंसक/उग्रवाद बना देगा जैसा कि इसने नेपाल में किया और उड़ीसा, आंध्रप्रदेश के कुछ भागों, मध्य प्रदेश के कुछ भागों, छत्तीसगढ़ के कुछ भागों आदि में चल रहे झगडे/कलह और ज्यादा बिगड़ जाएँगे।
जब किसी देश की सेना विदेशी हथियारों पर ही निर्भर हो जाती है तो बाहरी देश यदि और जब भी ज्यादा ताकतवर बन जाते हैं तो उस (निर्भर) देश को सीधा ही खा लेते हैं यानि उस देश के 99 % नागरिकों को लूट लेती है, और गुलाम बना लेती है । समुद्र का नियम है कि – बड़ी/ताकतवर मछली छोटी/कमजोर मछली को खा जाती है, कोई दया नहीं दिखलाती, इसका कोई अपवाद भी नहीं। इसलिए यदि सेना, कारखानों/औद्योगिक परिसरों का कमजोर होना जारी रहा तो यह देश इतना कमजोर हो जाएगा कि अमेरिका भारत को जब चाहेगा, इराक ही बना डालेगा यानि भारत के साथ वही व्यवहार करेगा जो उसने इराक के साथ किया है।
दूसरे शब्दों में यदि ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.)`, जूरी, रिकॉल आदि कानून भारत में लागू नहीं कराए जाते तो भारत हर तरह से बहुत ही बुरी दशा में होगा। इसलिए मैं `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के सदस्य के रूप में भारत के नागरिकों से अनुरोध करूंगा कि वे अपने-अपने पसंद की पार्टी के नेताओं से ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.) की पहली पांच सरकारी अधिसूचनाओं(आदेश) को लागू करने के लिए कहें ताकि रिकॉल, ‘नागरिक और सेना के लिए खनिज रॉयल्टी (एम. आर. सी. एम.), जूरी आदि से संबंधित अन्य कानून भारत में लागू हो जाएं।