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स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह’ के प्रस्ताव |
(41.1) पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कम्पनी (व्होल्ली ओन्ड बाय इंडियन सिटीजेंस = डब्ल्यू. ओ. आई. सी)
1. यदि कोई कम्पनी `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` है तो 18 वर्ष से अधिक उम्र के निवासी भारतीय नागरिक उसका शेयर/हिस्सेदारी खरीद सकते हैं।मैंने एक विचार/सिद्धांत का प्रस्ताव किया है जिसका नाम है – `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` । यह `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` क्या है? देखिए, कम्पनी अधिनियम में अनेक प्रकार की कम्पनियां हैं जैसे – प्रोपराईटरशीप, पार्टनरशीप, प्राइवेट लिमिटेड, पब्लिक लिमिटेड इत्यादि। `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` इनमें एक और प्रकार की कम्पनी होगी जो निम्नलिखित प्रकार से है –
2. एक सरकारी संस्था `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` के शेयर खरीद सकती है।
3. एक ऐसी पार्टनरशिप/भागीदारी जिसमें सभी हिस्सेदार/पार्टनर निवासी भारतीय नागरिक हों, जो इसका शेयर खरीद सकें।
4 कोई `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` , (किसी अन्य) `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` में शेयर खरीद सकती है।
5. कोई और(कंपनी या गैर-भारतीय नागरिक) `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` में शेयर नहीं खरीद सकता।
इस प्रकार कोई विदेशी प्रत्यक्ष(सीधे) या अप्रत्यक्ष(किसी के द्वारा) तौर पर भी `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` कम्पनी का 1 प्रतिशत भी मालिक नहीं हो सकता है।
(41.2) `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` कम्पनी को बढ़ावा देना
1. केवल `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` ही भारत में जमीन खरीद सकेगी। गैर-`पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` संशोधित किए अथवा बदले जा सकने वाले वास्तविक किराए पर अधिक से अधिक 25 वर्ष के लिए जमीन को पट्टे पर ले सकती है।इसके अलावा मैंने `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` कम्पनी को बढ़ावा देने के लिए अनेक कानूनों का प्रस्ताव किया है जैसे –
2. केवल `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` ही टेलिकॉम, सेटेलाईट और अन्य रणनीतिक(लड़ाई सम्बन्धी) क्षेत्र में आ सकती है।
3. केवल `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` ही कच्चे तेल की खुदाई के क्षेत्र में आ सकती है।
4. केवल `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` ही खनिजों की खुदाई के क्षेत्र में आ सकती है।
5. केवल `पूरी तरह से भारतीय (नागरिक) मालिकी वाली कंपनी (डब्ल्यू. ओ. आई. सी.)` कम्पनी ही खाने पीने के चीजें, जो दवा ना हों ( गैर-औषधीय खाद्यान्न) बना सकती है। इत्यादि, इत्यादि।
मैं ‘जनता की आवाज़ पारदर्शी शिकायत/प्रस्ताव प्रणाली(सिस्टम) (सिस्टम)’ का प्रयोग करके इन कानूनों को एक के बाद एक करके समूहों में लागू कराने का प्रस्ताव करता हूँ। इन कानूनों से स्वदेशी लागू हो जाएगा।
इसके अलावा स्वदेशी बढाना के लिए क़ानून-व्यवस्था सही करना होगा,भ्रष्टाचार कम करना होगा और तकनिकी/गैर-तकनिकी सभी तरह के सामान के निर्माण को बढावा देने के लिए सही कानून होने चाहिए| कानून-व्यवस्था सही नहीं होने से केवल बहु-राष्ट्रिय कंपनियों को ही फायदा होता है छोटे उद्योगों के मुकाबले क्योंकि छोटे उद्योग बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुकाबले जजों, पुलिस को कम रिश्वत दे सकते हैं और मजदूर और धंधे सम्बन्धी गलत कानून उनको बहु-राष्ट्रिय कंपनियों से अधिक नुक्सान पहुंचाते हैं | ये क़ानून निम्न-लिखित हैं-
(1) `सेना और नागरिकों के लिए खनिज रोयल्टी (आमदनी)` -इससे भूमि की जमा-खोरी कम होगी, सस्ती जमीन मिलेगी जिससे फैक्ट्री/कंपनी शुरू करने में आसानी होगी | (अधिक जानकारी देखें अध्याय 5 में)
(2) `नौकरी पर आसानी से रखने और निकालने के नियम` और `आसानी से धंधा खोलने और बंद करने के कानून`- ये कानून भी स्वदेशी उद्योगों को बदाव देंगे | (अधिक जानकारी देखें अध्याय 26 में)
(3) 300% सीमा-शुल्क सभी विदेशी उत्पादों के बाहर से मंगाने पर (कच्चा माल बाहर से मंगाने पर छूट होगी) –इससे भी स्वदेशी को बदाव मिलेगा |
(4) `कोर्ट, पुलिस और सेना के लिए संपत्ति-कर और विरासत-कर(बपौती-कर) – ये `कर` से कोर्ट, सेना और पुलिस की संख्या बढायी जा सकती है और क़ानून व्यवस्था सही की जा सकती है | (अधिक जानकारी के लिए देखें अध्याय 25)
(5) `प्रजा अधीन-सुप्रीम कोर्ट प्रधान जज(मुख्य न्यायाधीश) , प्रजा अधीन-प्रधानमंत्री, प्रजा अधीन-मुख्यमंत्री और अन्य प्रजा अधीन-राजा कानून, जूरी प्रणाली(सिस्टम) (सिस्टम) –इससे क़ानून व्यवस्था सही होगा जिससे फैसले न्यायपूर्ण और जल्दी आयेंगे ,भ्रष्टाचार कम होगा और स्वदेशी को बढावा मिलेगा | (अधिक जानकारी के लिए अध्याय 2,6,7,21 देखें)
(6) ये सब और अन्य स्वदेशी को बढावा देने वाले कानून `जनता की आवाज़-पारदर्शी शिकायत प्रणाली(सिस्टम) (सिस्टम) द्वारा ही आयेंगे | (अधिक जानकारी के लिए अध्याय 1 देखें)